पूंजीवाद का दंभ टूटा
17-Apr-2020 12:00 AM 1211

 

कोरोना वायरस के खतरे को लेकर ढह गई अर्थव्यवस्था में भारी मात्रा में धन झोंकना भयभीत सरकार की हताश नीतियों में शामिल है। आर्थिक नियंत्रण करने वाला वर्ग धन का सृजन करता है और इसे बड़े निगमों और विशेष रूप से बड़े बैंकों को उन्हें संकट से उबरने के लिए बेहद कम ब्याज दरों पर उधार देते हैं। सरकारी खजाने ढह गई अर्थव्यवस्था को वापस पाने के लिए बहुत बड़ी रकम उधार देती है, जिसकी वे सामान्य के तौर पर कल्पना करते हैं अर्थात वायरस आने से पहले की अर्थव्यवस्था पाने पर ध्यान केंद्रित करता है। पूंजीवाद के नेता अपने वैचारिक बाधाओं के कारण नीतिगत विफलताओं की तरफ जा रहे हैं।

कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मैं पूंजीवाद और इसकी कमजोरियों की आलोचना पर ध्यान केंद्रित करता हूं जो इसने कई कारणों से इकट्ठा कर लिया है। वायरस प्रकृति का हिस्सा हैं। इसने मनुष्यों पर हमला किया है और कभी-कभी तो खतरनाक रूप से पहले भी और हाल के इतिहास में हमला किया है। साल 1918 में स्पैनिश फ्लू के चलते संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 7,00,000 लोग मारे गए और अन्य जगहों पर लाखों लोगों की मौत हुई। हाल के वायरस में सार्स, मेर्स और इबोला शामिल हैं। लोगों के स्वास्थ्य के लिए जो मायने रखता है वह प्रत्येक समाज की तैयारी है। इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए बड़ी संख्या में जांच करना, मास्क, वेंटिलेटर, अस्पताल में बिस्तर, प्रशिक्षित कर्मी आदि का होना जरूरी है। अमेरिका में, ऐसी वस्तुएं निजी पूंजीवादी उद्यमों द्वारा उत्पादित की जाती हैं जिनका लक्ष्य लाभ कमाना ही है। ऐसी वस्तुओं का उत्पादन करना और भंडारण करना लाभदायक नहीं था, जो पहले था ही नहीं और अभी भी नहीं किया जा रहा है।

न ही अमेरिकी सरकार ने उन चिकित्सा उत्पादों का उत्पादन किया या भंडारण किया। शीर्ष अमेरिकी सरकारी कर्मचारी निजी पूंजीवाद को विशेषाधिकार देते हैं; सुरक्षा और मजबूती देना उनका प्राथमिक उद्देश्य है। इसका परिणाम यह है कि न तो निजी पूंजीवाद और न ही अमेरिकी सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य और उनकी रक्षा करने और ध्यान रखने के लिए किसी भी आर्थिक व्यवस्था का सबसे बुनियादी कर्तव्य निभाया। दिसंबर 2019 से शुरू हुए कोरोनावायरस महामारी के लिए अमेरिकी पूंजीवाद की स्थिति स्पष्ट है जो बहुत धीमी है। यह विफल हो गई है। यही वह समस्या है।

पूंजीवाद पर ध्यान देने का दूसरा कारण है कि ट्रम्प, जीओपी और अधिकांश डेमोक्रेट द्वारा मौजूदा आर्थिक पतन को लेकर प्रतिक्रियाएं जो पूंजीवाद की किसी भी आलोचना से सावधानीपूर्वक बचते हैं। ये सभी वायरस, चीन, विदेशियों और अन्य नेताओं को लेकर चर्चा करते हैं लेकिन कभी भी ये सभी उस व्यवस्था के बारे में चर्चा नहीं करते जिसमें रहकर वे काम करते हैं। जब ट्रम्प और अन्य नेता अपने और दूसरों के जीवन को खतरे में डालने के बावजूद चर्चाओं और नौकरियों पर लौटने के लिए दबाव डालते हैं तो ऐसे में वे लोगों की सेहत से पहले एक ढहते हुए पूंजीवाद को पुनर्जीवित करते हैं। तीसरा कारण पूंजीवाद को यहां दोष ठहराया जाता है कि वैकल्पिक व्यवस्थाएं 'जो पहले लाभ वाले तर्क द्वारा संचालित नहीं होती हैं’ वायरस को उचित तरीके से निपटा सकती हैं।  

पूंजीवाद अक्सर तत्काल सामाजिक जरूरतों और मूल्यों की कीमत पर लाभ अर्जित करता है। इसमें पूंजीवाद पूरी तरह अप्रभावशाली होता है। यह महामारी अब उस सत्य को लोगों तक पहुंचा रही है। बेशक, अब सर्वोच्च प्राथमिकता लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को पहले रखना है। इस प्रकार से देशभर के कर्मचारी असुरक्षित नौकरी की स्थिति में काम करने के आदेशों को मानने से इनकार करने के बारे में सोच रहे हैं। अमेरिकी पूंजीवाद ने इस प्रकार आज के सामाजिक एजेंडे पर एक आम हमला किया है। महामारी के सामने पूंजीवाद की विफलता से सीखना दूसरी प्राथमिकता है। हमें इस तरह के खतरनाक और अनावश्यक सामाजिक बिखराव को दोबारा नहीं झेलना चाहिए। इस प्रकार सिस्टम का बदलाव अब आज के सामाजिक एजेंडे पर भी चल रहा है।

शेयर बाजार को चुकानी पड़ी बड़ी कीमत

नीतियों की इस समस्या का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना था जो वायरस की चपेट में आने से पहले था। साल 2019 तक वैश्विक पूंजीवाद वर्ष 2020 में पतन का खुद एक प्रमुख कारण था। 2000 और 2008-2009 की घटनाओं से पूंजीवाद का जख्म ठीक नहीं हुआ। जिन वर्षों में कम ब्याज दर रहे उन वर्षों ने निगमों और सरकारों को लगभग शून्य ब्याज दर की लागत पर असीमित उधार लेकर उनकी सभी समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाया था। केंद्रीय बैंकों द्वारा अर्थव्यवस्थाओं में लगाए गए कुल नए पैसे वास्तव में मुद्रास्फीति की आशंका पैदा कर रहे थे, लेकिन मुख्य रूप से शेयर बाजारों में इनकी कीमतें खतरनाक तरीके से चक्कर काट रही थी जो मौलिक आर्थिक मूल्यों और वास्तविकताओं से बहुत दूर थी। आय और धन की असमानताएं ऐतिहासिक ऊंचाइयों तक पहुंच गईं। संक्षेप में, पूंजीवाद ने एक और घटना के लिए असुरक्षा का निर्माण किया था जो संभावित कारण की किसी भी संख्या को उजागर कर सकता था। इस बार ये कारण 2000 का डॉट.मेल्टडाउन (इंटरनेट आधारित घटना) या 2008/09 का सब-प्राइम मेल्टडाउन नहीं था; यह एक वायरस था। और निश्वित रूप से, मुख्यधारा की विचारधारा को इस कारण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, न कि कमजोरियों पर। इस प्रकार मुख्यधारा की नीतियों को इस वायरस के आने से पहले वाले पूंजीवाद को फिर से स्थापित करने का लक्ष्य है।

- अक्स ब्यूरो

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