21-Jun-2014 04:34 AM
1234917
मध्यप्रदेश में कांग्रेस नष्ट होने की कगार पर है। पहले विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में पिछड़ चुकी कांग्रेस का मतदाता हताश है। कार्यकर्ताओं में भी उत्साह नहीं है। दिग्विजय शासन ने ऐसी कोई सुखद स्मृति छोड़ी ही नहीं थी जिसे आधार बनाकर पुन: सत्ता के सपने कांग्रेसी देख सकें। रही-सही कसर मनमोहन के अराजक शासन ने पूरी कर दी। कांग्रेसियों को निकाय चुनाव में अपनी ताकत दिखानी चाहिये। स्थानीय स्तर पर काम उतना गुणवत्तापूर्ण नहीं है। देश के कई शहर बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। भोपाल जैसे शहर तो पूरी तरह खुदे पड़े हैं। ऐसे में जनता विकल्प चाहती है।
और भी छापे होना चाहिये
मध्यप्रदेश में ऐसे कई कुरील मिल जायेंगे जो सरकारी नौकरी के भरोसे कुलीनÓ बन चुके हैं। भोपाल के बाजारों में खरीददारी के आंकड़े जुटा लिये जायें तो पता चलेगा कि कुछ अफसरों की क्रय शक्ति लाजवाब है और उन्हें जो गिफ्ट मिलती है उसका तो हिसाब ही नहीं है। किसी से सुमधुर संबंध हों या न हों मेमसाबों को ज्वेलरी से लेकर महंगे मोबाइल तक गिफ्ट में कैसे मिल जाते हैं यह भी शोध का विषय होना चाहिये। भ्रष्टाचार की यह वैतरणी भोपाल के पॉश कॉलोनियों से बहकर दूसरे शहरों की पॉश कॉलोनियों में जाकर मिल रही है। कई धनकुबेरों के दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर ही नहीं बल्कि दुबई में भी आशियाने हैं। जरा तलाश कर तो देखिये अभी तक जो कार्रवाई हुई है उसमें तो छोटी मछलियां ही फंसी हैं।