17-Oct-2014 09:32 AM
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ये दिल है कि मानता नहीं, बदमाशियों पर उतर ही आता है। खासकर सदियों के मौसम में। कड़कड़ाती ठंड में रम या ब्रांडी के साथ कुछ लजीज नॉनवेज और मसालेदार खाने को मन मचल ही जाता

है। किंतु बंधु जिनका हृदय कमजोर है या जो ब्लड प्रेशर के मरीज हैं उन्हें बचना चाहिए। ठंड में लापरवाही करना या माल उड़ाना महंगा पड़ सकता है। इसलिए दिल का मामला है जरा संभलकर।
जाड़े में जोड़ों के दर्द से बचकर रहें
पारस हॉस्पिटल के आथरेपेडिक सर्जन डॉ. टी. शृंगारी बताते हैं कि इस बीमारी में कमर, गर्दन, कंधों, हाथ पैर के जोड़ों व उनकी उंगलियों तथा शरीर के अन्य हिस्सों के जोड़ों में दर्द होता है और यह दर्द सर्दी के मौसम में और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इससे बचाव के लिए जितना हो सके, सर्दी से खुद को बचा कर रखें। प्रभावित हिस्सें को गर्म कपड़े में लपेटकर रखें। गर्म चीजों का सेवन अधिक करें। लहसुन, प्याज, सालमन मछली, गुड़, बादाम, काजु जैसी चीजों का अधिक सेवन करें। खाने में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त चीजों को प्रमुखता से शामिल करें। नियमित रूप से टहलें।
क्या-क्या बरतें सावधानियां
ज्यादा और मेहनत वाला काम करने से बचें। लगातार काम करने के बजाय बीच-बीच में आराम करते रहें, ताकि आपके दिल पर अत्यधिक दबाव न पड़े। इसके लिए अपने व्यायाम के तौर-तरीकों में भी बदलाव लाते रहें। अत्यधिक ठंड के दिनों में सुबह की सैर से बचें। आप इसके बदले शाम की थोड़ी-बहुत धूप में टहल सकते हैं। सर्दियों के दौरान लोगों को अपनी सामान्य खुराक से ज्यादा खाने से भी परहेज करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि एक बार में ही अत्यधिक मात्रा में भोजन कर लेने से भी आपके दिल पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। सर्दी के दौरान कभी यह सोचकर अत्यधिक शराब का सेवन न करें कि इससे आपके शरीर की गर्मी बनी रहेगी। अल्कोहल के अत्यधिक सेवन से एट्रियल फाइब्रिलेशन हो सकता है, जो दिल की अनियमित धड़कनों की एक सामान्य समस्या है। डॉक्टर की सलाह पर दवा भी रख सकते हैं और सांस उखडऩे या सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द महसूस करने पर आप इनका सेवन कर सकते हैं। नियमित जांच कराते रहें। इससे आपको किसी भी बड़ी स्वास्थ्य परेशानी की पूर्व आहत मिल जाएगी। सच ही कहा गया है इलाज से बेहतर रोकथाम।
बढ़ जाता है बीपी का खतरा
हमारे शरीर में हृदय द्वारा पंप किया हुआ रक्त, धमनियों के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है, ताकि वह सुचारु रूप से काम कर सके। एक बार रक्त प्रवाहित करने के बाद दोबारा रक्त प्रवाहित करने से पहले जब हृदय संकुचित होता है, उस समय रक्त वाहिकाओं पर पडऩे वाले दबाव को डायस्टोलिकÓ ब्लड प्रेशर कहते हैं और जब यह दबाव एक निश्चित सीमा को पार कर जाता है, तब उसे हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी कहते हैं। हमारी बिगड़ती जीवनशैली, खानपान और ऐसे कई ज्ञात और अज्ञात कारणों से भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप कि समस्या से पीडि़त है। सर्दी के कारण तापमान में आयी कमी से रक्त धमनियां सिकुडऩे लगती हैं और रक्त गाढ़ा हो जाता है। इस कारण शरीर में रक्त संचार सहज गति से नहीं हो पता और हृदय को शरीर मे रक्त पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। दूसरा सर्दियों मे कोहरे के कारण प्रदूषित कण कि मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण भी रक्तचाप बढ़ जाता है। ऐसे में जरा-सी दौड़-भाग करने से ही सांस फूलने लगती है, सिरदर्द और सिर में भारीपन महसूस होता है, चक्कर आने की भी शिकायत हो सकती है और जी घबराने लगता है। इसका असर रोगों में बढ़ोतरी करता है। इससे मधुमेह के साथ-साथ हृदय एवं ब्रेन स्ट्रोक, आई हैमरेज, गुर्दे खराब होने, अपंगता और मृत्यु तक के रूप में देखने को मिल सकता है। मूलचंद मेडिसिटी के सलाहकार (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. ए. के. बाली बताते हैं कि उच्च रक्तचाप के मरीजों को कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। भोजन में नमक का इस्तेमाल कम-से-कम करें। जहां तक संभव हो तली-भुनी चीजों, डब्बाबंद खाद्य पदार्थों, अल्कोहल, सिगरेट इत्यादि से दूर रहें। अपना वजन संतुलित रखने की कोशिश करें। नियमित रूप से 20 मिनट का शारीरिक व्यायाम करें। अगर बाहर ज्यादा ठंड हो तो सुबह के बजाय शाम में सैर करने के लिए जाएं। अधिक मात्रा मे कैल्शियम और पोटैशियम युक्त भोजन लें। मानसिक तनाव को दूर रखें और इससे बचने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम को अपनाएं।
दिल का दौरा
सर्दियों में लोगों को दिल का दौरा पडऩे का खतरा ज्यादा रहता है। बायीं धमनी से निकलने वाली रक्त धमनियां गिरते तापमान के साथ सिकुडऩे लगती हैं, जिस कारण दिल को रक्त प्रवाहित करने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है। इससे दिल पर अधिक दबाव पडऩे लगता है और यही दिल का दौरा पडऩे का कारण बनता है। ऐसी स्थिति में उन लोगों के लिए खतरा और बढ़ जाता है, जिन्हें अपने दिल की स्थिति के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं होती। मैक्स हॉस्पिटल में एसोसिएट निदेशक और कार्डिएक डॉ वनिता अरोड़ा बताती हैं कि कार्डिएक वैस्क्यूलर रोगों से पीडि़त व्यक्तियों को इस मौसम में विशेष और उचित सावधानियां बरतनी चाहिए।