06-Nov-2013 07:34 AM
1234985
हार्ट अटैक के दौरान दिल की धड़कन रुकने से जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। ऐसे में अगर आप थोड़ी सतर्कता बरतें तो अगले दस मिनट के भीतर दिल की धड़कन लौटने की गुंजाइश हो सकती है। हार्ट अटैक से मरने वाले व्यक्ति

को दस मिनट के अंदर जीवति किया जा सकता है। मौत के बाद मृतक व्यक्ति की छाती 100 बार प्रति मिनट की दर से दबाएं। दबाव डेढ़ इंच तक होना चाहिए।
80 का फंडाÓ : 80 साल से अधिक समय तक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बिना जिंदा रहने के लिए 80 का फंडाÓ अपनाएं। कमर की चौड़ाई, लो ब्लड प्रेशर, एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रोल), पल्स दर और फास्टिंग शुगर सभी को 80 से कम रखें। रोजाना 80 मिनट तक 80 कदम प्रति मिनट की गति से टहलें। विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए 80 दिन धूप में बैठें। हृदय रोगों एवं शुगर से बचने के लिए साल में 80 दिन अनाज न खाएं। यह भ्रम है कि काजू और बादाम में ज्यादा कोलेस्ट्रॉल होता है, दरअसल इन दोनों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा शून्य होती है।
दिल का दौरा और स्ट्रोक रोकेगी नई दवा: दिल के रोगियों के लिए राहत की खबर है। वैज्ञानिकों ने खून में मौजूद प्लेटलेट प्रोटीन से एक ऐसी दवा तैयार की है जो दिल के दौरे और स्ट्रोक से बचाव करेगी। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलीना स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह दवा तैयार की है। शोधकर्ता स्टीफन होली का दावा है कि दिल के दौरे से बचाव के लिए उपलब्ध दवाओं में यह अब तक की सबसे कारगर दवा हो सकती है। शरीर के रक्त संचार में प्लेटलेट्स का अहम रोल है क्योंकि उनके बिना एक छोटी सी चोट से भी शरीर का सारा रक्त बह सकता है। हार्ट अटैक के दौरान कई बार यही प्लेटलेट्स नसों और आट्र्रीज में प्रवाहित होने वाले रक्त को ब्लॉक कर देते हैं जिससे ऑक्सीजन पास नहीं हो पाती है जिसे थ्रोंबोसिस कहते हैं। इसमें व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने एक्टिविटी बेस्ट प्रोटीन प्रोफाइलिंग तकनीक के जरिए कोशिकाओं में प्रोटीन की गतिविधियों को जांचा। यह तकनीक कैंसर के रिसर्च में भी इस्तेमाल होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोटीन प्लेटलेट में मौजूद कुछ ऐसे तत्व हैं जो प्लेटलेट को सक्रिय रखने में मदद करते हैं और रक्त का थक्का नहीं जमने देते। होली बताते हैं कि अब इस प्रोटीन का पशुओं पर इस्तेमाल करके इस शोध को उनकी टीम आगे बढ़ाएगी और इससे प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर दवा की दिशा में काम करेगी।
इन 5 अजीबो-गरीब वजहों से पड़ सकता है दिल का दौरा : फैटी खाना, गलत लाइफस्टाइल ये बढ़ता कोलेस्ट्रॉल, दिल के दौरा का रिस्क इन वजहों से बढ़ जाता यह तो आपको पता ही होगा लेकिन आपकी जीवनशैली से जुड़ी कई ऐसी चीजें भी हैं जो हार्ट अटैक की वजह हो सकती हैं और आपको इनका अंदाजा भी नहीं है।
नॉनस्टिक बर्तन : आर्काइव्स ऑफ इंटरनेशनल मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार, नॉनस्टिक बर्तन और दाग छुड़ाने वाले केमिकल्स में मौजूद परफ्लूओरुकटोनिक केमिकल्स होते हैं जिनका संबंध दिल के दौरे से हो सकता है। इससे पहले भी कई शोधों में इस केमिकल से नपुंसकता, हाई कोलेस्ट्रॉल और एडीएचडी जैसी समस्याओं का दावा किया जा चुका है।
जलवायु परिवर्तन : अपनी किताब फीवर्ड में खोजी पत्रकार लिंडा मार्सा ने माना है कि बढ़ते तापमान और जलवायु में परिवर्तन की वजह से भी हार्ट अटैक हो सकता है। बहुत अधिक गर्मी से हवा में प्रदूषण के कण पीएम 2.5 बढ़ते हैं जो शरीर के प्रतिरोधी तंत्र को तोड़कर फेफड़ों के रास्ते रक्त में मिल जाते हैं। ये कण धमनियों को ब्लॉक कर सकते हैं जिससे दिल के दौरे की स्थिति हो सकती है। इनवॉयर्मेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के शोध की मानें तो ओमेगा 3 फिश ऑयल के सेवन से इन कणों को सरीर से बाहर किया जा सकता है।
एंटीबैक्टीरियल साबुन : एंटीबैक्टीरियल साबुन व टूथपेस्ट के अत्याधिक इस्तेमाल से इसमें मौजूद ट्राइक्लोसन नामक रसायन दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ा देता है। शोध की मानें तो इससे दिल और मांसपेशियों की कोशिकाओं को बहुत नुकसान पहुंचता है। बचाव के लिए ये उत्पाद खरीदते वक्त ध्यान रखें कि लेबल में यह केमिकल न हो।
डिब्बाबंद डाइट : पीएलओएस वन जर्नल के 2011 के एक शोध की मानें तो डिब्बाबंद डाइट में इस्तेमाल होने वाला केमिकल - बाइस्फेनॉल ए (बीपीए) न सिर्फ शरीर का हार्मोनल बैलेंस बिगाड़ता है बल्कि दिल के दौरे की भी वजह हो सकता है।
ट्रैफिक जाम : जर्मन शोधकर्ताओं ने अपने शोध में माना है कि ट्रैफिक जाम के दौरान अधिक तनाव और वायु प्रदूषण से भी हार्ट अटैक हो सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि अधिक जाम में फंसने वाले लोगों को दूसरों की अपेक्षा दिल के दौरे का रिस्क 3.2 गुना अधिक होता है।