आपदा को अवसर बनाकर मप्र आज देश ही नहीं विदेशों में भी मिसाल बना हुआ है। यही कारण है कि आज मप्र देश का सबसे बड़ा अनाज उत्पादक राज्य बना हुआ है। रूस-यूक्रेन युद्ध के इस दौर में पूरे विश्व में गेहूं की कमी हो गई है। ऐसे में मप्र बड़ी उम्मीद बनकर सामने आया है। कई देश मप्र से गेहूं खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातक देश इजिप्ट ने मप्र का गेहूं खरीदने में रुचि दिखाई है। मालवा सहित प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पैदा होने वाले गेहूं की इजिप्ट (मिस्र) में निर्यात होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसी सिलसिले में इजिप्ट सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल गत दिनों इंदौर आया और मालवी और शरबती गेहूं की खूबियां जानीं। दल में आए अधिकारियों ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र पहुंचकर गेहूं की अलग-अलग किस्में देखीं। साथ ही वेयर हाउस पहुंचकर गेहूं के नमूने देखे। इजिप्ट के दल ने शहर के एक निजी होटल में जिला प्रशासन, मंडी बोर्ड, कृषि विभाग और गेहूं निर्यातक व्यापारियों से चर्चा की।
दरअसल, यूक्रेन में युद्ध के कारण भारत से गेहूं निर्यात की संभावनाएं बढ़ गई हैं, इसलिए यूक्रेन पर निर्भर रहने वाले इजिप्ट जैसे देशों ने गेहूं आयात करने के लिए भारत का रुख किया है। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए भारत सरकार और इजिप्ट सरकार के बीच गेहूं के निर्यात को लेकर सहमति बनी है। दरअसल मप्र का शरबती और मालवी गेहूं गुणवत्ता और पोषक तत्वों के मामले में देशभर में मशहूर है। इसलिए केंद्र सरकार ने इजिप्ट के दल को सबसे पहले मप्र भेजा। मप्र के गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संभावना को हाथोंहाथ लिया और इजिप्ट के दल को मप्र में आमंत्रित किया।
इंदौर आए प्रतिनिधिमंडल में इजिप्ट सरकार के कृषि विभाग के तकनीकी अधिकारी इस्लाम फरहत अब्देल अजीज, डॉ. सलेह अब्देल सत्तार बहिग अहमद, इंजीनियर अहमद राबिया अब्दुल्ला अब्देल कादर, भारत सरकार की संस्था एपीडा के क्षेत्रीय प्रभारी डॉ. सीबी सिंह और पादप सुरक्षा सलाहकार डॉ. रविप्रकाश और डॉ. संजय आर्य शामिल थे। कलेक्टर मनीष सिंह, मंडी बोर्ड के अतिरिक्त संचालक डीके नागेंद्र, मंडी के भारसाधक अधिकारी राजेश राठौर, संयुक्त संचालक चंद्रशेखर वशिष्ठ, कृषि उपसंचालक एसएस राजपूत ने प्रतिनिधिमंडल के साथ गेहूं निर्यातकों की बैठक कराई। गेहूं अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ. केसी शर्मा ने मप्र में पैदा होने वाली शरबती और मालवी (ड्यूरम) गेहूं की अलग-अलग किस्मों की खूबियों का प्रस्तुतिकरण दिया। साथ ही बताया कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के गेहूं में करनाल बंट नाम की बीमारी आती है, लेकिन मप्र का गेहूं इस बीमारी से मुक्त है। वहीं जिम्बाब्वे ने भी मप्र का गेहूं खरीदने में रूचि दिखाई है। उधर, इजिप्ट के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख इस्लाम फरहत ने बताया कि रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए हालात के बाद हम भारत से गेहूं आयात की संभावनाएं तलाशने के लिए आए हैं। हमारी यह यात्रा पहले भी प्रस्तावित थी लेकिन कोरोना के कारण यह स्थगित हो गई थी। भारत इस समय इजिप्ट के निर्यातक देशों की अधिमान्य सूची में शामिल नहीं है। उम्मीद है कि इस यात्रा के बाद हम भारत को निर्यातक देशों की सूची में जोड़ सकते हैं।
दरअसल, भारत सरकार ने दूतावासों से कहा है कि वे स्वयं राज्यों से बात करें और राज्यों को कहा है कि वे दूतावासों से बात करके आयात-निर्यात करें। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार मप्र ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। तुर्की, वियतनाम, नाइजीरिया, थाइलैंड, अलजीरिया, सुडान जैसे देशों में मप्र गेहूं निर्यात करने की संभावनाएं तलाश रहा है। वहीं पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका में भी निर्यात करने का अच्छा समय है। इससे जहां प्रदेश के किसानों को उनके उत्पाद का सही भाव मिल जाएगा, वहीं व्यापारियों, प्रदेश और देश का भी फायदा होगा। प्रदेश में सरकार ने निर्यात प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए 11 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है, वहीं मंडी ने भी 11 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके तहत निर्यातकों को सुविधाएं दी जाएंगी।
गेहूं के विदेश में निर्यात के बाद इतिहास रचेगा प्रदेश
मप्र एक प्रमुख निर्यातक राज्य बनता जा रहा है। प्रदेश से अनाज सहित कई आवश्यक वस्तुएं विदेशों में निर्यात की जाती हैं। इसका परिणाम यह है कि पिछले 6 साल में प्रदेश की निर्यात दर तेजी से आगे बढ़ी हैं। आज मप्र की निर्यात दर में राष्ट्रीय औसत दर से भी अधिक वृद्धि हुई है। माना जा रहा है कि अब गेहूं के विदेश में निर्यात के बाद प्रदेश निर्यात का इतिहास रच देगा। गौरतलब है कि प्रदेश गेहूं के विदेश में निर्यात के लिए अब कदम उठा रहा है। विश्व के कई देश मप्र के गेहूं को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं अभी तक की स्थिति देखें तो बीते 6 सालों में भी निर्यात की रफ्तार सरपट रही है। बीते 6 सालों में मप्र की निर्यात दर में औसत 9.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय औसत दर वृद्धि से भी ज्यादा है। राष्ट्रीय निर्यात दर वृद्धि महज 0.6 फीसदी है। इससे आगे चलकर मप्र के निर्यात के मामले में और बेहतर होने की संभावना बनती है। निर्यात के मामले में देश के 24 प्रमुख औद्योगिक सेक्टर में 5 मप्र के हिस्से में आते हैं। मप्र में इन 5 क्षेत्रों में बेहतर स्थिति है। इस कारण प्रदेश औद्योगिक क्लस्टर के तहत निर्यात की संभावनाओं को बढ़ाने पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें गैरधातु खनिज, कपड़े और खाद्य उत्पाद शामिल हैं। प्रदेश से विदेश में निर्यात बढ़ाने के लिए एक जिला-एक उत्पाद योजना को लेकर भी काम हो रहा है।
- श्याम सिंह सिकरवार