सेमीफाइनल में भाजपा अव्वल
01-Aug-2022 12:00 AM 438

 

2023 में सत्ता के लिए होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले हुए सेमीफाइनल में मप्र की जनता ने पंचायत और निकाय चुनाव में भाजपा पर विश्वास जताकर यह संकेत दे दिया है कि देश के हृदय प्रदेश को शिव'राजÓ ही पसंद है। पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को जीत मिली है, वहीं नगरीय निकाय चुनावों में भी भाजपा के 90 प्रतिशत प्रत्याशी जीते हैं। हालांकि भाजपा 16 नगर निगमों में से 9 के ही महापौर पद जीत पाई है, लेकिन हर जगह भाजपा की ही परिषद बनेगी।

इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा के सामने कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, निर्दलीय चुनौती के रूप में खड़े थे, लेकिन मप्र के मतदाताओं ने सबको दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विकास कार्यों पर मुहर लगाते हुए यह संकेत दे दिया है कि मिशन 2023 में वह भाजपा के साथ है। हालांकि नगरीय निकाय चुनाव में 90 फीसदी जीत के बाद भी भाजपा के सामने यह चुनौती है कि चुनाव के दौरान जो खामियां आई हैं, उन्हें दूर किया जाए। वहीं कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उसके अस्तित्व के लिए एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी खतरा बनकर सामने आ रही हैं। इन दोनों नई नवेली पार्टियों ने निकाय चुनाव में अपनी जबर्दस्त धमक दिखाई है।

कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनाव में मतदाताओं का मन मोहने के वे तमाम जतन किए, जो भाजपा कर रही थी। इसके बावजूद चुनाव परिणाम का संदेश साफ है। प्रदेशवासियों को शिव 'राजÓ ही पसंद है। नगरीय निकायों में कार्यकाल खत्म होने से पिछले दो वर्षों से कोई जनप्रतिनिधि नहीं था, इसलिए चुनाव में एंटी इनकम्बेंसी जैसा कोई फैक्टर भी नहीं था। इस परिस्थिति में भाजपा अपनी मौजूदा, जबकि कांग्रेस अपनी पिछली राज्य सरकार के कामकाज पर चुनाव लड़ रही थी। इसी वजह से इसे मिशन-2023 का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा था। मतदाताओं ने शिवराज सिंह सरकार के कामकाज पर अपनी पसंद की मुहर लगाकर कांग्रेस को मायूस कर दिया। हालांकि चुनावों में कुछ जगह हार से भाजपा को सबक भी मिला है। इसको लेकर सत्ता, संगठन और संघ सब तत्पर हो गए हैं और समीक्षा के बाद रणनीति बनाकर काम करने की कवायद में लग गए हैं।

पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब शिवराज सरकार मिशन 2023 की तैयारियों में जुटेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 15 अगस्त के बाद विभागीय समीक्षा की शुरुआत करेंगे। इसके लिए सभी विभागों से हितग्राहीमूलक योजनाओं की जानकारी मांगी गई है। साथ ही सितंबर 2023 तक 5 करोड़ रुपए या उससे अधिक राशि के शिलान्यास और लोकार्पण योग्य कामों की सूची भी मांगी गई है। समीक्षा में मंत्रियों के साथ विभागीय अधिकारी उपास्थित रहेंगे। प्रदेश में नवंबर-दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में आचार संहिता प्रभावित हो सकती है। इसे देखते हुए सरकार ने अपने स्तर पर विधानसभा चुनाव की तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री 15 अगस्त के बाद विभागीय समीक्षा करेंगे। इसमें आत्मनिर्भर मप्र की कार्ययोजना की पूर्ति की स्थिति, हितग्राहीमूलक योजनाओं की प्रगति, लोक सेवा गारंटी कानून के अंतर्गत लाई जाने वाली सेवाओं में वृद्धि के प्रस्ताव, निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे कार्य और अधोसंरचना विकास के कामों की समीक्षा की जाएगी। विभागों से सितंबर 2023 तक 5 करोड़ रुपए या उससे अधिक लागत के शिलान्यास और लोकार्पण योग्य कामों की सूची मांगी गई है ताकि कार्यक्रम तय किए जा सकें। इसके साथ ही सितंबर 2023 तक सिंगल क्लिक के माध्यम से एक बार में 50 करोड़ रुपए या इससे अधिक राशि के हितग्राहियों को हितलाभ वाली योजनाओं की जानकारी मांगी गई है। सूत्रों का कहना है कि बैठक के बाद प्रतिमाह के कार्यक्रम तय होंगे। यह अलग-अलग जिलों में आयोजित होंगे, जिनमें मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे।

मुख्यमंत्री जल्द ही रोजगार से जुड़े कार्यक्रमों की समीक्षा भी करेंगे। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के साथ शहरी और ग्रामीण पथ विक्रेता योजना के क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। शासकीय विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी इसी वर्ष प्रारंभ हो जाएगी। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से स्वीकृत, भरे और रिक्त पदों की जानकारी मांगी है। इसके आधार पर भर्ती के कार्यक्रम तय किए जाएंगे।

नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा 16 नगर निगमों में से 9 में ही अपने महापौर प्रत्याशी को जिता पाई, लेकिन ओवरऑल भाजपा 90 प्रतिशत तक चुनाव जीती है। जहां कांग्रेस के महापौर हैं वहां भी भाजपा का बहुमत है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि नगरीय निकाय और नगर परिषदों में हमने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। जिस प्रकार भाजपा के कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं नीचे स्तर तक पहुंची है और जनता ने जो विश्वास व्यक्त किया है, नगरीय निकाय में भाजपा की जीत जनता के विश्वास की जीत है। प्रदेश की जनता के हम आभारी हैं। हम संकल्प व्यक्त करते हैं कि जनता के विश्वास को टूटने नहीं देंगे। सबके साथ मिलकर बेहतर से बेहतर काम करेंगे और मप्र को और आगे ले जाएंगे।

मुख्यमंत्री का कहना है कि निकाय चुनाव में भाजपा ने इतिहास रचा है। मैं वर्ष 1985 से पार्टी में काम कर रहा हूं। इतनी अच्छी सफलता पहले कभी नहीं मिली। उन्होंने जनता का आभार व्यक्त किया और चुनकर आए जनप्रतिनिधियों, भाजपा के पदाधिकारियों, विधायक-सांसद, कार्यकर्ताओं को बधाई दी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जनता के कल्याण और नगरों के विकास में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

मुख्यमंत्री का कहना है कि नगर निगम के परिणाम भाजपा के लिए संतोषजनक हैं। 16 में से भाजपा के 9 महापौर जीते हैं। एक में हमारी ही कार्यकर्ता जीती हैं। जिन नगर निगमों में हमारे महापौर नहीं जीत पाए, वहां भी भाजपा के पार्षद ज्यादा हैं। कांग्रेस की जीत तो अधूरी है। नगर पालिका की बात करें तो 76 में से 65 में भाजपा अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है और कांग्रेस ने सिर्फ 11 में सफलता पाई है। नगर परिषद में तो भाजपा ने कांग्रेस को पूरी तरह साफ कर दिया है। 255 परिषद में चुनाव हुआ है। इसमें से 185 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला। जबकि 46 में कांग्रेस से काफी आगे हैं। यानी 231 नगर परिषद में भाजपा को सफलता मिली है। वहीं कांग्रेस 24 में जीती है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2014 में संपन्न नगरीय निकाय चुनाव से तुलना करते हुए बताया कि इस बार हमें 30 से 32 प्रतिशत अधिक सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि 2014 में 98 नगर पालिकाओं में चुनाव हुआ था। इसमें से 54 में भाजपा जीती थी, जो 55 प्रतिशत होता है। इस बार जीत का प्रतिशत 85 हो गया है। ऐसे ही 264 नगर परिषद के चुनाव में से भाजपा को 154 में सफलता मिली थी, जो 58.3 प्रतिशत होता है और इस बार 90 प्रतिशत में सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि रायसेन, राजगढ़, सागर, जबलपुर, सिवनी, देवास, सीहोर, नरसिंहपुर, रीवा, मुरैना जिलों की नगर परिषदों और विदिशा, सीहोर, सागर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर जिलों की नगर पालिकाओं में भाजपा का प्रदर्शन शत-प्रतिशत रहा है।

भाजपा को घर दुरुस्त करना होगा

ऐसा पहली बार होगा, जब निकाय चुनाव के ठीक एक साल बाद विधानसभा के चुनाव होंगे। निकाय चुनाव के नतीजे बताते हैं कि भले ही कांग्रेस की तुलना में भाजपा ने ज्यादा निकायों पर कब्जा किया है। बावजूद इसके भाजपा को अपने घर को दुरुस्त करना होगा। ग्वालियर और रीवा जैसी जगहों पर पार्टी के पिछड़ने का बड़ा कारण नेताओं के बीच मतभेद रहा। कटनी और रीवा में उम्मीवारों के चयन में स्थानीय कार्यकर्ताओं व नेताओं की अनदेखी कर फैसला महंगा पड़ गया। ग्वालियर में अंतिम समय तक उम्मीदवार को लेकर असमंजस की स्थिति रही। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और स्थानीय भाजपा नेताओं के बीच टकराव देखने को मिला। नतीजे बताते हैं कि मालवा-निमाड़ और बुंदेलखंड में भाजपा का प्रभाव बरकरार है। सागर, रतलाम, उज्जैन, देवास और उज्जैन नगर निगम के अलावा नगर परिषद और नगर पालिकाओं में भाजपा का बहुमत है। यानी अभी ये इलाके भाजपा का गढ़ बने हुए हैं। यदि 2015 के चुनाव से तुलना करें तो ऑवर ऑल भाजपा को फायदा हुआ है। पिछले चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों में भाजपा के कुल 158 महापौर-अध्यक्ष जीते थे, जबकि कांग्रेस के खाते में 75 निकाय आए थे। 

भाजपा की जीत का विवरण

-               16 नगर निगम में से 9 पर विजयी।

-               कांग्रेस 5 नगर निगमों में महापौर भले ही जीती हो लेकिन पार्षद भाजपा के ज्यादा जीते हैं। रीवा में 18 पार्षद भाजपा और 16 कांग्रेस, 11 अन्य। मुरैना में नगर निगम परिषद में बहुमत न भाजपा का है, न कांग्रेस का है। 14 भाजपा, 19 कांग्रेस एवं 14 सपा, बसपा, अन्य।

-               ग्वालियर में 66 में से 36 भाजपा और कांग्रेस के केवल 19 पार्षद जीते हैं।

-               जबलपुर में 79 में से 39 भाजपा और कांग्रेस के केवल 30 पार्षद जीते हैं।

-               सिंगरौली में 45 में से 23 भाजपा और कांग्रेस के केवल 13 पार्षद हंै।

-               कटनी नगर निगम के 45 वार्डों में से भाजपा के 27 व कांग्रेस, 15 व 3 अन्य पार्षद जीते हैं।

-               76 नगर पालिका में 50 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत, 15 में स्थिति अच्छी है। (कुल 65), कांग्रेस 76 नगर पालिका में से कुल 11 सीट जीत पाई है।

-               255 नगर परिषद में से 185 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है, 46 में स्थिति अच्छी है। कुल (231), कांग्रेस को 24 में जीत मिली है।

-               वर्ष 2014 में 98 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 54 सीटों पर विजयी हुई थी, कुल 55 प्रतिशत, इस वर्ष 76 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा 65 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है, जीत का प्रतिशत 85 प्रतिशत रहा है।

-               वर्ष 2014 में 264 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 154 सीटों पर विजयी हुई थी। कुल 58 प्रतिशत, इस वर्ष 255 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 231 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है। जीत का प्रतिशत 90.58 प्रतिशत रहा है।

-               कटनी, रायसेन, राजगढ, सागर, जबलपुर, सिवनी, देवास, सीहोर, नरसिंहपुर, रीवा, मुरैना इन जिलों की नगर परिषदों में भाजपा का प्रदर्शन लगभग शत-प्रतिशत रहा है।

-               विदिशा, छिंदवाडा, सीहोर, सागर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर इन 5 जिलों की नगर पालिकाओं में भाजपा शत-प्रतिशत जीती है।

-               छिंदवाडा जिले की तीनों नगर पालिकाओं (अमरवाड़ा, चौरई और परासिया) में भाजपा जीती है।

-               जबलपुर में 8 में से 6 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है।

-               मुरैना में 5 में से 4 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है।

-               रीवा में 12 में से 11 नगर परिषद में भाजपा विजयी हुई है।

-               ग्वालियर में सभी 5 नगर परिषदों में कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा का प्रदर्शन बेहतर है।

-               कटनी में 3 नगर परिषद में से 3 में भाजपा विजयी हुई है।

-               16 नगर निगम के 884 वार्डों में से 491 वार्डो में भाजपा विजयी रही। सिर्फ 274 स्थानों पर कांग्रेस और अन्य पर 109 पार्षद विजयी रहे।

-               76 नगर पालिकाओं के 1795 वार्डों में से 975 वार्डों में भाजपा विजयी रही। 571 स्थानों पर कांग्रेस और 249 पर अन्य पार्षद विजयी रहे।

-               255 नगर परिषदों के 3828 वार्डों में 2002 वार्डों में भाजपा विजयी रही। 1087 स्थानों पर कांग्रेस और 739 पर अन्य पार्षद विजयी रहे।

- कुमार राजेन्द्र

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