05-Dec-2013 09:56 AM
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करेले को कटु प्रधान प्रकृति के कारण उसका कड़वा स्वाद बहुत गर्म प्रकृति का होता है, भोजन को सहजता से पचाने में सहायक होता है। जिसके कारण शरीर को उचित मात्रा में पोषक तत्व एवं शक्ति प्राप्त होती रहती है। इसके निम्न गुण हैं

करेला रक्तशोधक होता है। चर्म रोगी को भी यह लाभकारी है। फोड़े फुंसी तथा अन्य चर्म रोगों पर करेले का रस लगाने से बहुत लाभ होता है। प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से खून की खराबियों को दूर करता है तथा खून साफ हो जाता है। पेट में कीड़े होने पर इसका रस रामबाण औषधि है। कीड़े होने पर करेले का रस ग्रहण करना चाहिए। कब्ज के रोगियों को चाहिए कि इसकी सब्जी नियमित खायें और इसका रस सेवन करें, कब्ज से छुटकारा होगा। ताजा करेला कुचलकर, इसमें हल्का, नमक डालकर हैजे के रोगी को दें, 2-3 बार लेने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते हैं। खूनी बवासीर में एक बड़ा चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन तक लें, कुछेक स्त्री रोगों में करेला बहुत ही अच्छा माना गया है। यदि रक्त जाता हो, माहवारी अनियंत्रित हो या पीड़ा के साथ हो तो करेला का रस नियमित सेवन करने से बहुत लाभ पहुंचता है। मधुमेह के रोग में करेला, रामबाण का काम करता है। नियमित प्रात: ताजा रस पीना चाहिए। छाया में सुखाये हुए करेला का चूर्ण 6 ग्राम प्रति दिन लेने से मूत्र में शक्कर आना बंद हो जाता है। करेले तथा तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर प्रयोग करने से वात रोगी को आराम मिलता है। इस तेल की मालिश करने से गठिया तथा वात के रोग से लाभ होता है, पशुओं को अफारा होने पर करेले को कुचलकर, उबाल कर, नमक मिलाकर पिला देने से वह राहत की सांस लेते हैं। मुंह में छाले होने पर करेले के रस को गर्म करके उसमें पिसी हुई फिटकरी डालकर कुल्ला करने से छाले खत्म हो जाते हैं। पथरी होने पर करेले का रस नियमित सेवन करना चाहिए। इससे पथरी गलकर निकल जाती है। इसके पत्तों को उबालकर पानी प्रसूता को पिला दें, इससे गर्भाशय शुध्द होकर स्त्री का दूध बढ़ता है। जलन के घावों पर करेला पीसकर लगाना चाहिए, घाव शीघ्र भर जाते हैं। इसका सेवन नमक लगाकर काली मिर्च के साथ नाश्ते के साथ लेने से जिगर के रोग ठीक होते हैं। तिल्ली बढऩे पर भी इसका जूस लाभ पहुंचाता है। करेले के ताजे पत्तों को घी में भूनकर सेवन करने से शरीर में उत्पन्न हुई एसिडिटी जाती रहती है। यह है कड़वे करेले के मीठे-मीठे गुण।
अनेक किस्में : करेला विभिन्न आकार-प्रकार में पाया जाता है. इसकी चाइनीज वेरायटी 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती है. वहां पैदा होने वाला करेला हरे के ऊपर हल्का पीला रंग लिए होता है जो किनारों की ओर मुड़ा हुआ नुकीला और खुरदुरा होता है. इसका रंग हरे के साथ सफेद लिए भी देखा गया है.
फायदे: जिन लोगों को कफ की शिकायत रहती है उन्हें करेले का नियमित सेवन करना चाहिए.
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है, जिससे भूख खुलकर लगती है. यह ठंडा होता है. इसलिए यह गर्मी के कारण पैदा होने वाली बीमारियों को दूर करता है. जिन लोगों को दमे की शिकायत रहती है, उन्हें करेले की सब्जी अवश्य खानी चाहिए.
लकवे के रोगियों को करेला जबरदस्त फायदा पहुंचाता है. दस्त और उल्टी की शिकायत की सूरत में करेले का रस निकालकर उसमें काला नमक और थोड़ा पानी मिलाकर पीने से फायदा देखा गया है.
डायबिटीज का रामबाण : करेला खून साफ करता है. एक चौथाई करेले के रस में बराबर मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है. डायबिटीज से पीडि़त लोगों को करेले का
रस और सब्जी, दोनों का सेवन करना मुफीद रहता है.
15 ग्राम करेले का रस 100 ग्राम पानी में मिलाकर रोज चार बार पीने से एक महीने के भीतर डायबिटीज में लाभ होता है. 50 ग्राम करेले को 100 ग्राम पानी में उबालकर गटकने से डायबिटीज में फायदा होता है.
रोजाना 5 ग्राम करेले का रस पीते रहने वाले लोगों को डायबिटीज में फायदा दिखने लगता है. करेला अन्य औषधियों के समान शरीर के केवल एक अंग या टिशू को ही टाग्रेट नहीं बनाता बल्कि पूरे शरीर के ग्लूकोज मैटाबॉलिज्म पर असर करता है.
सूखे करेले को पीस कर उसके 6 ग्राम चूर्ण को दिन में सिर्फ एक बार लेने से मूत्र में चीनी आना थम जाता है. बच्चे को डायबिटीज होने पर उन्हें प्रतिदिन करेले की सब्जी खिलाते रहने से काफी लाभ होता है.