केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय जल जीवन मिशन को मप्र में साकार करने के लिए प्रदेश सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में हर घर में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाना है। योजना के प्रथम चरण में 1 करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से करीब 1500 करोड़ रुपए के बजट की मांग की। इस साल करीब 20 लाख कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके लिए पुरानी नल-जल योजनाओं का सहारा लिया जाएगा। यह जानकारी देते हुए लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने बताया कि योजना का खाका तैयार करने और योजना के क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित कर दी गई है। इससे लगने लगा है कि अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी यह योजना जल्द ही आकार लेनी शुरू कर देगी।
गौरतलब है कि मप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन अब यह समस्या जल्द ही खत्म होने वाली है, क्योंकि प्रदेश सरकार राष्ट्रीय जल मिशन के तहत हर घर में नल का सपना साकार करने जा रही है। यह अंशदायिनी योजना है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार का कुल खर्च में आधे-आधे का अंशदान होगा। इस योजना के तहत मुख्य पाइप लाइन से हितग्राही के घर तक कनेक्शन के लिए पंचायत कुल खर्च का सामान्य वर्ग से 10 प्रतिशत और एससी-एसटी से 5 प्रतिशत लेगी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए एक पैनल बनाया जाएगा, जिसमें कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला समिति और पंचायतों की एक उपसमिति भी शामिल होगी। यह पैनल योजना का रेट तय करेगा। उसके बाद लघु उद्योग निगम के माध्यम से टेंडर निकाला जाएगा। इस योजना को 4 साल में पूरा करना है। प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत काफी सक्रिय हैं। इसकी वजह यह है कि वे एक पीएचई के इंजीनियर के पुत्र हैं। अत: उन्हें देशभर में पेयजल की स्थिति का पूरा ज्ञान है।
गौरतलब है कि केंद्र द्वारा लक्ष्य को वर्ष 2024 के स्थान पर वर्ष 2023 तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं, तदानुसार योजना का पुनर्निर्धारण कर मिशन मोड में कार्य किया जाएगा। इस वर्ष केंद्र सरकार मिशन के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश को 1280 करोड़ रुपए का बजट देगी। इतनी ही राशि राज्य सरकार मिलाएगी। इसके साथ इस बार मध्यप्रदेश को लगभग 6500 करोड़ रुपए मनरेगा के अंतर्गत प्रदाय किए जाएंगे। मनरेगा में 65 प्रतिशत राशि जल संबंधी कार्यों के लिए खर्च की जानी है। अत: इसमें से भी कुछ राशि का उपयोग जल जीवन मिशन के लिए किया जा सकता है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश में घर पर नल के माध्यम से जल प्रदाय से शेष लगभग 85 प्रतिशत (103.67 लाख) परिवारों को एफएचटीसी (फंक्शनल हाऊसहोल्ड टैप कनेक्शन) के माध्यम से वर्ष 2023-24 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। इस योजना के तहत मवेशियों के लिए भी पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
पीएचई के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने बताया कि भारत के कुल क्षेत्रफल में 2 प्रतिशत जमीन, 4 प्रतिशत पानी, 15 प्रतिशत जानवर और 18 प्रतिशत मनुष्य हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के कुल 321 गुणवत्ता प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल इस वर्ष के अंत तक उपलब्ध करवा दिया जाएगा। वर्ष 2020-21 की प्रस्तावित कार्ययोजना में अधिक से अधिक अजा-अजजा बाहुल्य गांवों में कार्य प्रारंभ कराए जाएंगे। सांसद आदर्श ग्राम तथा आकांक्षी जिलों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। जल निगम द्वारा 1231 करोड़ की 19 समूह योजनाओं को पूरा कर लिया गया है, जिनके माध्यम से प्रदेश के 805 गांवों में 1 लाख 31 हजार से अधिक क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान किए गए हैं। जल निगम के अंतर्गत वर्तमान में 39 समूह योजनाओं में 8 हजार 375 करोड़ रुपए के कार्य प्रगति पर हैं। नल-जल योजनाओं के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता का पेयजल गांव में मिल सके इसके लिए जिलों की जल प्रयोगशालाओं का चरणबद्ध तरीके से एनएबीएल प्रमाणीकरण कराया जाएगा।
क्या है जल जीवन मिशन?
भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शत-प्रतिशत परिवारों को अच्छी गुणवत्ता का पेयजल निरंतर एवं पर्याप्त मात्रा में प्रदाय कराने के लिए जल जीवन मिशन प्रारंभ किया गया। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को की थी। मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक घर में क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) के माध्यम से 55 लीटर शुद्ध पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपलब्ध कराया जाना निर्धारित किया गया। अब इस लक्ष्य को पूर्ण करने की समय-सीमा वर्ष 2023 कर दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 'जल जीवन मिशनÓ पर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इस मिशन के तहत 2024 तक हर घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से आगे आने और जल संसाधनों के संरक्षण में योगदान देने का भी आग्रह किया। जल जीवन मिशन की शुरुआत 2050 की आवश्यकता को ध्यान में रखकर की गई है। योजना के तहत पानी की उपलब्धता 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन निर्धारित की गई है। वर्षा जल के संचयन के लिए पारंपरिक जल स्त्रोतों के कायाकल्प और आधारभूत संरचना के विकास को प्राथमिकता दी गई है। सरकार ने घरों से निकलने वाले अशुद्ध जल को कृषि में इस्तेमाल करने की योजना तैयार की है, ताकि अशुद्ध जल को नदियों में गिरने से रोका जा सके। मोदी सरकार ने ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने का फैसला किया है। इसके लिए 25 दिसंबर, 2019 को अटल भू-जल योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना का उद्देश्य
भू-जल स्तर को ऊपर उठाना है। योजना पर छह हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना से सात राज्यों के 8,350 गांवों को फायदा होगा।
- नवीन रघुवंशी