सेंसरशिप का दायरा बढ़ाया जाए
19-Feb-2013 11:08 AM 1234803

केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड ने सरकार से बालीवुड के आयटम सांग टीवी पर नहीं दिखाने की अनुशंसा की है। जिसे सरकार ने मान भी लिया है और आने वाले दिनों में इस तरह के गानों को सिर्फ वयस्कों के लिए घोषित करके संभवत: टीवी पर प्रतिबंधित भी कर दिया जाएगा। सेंसर बोर्ड ने सरकार से कहा है कि ऐसे गानों के लिए ए सर्टीफिकेट जारी किया जाए। सेंसर बोर्ड का यह कदम बहुत देर से उठाया गया कदम कहा जाएगा। टेलीविजन एक ऐसा माध्यम है जो हर घर के ड्राइंगरूम में देखा जा सकता है और यह वयस्कों, वृद्धों, बच्चों सभी के लिए सुलभ है। इसीलिए इस बात की सावधानी रखना बहुत आवश्यक है कि इसमें दिखाई जाने वाली सामग्री सभी के देखने योग्य हो तथा उससे भारतीय संस्कृति और संस्कारों पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े। लेकिन सामान्य तौर पर ऐसा हो नहीं पाता है। आज टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले ज्यादातर गाने ए सर्टीफिकेट के लायक होते हैं। बहुत से सीरियल भी इसी श्रेणी में आते हैं। अश्लीलता का अर्थ केवल कपड़े उतारना नहीं है बल्कि बेहूदे संवाद, फूहड़ प्रस्तुति, षड्यंत्र, पारिवारिक कलह से लेकर हिंसा भी इसी श्रेणी में आती है। क्योंकि यह सब देखने के लिए बाल मन तैयार नहीं हो पाता और यदि उसे लगातार यही दृश्य दिखें तो उसकी मनोवृत्ति हिंसक, विध्वंसक और नकारात्मक भी बन सकती है। हाल के दिनों में स्त्रियों के साथ छेड़छाड़, बलात्कार की घटनाएं बढ़ीं तो कहीं न कहीं उनमें टीवी पर सुलभ अश्लीलता और हिंसा का योगदान जरूर रहा होगा। हालांकि जब ऐसी बात की जाती है तो खुलेपन के कथित समर्थक हमारी संस्कृति और खजुराहो, कामसूत्र इत्यादि का उदाहरण देने लगते हैं। लेकिन उन्हें यह समझ नहीं पड़ता कि खजुराहो या कामसूत्र या अजंता एलोरा में चित्रित सामग्री में और आज की अश्लीलता में बहुत अंतर है। एक जगह सौंदर्य को उसके सर्वाधिक सौम्य रूप में उकेरा गया है, चित्रित किया गया है। तो दूसरी जगह सौंदर्य को बाजार की वस्तु बनाया जा रहा है। फिर खजुराहो और अजंता एलोरा हमारे घर के ड्राइंग रूम में नहीं है। वे हजारों मील दूर हैं और बच्चों की पहुंच में भी नहीं हैं। लेकिन टीवी, सिनेमा, इंटरनेट जैसे माध्यम आज हर मध्यम वर्गीय बच्चे के पास उपलब्ध हंै। देश की नई पीढ़ी का एक बड़ा हिस्सा इन माध्यमों के प्रभाव में है। इसीलिए सेंसरशिप का दायरा केवल टीवी तक सीमित न होकर अन्य माध्यमों तक भी विस्तारित होना चाहिए। खासकर इंटरनेट पर उपलब्ध पोर्न सामग्री हमारे देश की तरुणाई को नष्ट करने पर तुली हुई है। इस पर रोक लगाना जरूरी है। ऐसा नहीं है कि इस पर रोक के प्रावधान नहीं हैं बहुत से देशों में पोर्नोग्राफी प्रतिबंधित है। वहां इंटरनेट पर यह उपलब्ध भी नहीं है। इसे रोका गया है। लेकिन भारत में इंटरनेट के माध्यम से देह का सुव्यवस्थित व्यापार चल रहा है जिस पर किसी की नजर नहीं है। कम से कम बच्चों की पहुंच से तो इसे दूर किया ही जा सकता है।

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