अक्षम्य लापरवाही
20-Nov-2014 02:06 PM 1234900

मोक्षदायिनी, पुण्यसलिला माँ नर्मदा का पानी भोपाल के गली-मोहल्लों में व्यर्थ बह रहा है। जिस पवित्र जल को घरों में संभाल कर रखा जाता था, वह जल भोपाल में नगर-निगम की लापरवाही के चलते बेकार फिंक रहा है। जहां-जहां पाइपलाइनें डली हैं, उनमेें से ज्यादातर इलाकों मेंं वे फूट चुकी हैं और उनसे गंदगी फैल रही है। कीचड़ मचने के बावजूद नगर-निगम सो रहा है। इससे अच्छा तो यह रहता कि नगर-निगम पाइपलाइन डालकर साल-दो साल टैस्टिंग करता रहता, फिर पुख्ता काम होने पर ही नर्मदा का पवित्र जल घरों में पहुंचाया जाता।

द्यदीपेश जोशी, उज्जैन

चीन परेशान क्यों?

भारत अपनी जमीन पर विकास कर रहा है तो चीन को तकलीफ क्यों हो रही है। एक तरफ चीन भारत में निवेश बढ़ाना चाहता है और भारत की अधोसंरचना में अपना योगदान देने का मकसद रखता है, दूसरी तरफ वह विकसित होते भारत को बर्दाश्त करने से भी पीछे हटता है। चीन के दोगलेपन को समझना और उसका माकूल जबाव देना परम आवश्यक है।

द्यप्रवेश कुमार, दिल्ली

सख्त कानून बने

टोहनी और डायन की घटनाएं ज्यादातर निम्र तबके में होती हैं, जिन्हें बहुत से मामलों में कानूनन इम्यूनिटी प्राप्त है। इसलिए छोटी-मोटी सजा पाकर ये लोग छूट जाते हंै। अब समय आ गया है कि इन घटनाओं पर सख्त कानून बनाए जाएं, जिनमें उन लोगों को भी सजा देने का प्रावधान हो जो ऐसी घटनाओं के लिए प्रेरक का काम करते हैं। बहुधा डायन और टोहनी की घटनाएं समाज के प्रभावशाली लोगों के बहकावे में आकर की जाती हैं। इसलिए सबसे पहले इन लोगों को बुक करते हुए दंडात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।

द्यसुमन सारस्वत, रायपुर

नरेगा बंद न हो

नरेगा जैसी योजनाओं को बंद करने का दुष्परिणाम बेरोजगारी और गरीबी के रूप में देखने को मिल सकता है। भले ही इस योजना में लाख कमियां थीं, लेकिन इस योजना ने भारत के गरीब तबके को सबल बनाने में व्यापक योगदान दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में नरेगा के कारण जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार भी देखने को मिला है। इस योजना में भ्रष्टाचार को तकनीकी सुधार द्वारा रोका जा सकता है। इस योजना को सारे देश में लागू करते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश की जानी चाहिए।

द्य रमेश पाठक, रतलाम

बाजार का विकल्प

ऑनलाइन शॉपिंग घर बैठे बाजार का विकल्प उपलब्ध करा रही है। यह बाजार की अवधारणा को आने वाले समय में खासा नुकसान पहुंचाएगी। इस बदलते चलन ने उन लाखों दुकानदारों के लिए भी अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है जो अपनी रोजी-रोटी छोटी-छोटी दुकानों के जरिए चला रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि मॉल्स, ऑनलाइन शॉपिंग और सुपर मार्केट मिलकर स्वरोजगार करने वाले तमाम लोगों को बेरोजगारी पर विवश कर दें। यदि ऐसा हुआ तो भारत में एक नई समस्या पैदा हो जाएगी।

द्य रमेश वैश्य, गाजियाबाद

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