राज्यसभा पर रार
03-Mar-2020 12:00 AM 805

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र विकास आघाडी की गठबंधन सरकार बनने के बाद कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में खींचतान जारी है। भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच हो या डाटा संशोधन कानून पर पर उद्धव ठाकरे का रुख या स्वतंत्र वीर सावरकर का मुद्दा हो, इन विषयों को लेकर तीनों ही दलों में कई बार मतभेद दिखा है। भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच एनआईए को सौंपने का शरद पवार विरोध कर चुके हैं, तो वहीं एनसीपी और कांग्रेस के विपरीत उद्धव ठाकरे ने नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर का समर्थन किया है। आने वाले दिनों में यह मतभेद और गठबंधन सरकार में तनाव और भी ज्यादा देखने को मिल सकता है। अप्रैल महीने में महाराष्ट्र की 7 राज्यसभा सीटें खाली हो जाएंगी। इन 7 सीटों पर अपने-अपने दल से राज्यसभा सांसद भेजने के लिए सभी पार्टियां कोशिश कर रही हैं।

महाराष्ट्र में राज्यसभा की कुल 19 सीटें हैं। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 विधायकों वाली सदन में एक राज्यसभा सदस्य को चुनने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होती है। इस वक्त महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के पास 105 विधायक हैं। भाजपा के 105 विधायक और अन्य छोटे दलों के विधायकों के साथ भाजपा 3 लोगों को राज्यसभा भेज सकती है। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 56 विधायक, एनसीपी के 54 विधायक, जबकि कांग्रेस के 44 विधायक हैं। इन तीनों दलों सहित छोटे दलों को मिलाकर बना महाराष्ट्र विकास आघाडी कुल 4 लोगों को राज्यसभा भेज सकता है। मौजूदा समीकरण के मुताबिक शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के 1-1 राज्यसभा सांसद होंगे लेकिन चौथा राज्यसभा सांसद महाराष्ट्र विकास आघाडी के किस दल का होगा इस पर खींचतान जारी है।

महाराष्ट्र की सात राज्यसभा सांसद जिनका कार्यकाल खत्म हो रहा है उसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार, एनसीपी नेता माजिद मेमन, कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई, शिवसेना के राजकुमार धूत, आरपीआई के रामदास आठवले, भाजपा के अमर पंडित और भाजपा के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने संजय काकडे हैं। एक तरफ जहां एनसीपी चाहती है कि राज्यसभा सांसद की चौथी सीट पर एनसीपी का नेता बैठे, वहीं कांग्रेस चाहती है कि चौथी सीट का उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी से हो क्योंकि कांग्रेस को महाराष्ट्र सरकार में कम साझेदारी मिली है। जबकि शिवसेना का कहना है कि चौथी सीट पर राज्यसभा सांसद कौन चुना जाएगा इसका फैसला महाराष्ट्र विकास आघाडी के नेताओं के बीच आम सहमति से बनेगा।

भाजपा अपने विधायकों के दम पर 3 लोगों को राज्यसभा में भेज सकती है। भाजपा अपने सहयोगी दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले को एक बार फिर मौका दे सकती है। वहीं सातारा में हुए लोकसभा उपचुनाव में अपनी लोकसभा सीट गंवाने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले को भाजपा राज्यसभा भेज सकती है। तीसरी सीट के लिए भाजपा किसी पार्टी के वरिष्ठ नेता को राज्यसभा भेज सकती है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार एक बार फिर राज्यसभा में अगले 6 साल के कार्यकाल के लिए दिख सकते हैं। वहीं कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लगभग 1 साल पहले कांग्रेस छोड़कर शिवसेना से जुडऩे वाली प्रियंका चतुर्वेदी को शिवसेना अपने कोटे से राज्यसभा भेज सकती है। 

राज्यसभा में इस साल विपक्षी ताकत के और कमजोर होने की संभावना है। इस वर्ष राज्यसभा की 68 सीटें खाली हो रही हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस को इसमें कई सीटें गंवानी पड़ सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक, कई राज्यों में स्थिति कमजोर होने के चलते कांग्रेस इस साल खाली होने वाली अपनी 19 में से 9 सीटें गंवा सकती है। यह स्थिति तब है जब अटकलें है कि पार्टी प्रियंका गांधी वाड्रा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और रणदीप सुरजेवाला सहित कुछ बड़े लोगों को उच्च सदन में लाने पर विचार कर रही है। कांग्रेस अपने दम पर 9 सीटों को बरकरार रखने और अपने सहयोगियों की मदद से एक या दो और सीटें जीतने को लेकर आश्वस्त है। पार्टी उन राज्यों में सीटें हासिल करने के लिए तैयार है, जहां वह सत्ता में है। इनमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल, जून और नवंबर में 68 रिक्त सीटों को भरने के लिए चुनाव होने के बाद विपक्षी ताकत में कमी आएगी। इसके साथ ही एनडीए धीरे-धीरे ऊपरी सदन में बहुमत की ओर बढ़ सकता है। गौरतलब है कि अप्रैल में राज्यसभा की 51 सीटें, जून में 5, जुलाई में 1 और नवंबर में 11 सीटें रिक्त होनी हैं।

इन राज्यों से भी रिक्त हो रही सीटें

राज्यसभा में महाराष्ट्र से 6 सीटें रिक्त हो रही हैं, जिनमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार की सीट भी शामिल है। इसके अलावा तमिलनाडु से भी 6 सीटें खाली हो रही हैं, जबकि पश्चिम बंगाल और बिहार से पांच-पांच और गुजरात, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश से चार-चार सीटें रिक्त होंगी। कांग्रेस राजस्थान से खाली हो रही राज्यसभा की तीन में से दो सीटें रख सकती है, जबकि मध्यप्रदेश से तीन में से दो, छत्तीसगढ़ से दो, महाराष्ट्र और कर्नाटक से एक-एक सीट जीत सकती है। पार्टी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मेघालय और असम से सीटें गंवाएगी। सत्तारूढ़ एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है और सरकार को उच्च सदन में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने के लिए अन्नाद्रमुक और बीजद जैसे मित्र दलों का समर्थन प्राप्त करना होता है। राज्यसभा में भाजपा के सबसे अधिक 82 सदस्य हैं और कांग्रेस के 46 सदस्य हैं। उच्च सदन की कुल क्षमता 245 है। राज्यसभा में 12 नामित सदस्य हैं, जिनमें से 8 भाजपा से जुड़े हैं।

-  बिन्दु माथुर

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^