19-Nov-2014 06:42 AM
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इसमें क्या करें और क्या ना करें?
ज्योतिष शास्त्र के मुहूर्त प्रकरण में पांच नक्षत्रों को पंचक की श्रेणी में रखा गया है। (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र) इन पांच नक्षत्रों को पंचक कहा गया है। गोचर में चन्द्रमा जब कुम्भ और मीन राशि में भ्रमण करता है तो इस काल को पंचक कहते हैं।
ऐसा शास्त्रों में उल्लेखित है कि इन नक्षत्रों में कोई भी काम किया जायेगा तो उस काम को पांच बार पुन: करेंगे। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। इसी तरह घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) होते हैं, उन्हे पंचक कहा जाता है। प्राचीन ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। इसलिए पंचक के नक्षत्रों में अशुभ काम को करना वर्जित है।
पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव
- धनिष्ठा में अग्नि का भय रहता है।
- शतभिषा में काम करने से घर में तनाव का वातावरण रहेगा।
- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में अशुभ काम करने से घर में रोग बना रहता है।
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में अशुभ कर्म करने से आर्थिक दण्ड व सामाजिक अपमान होने की आशंका रहती है।
- रेवती नक्षत्र में अशुभ कार्य करने से धन हानि तथा दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है।
- दक्षिण दिशा का मालिक यम है, इसलिए दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- रेवती नक्षत्र में मकान की छत डालना अशुभ है। ऐसा करने से धन हानि होती है और परिवार में क्लेश बना रहता है।
- धनिष्ठा नक्षत्र में लकड़ी एकत्रित करना या फर्नीचर का काम करवाना अशुभ होता है। ऐसा करने से अग्नि का भय रहता है।
- पंचक में चरपाई बनाना, बेड बनवाना, डाइनिंग टेबल आदि बनवाना अशुभ होता है।
- पंचक काल में यदि किसी की मृत्यु होती है या उस शव का अन्तिम संस्कार किया जाता है, तो ऐसा मानना है कि उस कुटुम्ब अथवा उससे सम्बन्धित रिलेशन में पांच लोगों की और मृत्यु होती है।
उपाय
- यदि परिस्थितिवश किसी शव का अन्तिम संस्कार पंचक में करना पड़े तो कुश के पांच शव बनाकर उस पर जौ का चूर्ण लेप करके बरगद या मिटटी के पात्र में रखकर मनुष्य के शव के समीप रखकर संकल्प करें तत्पश्चात कुश के बने पाचों पुतलों को क्रमश: ह्रदय, कमर के बांये व दांये हिस्से में और दोनों घुटनों पर एक-2 कुश का पुतला रखकर मनुष्य के शव को जलाना चाहिए। विधि-विधान से पंचक पूजन करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
- शुद्धि कर्म व तेरहीं के पश्चात पुन: पंचक पूजन करायें। सवा लाख महामृत्युंजय मृत्यु का जप करवाने से पंचक दोष पूर्णत: समाप्त हो
सदैव अशुभ नहीं
पंचक में मरण की अपेक्षा दाह का विशेष अनिष्ट फल माना गया है। लेकिन पंचक सदैव खराब होते हैं, ऐसा सोचना गलत है। शास्त्रनुसार धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चर नक्षत्र हैं, इसलिए इस नक्षत्र में यात्रा, मनोरंजन, वस्त्र-आभूषण की खरीदारी की जा सकती है। पूर्वा भाद्रपद को गर्म नक्षत्र कहा गया है। अत: यह समय कोर्ट केस और वाद-विवाद के लिए अच्छा होता है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र शिलान्यास, भूमिपूजन तथा बड़ी योजनाओं के लिए ठीक है। रेवती नक्षत्र शांत और नरम माना गया है, इसलिए संगीत, नृत्य, कलात्मक कार्यों, फैशन शो, इत्यादि का कार्य लाभदायी रहता है।
कैसे बचें
- लकड़ी खरीदना जरूरी हो तो गायत्री माता के नाम पर हवन कराएं।
- दक्षिण दिशा की यात्रा करना हो तो हनुमान मंदिर में फल चढ़ाएं।
- छत डलवाना जरुरी हो तो मजदूरों को पहले मिठाई खिलाएं।
- चारपाई खरीदना जरुरी हो तो खरीद लें लेकिन इसका प्रयोग पंचक के बाद ही करें।
पंचक में किया गया गृह प्रवेश भी फलदायी है।