20-Nov-2020 12:00 AM
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संघ प्रमुख मोहन भागवत की हर गतिविधि को राजनीति से जोड़कर देखा जाता है। खासकर संघ प्रमुख जब भी मप्र आते हैं तो उसके राजनीतिक मायने निकाले जाते हैं। नवंबर के पहले पखवाड़े में संघ प्रमुख 4 दिन भोपाल में रहे। इस दौरान
5 और 6 नवंबर को बैठक आयोजित कर पदाधिकारियों के साथ मंथन हुआ। इस बार के मंथन में राजनीति पर नहीं बल्कि राष्ट्रनीति पर चर्चा की गई। संघ प्रमुख ने पदाधिकारियों के साथ कोरोना संक्रमण के दौरान चलाए गए कार्यों के साथ ही प्रवासी मजदूरों के रोजगार पर चर्चा की।
मप्र में विधानसभा की 28 सीटों के उपचुनाव के ठीक एक दिन बाद यानी 4 नवंबर को संघ प्रमुख मोहन भागवत भोपाल पहुंचे तो राजनीतिक हलचलें तेज हो गईं। प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। कोई उनके इस दौरे को उपचुनाव से जोड़कर देख रहा था तो कोई सरकार बनाने से लेकर। लेकिन राजधानी के शारदा विहार में 2 दिन तक क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की।
दरअसल, संघ कोरोना वायरस के कारण देश में आई आपदा को अवसर में बदलने में जुटा हुआ है। इसके तहत संघ लोगों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराने में जुटा हुआ है। इसी की समीक्षा के लिए मोहन भागवत बार-बार भोपाल आ रहे हैं।
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि बैठक में संघ प्रमुख ने मार्च से नवंबर तक के कार्यों की समीक्षा की। भोपाल से पहले ये बैठक बेंगलुरु में आयोजित हुई थी। भोपाल की बैठक में संघ के मध्यक्षेत्र (मध्यभारत, मालवा, महाकौशल और छत्तीसगढ़) की प्रांत टोली, क्षेत्र टोली और मध्य क्षेत्र में रहने वाले केंद्रीय अधिकारी मौजूद थे। दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हर साल अखिल भारतीय स्तर पर कार्यकारी मंडल की बैठक करता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण यह बैठक केंद्रीय स्तर पर आयोजित न होकर क्षेत्रवार की जा रही है। संघ की भौगोलिक रचना के अनुसार पूरे देश में 11 क्षेत्र हैं जिनमें से एक मध्य क्षेत्र भी है। इसी मध्य क्षेत्र की बैठक 5 और 6 नवंबर को भोपाल में हुई।
गौरतलब है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के भोपाल में लगातार दौरे हो रहे हैं। इससे पहले बीते 5 महीने के भीतर ही संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन बार भोपाल आ चुके हैं। भोपाल में उन्होंने न केवल प्रांतीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों के साथ भी अहम बैठकें की हैं। यह माना जा रहा है कि संघ मप्र में अपनी पैठ और मजबूत कर रहा है जो संगठन के साथ-साथ राजनीतिक तौर पर भी अहम माना जा रहा है। संघ की नजर कहीं न कहीं मप्र में लगातार बदलते राजनीतिक घटनाक्रम पर भी है। लेकिन उससे अधिक कोरोनाकाल की गतिविधियों पर इस समय संघ का फोकस है।
संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि कैसे प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों और कस्बों में काम मिले संघ इसकी योजना बना रहा है। इसका पूरा फोकस सरकार के द्वारा आत्मनिर्भर के आव्हान पर रखा गया है। संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संगठन के स्वयंसेवकों ने प्रवासी श्रमिकों के लिए जिला स्तर पर एक सर्वेक्षण किया था। पदाधिकारी के अनुसार, सर्वे में पता चला कि कुछ लोग तो जहां जिस शहर में काम करते थे वहां वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है जबकि अधिकतर ने कहा है कि वे अपने गांवों और कस्बों में ही नौकरी करना चाहते हैं।
फीडबैक के आधार पर, संघ अपने गांवों के विकास के माध्यम से उन संस्थानों तक पहुंच बना रहा है जो प्रवासी श्रमिकों को नौकरियों में मदद कर सकते हैं। संघ ने कृषि से संबंधित गतिविधियों में लगे इंस्टीट्यूट से भी इस मामले में संपर्क किया है जो प्रवासियों को नौकरी दे सकते हैं। इस अधिकारी ने आगे कहा कि प्रवासियों में से अधिकांश उप्र, पश्चिम बंगाल, मप्र और बिहार वापस लौट गए थे। इसी अधिकारी ने बताया, कई प्रवासी श्रमिकों ने कहा कि उनके मौजूदा स्किल के आधार पर, वे अपने गांव और कस्बों में ही नौकरी करना चाहते हैं। इसी फीडबैक के आधार पर संघ श्रमिकों को रोजगार देने की कार्ययोजना बना रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर कहते हैं कि सेवा, अनुशासन, संयम और देशभक्ति ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान है। देश पर कोई भी आंच आने पर संघ अग्रिम पंक्ति में खड़ा होकर राष्ट्र व समाज की मदद के लिए सेवा कार्य करता रहा है। कोरोनाकाल में भी संघ द्वारा वृहद स्तर पर जरूरतमंदों के लिए मुहिम जारी रही। उन्होंने बताया कि विशेष तौर पर राष्ट्र व संस्कृति की अलख जगाने के लिए संघ द्वारा कुटुंब शाखाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें स्वयंसेवक अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर उन्हें देशभक्ति व संस्कारों की सीख दे रहे हैं। इसमें नए परिवारों को भी जोड़ा जा रहा है।
सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने बताया कि संघ समय के साथ-साथ व परिस्थितियों के अनुसार अपने में परिवर्तन करता रहा है। कुटुंब शाखा उसी का एक उदाहरण है। कोरोना संक्रमण के चलते संघ ने पहली बार सामूहिक शाखा को निरस्त किया। ऐसे में स्वयंसेवकों को सक्रिय बनाए रखने के लिए कुटुंब शाखा का संचालन हो रहा है। जिसमें स्वयंसेवक परिवार के साथ संघ के विचार व सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं। महापुरुषों की गौरव गाथा के बारे में भी युवा पीढ़ी को जानकारी दी जा रही है।
कुटुंब शाखा के बारे में नरेंद्र ठाकुर ने बताया कि इसके माध्यम से लाखों की संख्या में लोग जुड़े। साथ ही संस्कारों को पुनर्जीवित करने और अगली पीढ़ी के व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया में गति आई है। उप्र-उत्तराखंड के प्रचार प्रमुख कृपाशंकर कहते हैं कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में स्वयंसेवक बिना भेदभाव किए मदद के लिए आगे आ रहे हैं। संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख अजय मित्तल ने बताया कि लॉकडाउन में संघ ने आगे बढ़कर सेवा कार्य किए। मप्र में भी संघ के स्वयंसेवकों ने हर जिले में जरूरतमंदों के यहां भोजन के साथ ही अन्य आवश्यक वस्तुएं पहुंचाई।
देश का हृदय प्रदेश होने के कारण संघ प्रमुख के दिशा-निर्देश पर संघ भोपाल को केंद्र में रखकर देशभर में कोरोनाकाल में सामाजिक कार्य कर रहा है। इसलिए संघ प्रमुख लगातार मप्र का दौरा कर कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। दो दिवसीय इस बैठक के पहले दिन कोरोनाकाल के दौरान संघ की भूमिका पर चर्चा हुई। इस दौरान तय किया गया कि अगले दो साल तक सेवा कार्य में फोकस रहेगा इसके लिए संघ का चेहरा बदलने की तैयारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात भी की।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संघ का फोकस सेवा भारती और विद्या भारती सामाजिक गतिविधियों को बढ़ाने पर रहेगा। संघ मूल रूप से शाखा आयोजित करता है, लेकिन इसके साथ अनुषांगिक संगठन विद्यार्थी परिषद और मजदूर संघ भी सक्रिय भूमिका में हैं। बैठक में तय किया गया है कि सेवा भारती और विद्या भारती को ज्यादा महत्व दिया जाएगा, ताकि समाज के बीच अधिक से अधिक काम हो सके। हालांकि इसका लाभ भविष्य में भाजपा को ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर होगा। संघ के पदाधिकारी यह भी मानते हैं कि अब समय के साथ बदलाव भी जरूरी है।
संघ के सूत्र बताते हैं कि कोरोनाकाल में वर्चुअल शाखा संघ के जीवन का हिस्सा बन चुकी है। संघ ने अपने प्रचारकों के साथ इस बात पर मंथन भी किया था कि वर्चुअल शाखा संघ के दैनिक जीवन का हिस्सा कैसे बन सके जो कोरोनाकाल में सफल रहा। कोरोनाकाल के लंबा रहने से संघ ने अपनी गतिविधियों को वर्चुअल माध्यम से जारी रखा और संघ काफी हद तक वर्चुअल प्लेटफार्म को अब स्वीकार कर चुका है। परिवार शाखाओं में शामिल होने वाले संघ के स्वयंसेवक भी वर्चुअल माध्यम से जुड़कर राष्ट्रवाद की भावनाएं एक-दूसरे को साझा कर रहे हैं।
अब छोटी-छोटी टोलियों में लगेंगी शाखाएं
भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्षेत्रीय बैठक के तीसरे दिन सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा कि कोरोनाकाल में संपर्क में आए नए कार्यकर्ताओं को सामाजिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाए, क्योंकि सरकारों के भरोसे समाज में परिवर्तन संभव नहीं है। बैठक में निर्णय लिया गया कि अब छोटी-छोटी टोलियों में शाखाएं लगाई जाएंगी। स्वावलंबन का भाव समाज में स्थाई रूप से स्थापित हो, इसके लिए प्रयास करना है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोनाकाल में किए गए सेवा कार्य से समाज में संघ के प्रति विश्वास बढ़ा है। बैठक में सरकार्यवाह भैयाजी जोशी के अलावा मध्य प्रांत के पदाधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में पदाधिकारियों ने बताया कि देशभर में पर्यावरण संरक्षण हेतु स्वयंसेवकों द्वारा कई प्रकल्प चलाए जा रहे हैं, जिसमें जल संरक्षण के लिए संघ के विभिन्न संगठन तथा कार्यकर्ता बोरी बंधान करके जल को संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। बैठक में कोरोनाकाल के दौरान संघ की भूमिका पर चर्चा हुई। इस दौरान तय किया गया कि अगले दो साल तक सेवा कार्यो पर ही फोकस किया जाएगा। यानी सेवा भारती को ज्यादा महत्व दिया जाएगा, ताकि समाज के बीच अधिक से अधिक काम हो सके। हालांकि इसका लाभ भविष्य में भाजपा को ही होगा।
मलिन से मुस्लिम बस्तियों तक
संघ के एक पदाधिकारी कहते हैं कि 'संघ किरण घर-घर देने को अगणित नंदादीप जलें, मौन तपस्वी साधक बनकर हिमगिरि सा दिनरात गलें।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा गीत के ये शब्द स्वयंसेवकों पर अक्षरश: खरे उतरते हैं। आपदा की जिस घड़ी में लोग अपने घरों से निकलना सुरक्षित नहीं मानते। वहां हजारों स्वयंसेवक अपनी परवाह किए बगैर गरीबों और जरूरतमंदों की भूख मिटाने में जुटे हैं। बिना प्रचार-प्रसार के उनकी मौन साधना सुबह चाय वितरण से देर रात भोजन बांटने तक चलती है। जरूरतमंद लोगों की भूख मिटाने का काम संघ की ओर से किया जा रहा है। सामान्य दिनों में शाखा के जरिए समाज को मानसिक और वैचारिक रूप से स्वस्थ बनाने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस आपदाकाल में सबसे बड़ी चुनौती का बीड़ा उठाए हुए है। यह कार्य है लॉकडाउन के कारण घरों में बंद हुए लोगों तक भोजन पहुंचाने का। इसके लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई है। इसके तहत स्वयंसेवकों ने घर-घर तक पका हुआ भोजन से लेकर राशन सामग्री पहुंचाना शुरू कर दिया। यह सेवा कार्य समान रूप से चल रहा है, चाहे वह हिंदू बाहुल्य इलाका हो या फिर मुस्लिम बाहुल्य कैंट। क्षेत्र की मजदूर व मुस्लिम बस्तियों में भोजन पहुंचाने का दायित्व संभाल रहे संदीप कहते हैं कि सेवा कार्य में भेदभाव कैसा? संघ सबको समान मानता है। सुबह से लेकर देर रात तक सारे प्रबंध देखने वाले कानपुर पश्चिम के जिला प्रचारक प्रवीण थक जाते होंगे? इस सवाल पर वे कहते हैं कि दूसरों की सेवा से जो आनंद मिलता है, वह थकावट आने ही नहीं देता। स्वयंसेवक तो अर्हिनश काम करता है।
- कुमार राजेन्द्र