मप्र की सत्ता भले ही कमलनाथ के हाथों से खिसक गई हो, लेकिन उन्होंने अभी हार नहीं मानी है। दोबारा मध्यप्रदेश की सत्ता में कैसे काबिज हों, इस जुगत में वे जुट गए हैं। इसके लिए उन्होंने प्रदेश की जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें से ज्यादा सीटें जीतने के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। उन्होंने अपने पूर्व मंत्रियों को इस काम में लगा दिया है। यही नहीं भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को भी साधने की तैयारी की जा रही है। एक तरह से यह कहा जाए कि कांग्रेस ने उपचुनाव की रिहर्सल शुरू कर दी है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
अपनी मैदानी जमावट के साथ ही कमलनाथ ने शिवराज सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। इसके लिए कमलनाथ ने अपनी टीम के छह लड़ाकों यानी छह पूर्व मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए गहन रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए नाथ ने अपनी टीम के छह पूर्व मंत्रियों को शिवराज सरकार को घेरने के लिए मैदान में उतारा है। सज्जन सिंह वर्मा ने समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरा। किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे अव्यवस्थाओं के बीच फसलों की खरीदी कर किसानों को क्यों परेशान कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कम गेहूं खरीदकर अपने व्यापारी मित्रों को मुनाफे पहुंचाने का मौका देने का आरोप भी लगाया।
उमंग सिंघार ने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में गए पूर्व विधायकों में से दो के मंत्री बनने पर शिवराज की घेराबंदी की है। उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर ग्वालियर-चंबल संभाग, गोविंद सिंह राजपूत को लेकर बुंदेलखंड और तुलसीराम सिलावट को लेकर मालवा के भाजपा नेताओं से सवाल किया कि अब इन क्षेत्रों का बड़ा भाजपा नेता कौन? वहीं पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने शिवराज सरकार के तीनों कार्यकालों की पहचान मौतों से कराई। पहला कार्यकाल व्यापमं में हुई मौत, दूसरा किसान हत्या और मौजूदा तीसरे कार्यकाल को कोरोना से हुई मौतों वाला बताया। उन्होंने टेस्टिंग किट की कमी से कोरोना नमूनों की जांच नहीं हो पाने के मुद्दे पर सरकार को घेरा है।
पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कोरोना से निपटने में सरकार के फैसलों, पीपीई किट, मास्क, दवाएं, सैनिटाइजर, वेंटिलेटर सहित अन्य उपकरणों की खरीदी को क्रियान्वित नहीं करने की आलोचना की। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने दमोह में 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसके बाद उसकी आंख निकालने की घटना पर चिंता जताई और कहा कि लॉकडाउन में भी अपराधी निरकुंश हो रहे हैं। वहीं पूर्व मंत्री सचिन यादव ने फसल बीमा पर कमलनाथ सरकार द्वारा राशि जमा नहीं करने के आरोपों का खंडन करते हुए 2017-18 के आंकड़ों के साथ शिवराज सरकार को घेरा। अब इन पूर्व मंत्रियों को प्रदेश सरकार को घेरने के साथ ही जनता के मन में विश्वास भी जगाना है कि भाजपा ने किस तरह उनके द्वारा चुनी गई सरकार को गिराया है।
कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी ने अपना सबसे अधिक फोकस ग्वालियर-चंबल संभाग की सीटों पर किया है। विगत दिनों कमलनाथ और डॉ. गोविंद सिंह के साथ नेताओं ने सिंधिया के साथ पार्टी छोड़ने वाले नेताओं के विकल्पों पर मंथन किया है। इस दौरान अंचल की करीब आधा दर्जन सीटों पर सिंगल नामों पर चर्चा हुई, लेकिन जौरा, करेरा और मुंगावली सीटों पर फिलहाल कोई भी मजबूत नाम सामने नहीं आया है। बनवारीलाल शर्मा के निधन से रिक्त हुई जौरा सीट पर उनके परिवार के सिंधिया के साथ चले जाने से यह स्थिति बनी है।
सूत्र बताते हैं कि सुमावली सीट से मानवेंद्र सिंह गांधी, दिमनी से रवींद्र सिंह, अंबाह से सत्यप्रकाश शकवार, बमोरी से कन्हैयालाल अग्रवाल, अशोक नगर से अनीता दोहरे, डबरा से सत्यप्रकाश परसेडिया, भांडेर से फूलसिंह बरैया, मेहगांव से राहुल भदौरिया, चौधरी राकेश चतुर्वेदी, ग्वालियर से संत कृपाल महाराज, सुनील शर्मा, ग्वालियर (पूर्व) से अशोक सिंह, बृजेंद्र तिवारी, पौहरी से रामनिवास रावत, हरिवल्लभ शुक्ला, मुरैना से राकेश मावई, दिनेश गुर्जर, परसराम मुदगल, गोहद से रामनरेश हिंडोलिया, मेवाराम जाटव, राजकुमार देशलहरिया के नाम पर चर्चा की गई।
पुराने बागियों पर डोरे डाल रही है कांग्रेस
कांग्रेस को पूर्व में धोखा देकर भाजपा का दामन थामने वाले दो नेताओं की वापसी को लेकर एआईसीसी गंभीर हो गई है। प्रदेश से लेकर दिल्ली तक इनकी वापसी को लेकर बातचीत का दौर तेज हो गया है। दरअसल कांग्रेस अपने पुराने बागियों को मनाकर भाजपा को मात देने की जुगत में हैं। सूत्रों की मानी जाए तो पूर्व सांसद प्रेम चंद गुड्डू और पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की वापसी को लेकर कांग्रेस गंभीर हो गई है। इनकी वापसी को लेकर भोपाल से दिल्ली तक कवायद तेज हो गई है। वहीं पूर्व सांसद प्रेम चंद गुड्डू और उनके बेटे अजीत बोरासी की वापसी को लेकर भी एआईसीसी में हलचल तेज हो गई है। गुड्डू भी करीब डेढ़ साल पहले कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वे फिर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी रहे। दोनों नेताओं की कई बार मुलाकात भी हो चुकी है। गुड्डू की वापसी का भी अंतिम फैसला एआईसीसी को करना है। प्रेम चंद गुड्डू और चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की वापसी को लेकर कांग्रेस के कई नेता और कुछ विधायक नाराज हो सकते हैं। इन्हें मनाने का जिम्मा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का होगा।
- नवीन रघुवंशी