मप्र में सरकार ने पिछले दिनों एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करते हुए आधा सैकड़ा आईएएस अफसरों को इधर से उधर किया। इस तबादले में जहां कई अफसर मुख्य धारा में आ गए वहीं कई लूप लाइन में चले गए। माना जा रहा है कि शासन-प्रशासन को गति देने के लिए यह जमावट की गई है।
मप्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार ने एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री और इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव बनने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द ही सरकार प्रशासनिक बदलाव करेगी। लेकिन इतने बड़े स्तर पर तबादले होंगे, यह किसी ने अनुमान नहीं लगाया था। इस तबादले में 50 आईएएस अफसरों को इधर से उधर किया गया। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने अपनी सहूलियत के हिसाब से अफसरों को शतरंज की बिसात की तरह सेट किया है। दरअसल, परंपरा भी यही रही है कि हर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव अपने हिसाब से प्रशासनिक जमावट करते हैं ताकि वे अपनी योजनाओं का ठीक से क्रियान्वयन कर सकें। हालांकि इस प्रशासनिक जमावट को कांग्रेस ने तबादला उद्योग कहा है। लेकिन पहली नजर में ही कांग्रेस के इस आरोप में दम नहीं है। क्योंकि अधिकांश वे ही अफसर मुख्यधारा में हैं, जो पात्र हैं। कुछ को अपवाद मान सकते हैं। हालांकि, प्रशासनिक जमावट का एक चरण अभी बाकी है। यह लॉकडाउन खत्म होने और मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अगले माह तक होगा। इसमें कलेक्टर से लेकर मंत्रालय स्तर तक जिम्मेदारियों में बदलाव किया जाएगा।
वहीं, मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी राधेश्याम जुलानिया की भूमिका भी अभी तय होना बाकी है। उन्हें केंद्र सरकार ने एकतरफा मध्य प्रदेश के लिए कार्यमुक्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक अभी जो प्रशासनिक फेरबदल हुआ है, उसमें कोरोना के मद्देनजर मैदानी स्तर पर बदलाव नहीं किए गए हैं। जबकि कुछ कलेक्टरों को हटाया जाना प्रस्तावित है। कुछ अधिकारी, जो विभिन्न कार्यालयों में पदस्थ हैं, उन्हें मैदानी पदस्थापनाएं दी जानी हैं। इसके लिए उन्हें कुछ समय रुकने का आश्वासन सत्ता और संगठन के स्तर से मिला है।
ताजा फेरबदल में कुछ ऐसे अफसरों को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो कड़क मिजाज के माने जाते हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने अपनी इस जमावट से यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार को अब दाम वाले नहीं, बल्कि काम और अच्छे नाम वाले अफसरों पर भरोसा है। उदाहरणार्थ वाणिज्य कर विभाग को ही ले लें। ईमानदार पहचान के साथ अब तक मुख्यधारा के पदों से बाहर रहे मनोज गोविल वाणिज्य कर में किसी अपवाद की तरह नजर आ रहे हैं। इस मलाईदार महकमे की कमान गोविल जैसे लो प्रोफाइल अफसर को देना यकीनन सकारात्मक बदलाव का संकेत है। इसी तरह महिला एवं बाल विकास जैसे कमाऊ विभाग की कमान अशोक शाह जैसे ईमानदार अफसर को देना इस बात का संकेत है कि इस बार मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। इसी तरह नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव बनाए गए नीतेश व्यास, जनसंपर्क महकमे में दूसरी बार पदस्थ प्रमुख सचिव अनुपम राजन तथा आयुक्त सुदाम खाड़े भी ईमानदार अफसरों की श्रेणी में आते हैं। शिवराज ने अपने इस कार्यकाल में अपने प्रमुख सचिव के तौर पर मनीष रस्तोगी का चयन करके ही संकेत दे दिए थे कि सरकार को अच्छे काम वाले अफसरों पर भरोसा है। कोरोना वायरस के साथ ही प्रदेश में जल संकट का दौर भी शुरू होने वाला है। ऐसे में जल संसाधन विभाग में डीपी आहूजा को पदस्थ किया गया है। आहूजा की गिनती सुस्त अफसरों में की जाती है। ऐसे में वे प्रदेश को जल संकट से कैसे निकाल पाएंगे, यह सवाल प्रशासनिक वीथिका में बना हुआ है।
वहीं शिवराज सरकार ने जो प्रशासनिक बदलाव किया, उसमें अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया, प्रमुख सचिव पंकज राग, कल्पना श्रीवास्तव को कम महत्व के विभाग दिए गए हैं। कंसोटिया को सिर्फ पशुपालन विभाग दिया है, जिसमें बेहद सीमित काम है। वहीं, पंकज राग से संस्कृति लेकर संसदीय कार्य और खेल एवं युवा कल्याण विभाग दिया है। भोपाल कमिश्नर पद से हटाने के बाद उम्मीद थी कि प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव को अच्छी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी पर उन्हें उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग दिया है, जो हमेशा कृषि पर आधारित रहते हैं। कोरोना संकट के दौरान बीमार पड़े स्वास्थ्य महकमे की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोविल को मुख्यधारा से दूर रहने वाले आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में पदस्थ किया है। अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान से भी महत्वपूर्ण विभाग ऊर्जा ले लिया है। उनके पास स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी राहत और प्रवासी भारतीय जैसे विभाग हैं। भोपाल गैस त्रासदी राहत और प्रवासी भारतीय विभाग को छोड़कर सभी विभागों में प्रमुख सचिव और आयुक्त पदस्थ हैं। फैज अहमद किदवई को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और पर्यटन विभाग से हटाया गया है।
इसी तरह राजेश बहुगुणा को राजस्व मंडल, मोहनलाल मीना प्रबंध संचालक खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और रेनू तिवारी आयुक्त सामाजिक न्याय पर पदस्थ किया गया है। वहीं संजय दुबे को ऊर्जा विभाग देकर कद बरकरार रखा गया है। मलय श्रीवास्तव को उनकी मेहनत और ईमानदारी को देखते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है। उधर, अपनी ईमानदार छवि के लिए ख्यात संजय शुक्ला को उद्योग विभाग जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया है। अमित राठौर को वित्त और दीपाली रस्तोगी को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग देकर भरोसा जताया है। राजीव चंद्र दुबे को आबकारी आयुक्त, अजीत कुमार को आयुक्त नगर तथा ग्राम निवेश, आशीष सक्सेना को आयुक्त सहकारिता, श्रीमन शुक्ला को प्रबंध संचालक सड़क विकास निगम, स्वाति मीणा नायक को संचालक महिला एवं बाल विकास, छवि भारद्वाज को मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में पदस्थ कर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार ने कई ऐसे अफसरों को महत्वपूर्ण विभाग इसलिए दिया है कि वह भविष्य के लिए उन्हें तैयार कर रही है।
छोटे विभागों को बड़े नाम
मुख्यमंत्री ने इस बदलाव में छोटे विभागों में बड़े नाम वाले अफसरों को पदस्थ किया है। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा कमजोर विभागों को भी महत्वपूर्ण बनाने के लिए इन अफसरों को उन विभागों में पदस्थ किया गया है। इनमें डॉ. राजेश राजौरा, मनु श्रीवास्तव, पी. नरहरि जैसे अफसर भी शामिल हैं, जो पिछली शिवराज सरकार की आंखों के तारे रहे थे। अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी, जेएन कंसोटिया, मलय श्रीवास्तव आदि अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त है, जो दोनों सरकारों में काबिल माने गए। सबसे बड़ा उदाहरण प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल हैं। वे लंबे समय तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के प्रमुख सचिव रहे। लेकिन इस बार इन अफसरों को महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिले हैं।
- सुनील सिंह