03-Mar-2014 10:42 AM
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हर व्यक्ति चाहता है कि उसे समाज में मान-सम्मान मिले। लेकिन कई लोगों के जीवन में कुछ ऐसे हालात बन जाते हैं कि उन्हें बार-बार बदनामी का सामना करना पड़ता है। वास्तु गुरु कुलदीप सालूजा

कहते हैं कि इसका एक कारण उनका घर और उसका वास्तु होता है।
जिस जमीन पर आपका घर है उसकी उत्तर दिशा और ईशान कोण ऊंचे हों और अन्य दिशा नीचे हों तो भूमि के स्वामी को बदनामी का सामना करना पड़ता है। जिस घर के आग्नेय कोण में बहुत ज्यादा मात्रा में खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं। किसी भी रुप में अधिक मात्रा में पानी का जमाव हो जैसे वॉटर टैंक, अंडरग्राउंड वॉटर टैंक तो उस घर में रहने वाले व्यक्ति की कन्या को बदनामी का सामना करना पड़ता है। जिनके घर में दक्षिण-नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ होता है उनके घर में स्त्रियों को बदनामी के कारण कष्ट होता है। घर का पश्चिम-नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ हो तो पुरुषों की बदनामी होती है।
घर में दक्षिण दिशा बढ़ा हुआ हो और पश्चिम नैऋत्य से मिलकर कोने का निर्माण करता है तो यह स्त्री पुरुष दोनों की बदनामी की संभावना को बढ़ाता है। घर के मुख्यद्वार की चौखट काले रंग की हो या उस पर काला रंग किया गया हो तो घर के मुखिया के साथ धोखा होता है, उस पर झूठे आरोप लगते हैं। घर के मुख्यद्वार के साथ सीधे हाथ की खिड़की के पास टूटी-फूटी हालत में दीवार हो, प्लास्टर उखड़ा हुआ हो या खिड़की टूटी हुई हो तो मरम्मत करवा लेनी चाहिए। ऐसा नहीं होने से घर के मुखिया को समाज में मानहानि का सामना करना पड़ता है।
पढ़ते समय मुंह उत्तर की तरफ रखें: पैरंट्स के लिए यह बड़ी संवेदनशील स्थिति होती है, जब बच्चे उनके हाथ से निकलते नजर आते हैं। आपके मामले में ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वर्तमान में आप घर के उत्तरी हिस्से में रह रहे हैं और आपके बच्चों के पास वह कमरा है, जो घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पड़ता है। यह वास्तु के नियमों के हिसाब से नहीं है।
वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा को घर का सबसे स्थाई हिस्सा माना गया है। इसका उपाय बहुत साधारण है। आपको केवल अपना बेडरूम बच्चों के कमरे से बदल लेना है। इससे परिस्थितियां बदल जाएंगी। इससे आपके पति का स्वास्थ्य अच्छा होगा। बच्चे आपकी बात मानेंगे और पढ़ाई में भी ध्यान देने लगेंगे। ध्यान रखें कि पढ़ते समय उनका मुंह उत्तर दिशा की तरफ रहे।
भगवान को ऐसे देखने से होता है कष्ट, रहती है आर्थिक परेशानी
भगवान की कृपा पाने के लिए आप घर में गणेश लक्ष्मी और दूसरे देवताओं की मूर्ति जरुर रखते होंगे। लेकिन भगवान की मूर्ति घर में रखने के कुछ नियम हैं।
शास्त्रों के अनुसार भगवान की मूर्ति घर में इस प्रकार से रखनी चाहिए ताकि इनके पीछे का भाग यानी पीठ दिखाई नहीं दे। भगवान की पीठ का दिखना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए मूर्ति के पिछले भाग को कपड़े से ढ़ककर या दीवार से लगाकर रखना चाहिए।
पूजा स्थल में एक ही भगवान की दो तस्वीर रखना कष्टकारी होता है। खासतौर पर दोनों मूर्तियां आस-पास या आमने सामने हों। क्योंकि इससे घर में नकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है। भले ही किसी मूर्ति में आपकी गहरी आस्था हो, लेकिन मूर्ति खंडित हो गयी हो या उसकी चमक फीकी पड़ गयी हो तो उसे घर में नहीं रखें। ऐसी मूर्तियों को विसर्जित कर देना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार खंडित और आभाहीन मूर्तियों के दर्शन से हानि होती है।
पूजा स्थल पर भगवान की ऐसी मूर्ति रखें जिनका मुख सौम्य और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो। रौद्र और उदास मूर्ति घर में रखने से नकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
दरवाजे पर सिंदूर लगाने के फायदे
आपने देखा होगा कि कुछ लोग अपने दरवाजे पर सरसो का तेल और सिंदूर का टीका लगा कर रखते हैं। खासतौर पर दीपावाली के दिन तो जरुर ही तेल और सिंदूर लगाते हैं। क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है। वास्तु विज्ञान के अनुसार दरवाजे पर सिंदूर और तेल लगाने से घर में नकारात्मक उर्जा का प्रवेश नहीं होता है। यह घर में मौजूद वास्तुदोष को भी दूर करने में कारगर माना जाता है।
वास्तु विशेषज्ञ कुलदीप सालूजा के अनुसार दरवाजे पर सिंदूर लगाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। जबकि सरसों का तेल शनि का प्रतिनिधि माना जाता है जो बुरी नजरों से रक्षा करता है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से दरवाजे पर तेल लगाने से दरवाजा लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। इसलिए दरवाजे पर सिंदूर लगाने की परंपरा रही है।