19-Oct-2019 08:05 AM
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अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को दुरुस्त बनाने के लिए सरकार कठोर नजर आ रही है, लेकिन जिस विभाग के पास इसकी जिम्मेदारी है वह खुद पावरलेस है। पूरे राजस्थान में शासकीय अधिकारी-कर्मचारी अपनी मर्जी से कार्यालय आते हैं और जाते हैं। प्रशासनिक सुधार विभाग की छापेमारी में कई बार इसका खुलासा हुआ है, लेकिन स्थिति जस की तस है। इसकी बड़ी वजह यह है कि बड़े से बड़े आईएएस से लेकर गजटेड और नोन गजटेड अफसरों और सभी कर्मचारियों के कार्यालयों में औचक निरीक्षण का छापा डालने वाला प्रशासनिक सुधार विभाग अंदर से पावर लेस है। विभाग के पास बड़े से बड़े अफसर का हाजिरी रजिस्टर जब्त कर गैरहाजिर मिले कारिंदों के नाम के आगे टिप्पणी लिख या क्रॉस का निशान लगाने के अलावा कोई पावर नहीं है। न आज तक विभाग के मंत्री होने के नाते किसी मुख्यमंत्री ने इसके डाटा मंगवाए या जांच की।
विभाग ने सालभर में कितनी जगह छापे डाले और कितने कर्मचारी समय पर अपने कार्यालयों में नहीं मिले। लिहाजा विभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार विभाग के स्तर पर किसी औचक निरीक्षण के कार्रवाई डाटा कभी तैयार नहीं किए जाते। पिछले दिनों में 18 जगह विभागों में छापे डाले गए। 16 हजार से अधिक कर्मचारियों के हाजिरी रजिस्टर जब्त किए गए। कुल 5 हजार 257 कर्मचारियों के रिकार्ड में ऐबसेंट लिख दिया, जिनमें 1300 बड़े अफसर भी शामिल थे। लेकिन कुछ घंटों में संबंधित विभाग को हाजिरी रजिस्टर लौटाने के अलावा विभाग के पास कोई पावर नहीं है। आगे की जो कार्यवाही करनी होती है संबंधित विभाग को करनी होती है, उसकी पालना रिपोर्ट भी प्रशासनिक सुधार विभाग नहीं मंगवाता। 90 फीसदी केस में विभागीय अफसर औचक निरीक्षण में गैरहाजिर मिले कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं करते। ऐसे में प्रशासनिक सुधार के छापे ढाक के तीन पात साबित हो रहे।
विभाग के प्रमुख सचिव आर वेंकटेश्वरन ने बताया कि कर्मचारियों में कार्यस्थल और समय के प्रति गंभीरता लाने सचिवालय के इतिहास में पहली बार लगातार तीन दिन छापे डाले गए। आज तक एक बार उपस्थिति देखने के बाद फिर दोबारा सालभर में कोई औचक निरीक्षण नहीं होता था। इस बार लगातार तीन दिन छापे का असर यह रहा कि पहले दिन 70 फीसदी गैरहाजिर मिले, दूसरे दिन 30 फीसदी और तीसरे दिन आठ फीसदी ही कार्यालय से गैरहाजिर पाए गए।
सरकार द्वारा भले ही पारदर्शी और जवाबदेही प्रशासन की बात की जाती हो लेकिन सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों की लेटलतीफी और डेली अपडाउन की प्रवृति के कारण सरकारी दफ्तरों की दशा खराब है। सरकार द्वारा भले ही सुबह साढे नौ बजे से शाम छह बजे तक का कार्यालय समय निर्धारित किया हुआ है लेकिन कई बार प्रशासनिक अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान सामने आया है कि कई अधिकारी-कर्मचारी सीट से नदारद मिलते हैं। जिससे लोगों को परेशानी होती है। लेकिन सरकार की सख्ती के बाद भी स्थिति जस की तस है।
तीसरी बार गैरहाजिर मिले तो 17 सीसीए की कार्यवाही
राज्य सेवा नियम में तय है कि प्रशासनिक सुधार विभाग के औचक निरीक्षण में कोई कर्मचारी तीन बार गैरहाजिर मिले तो उसके खिलाफ 17 सीसीए की कार्यवाही की जाती है। लेकिन 99 फीसदी ऐसा हुआ कि एक बार छापे डलने के बाद वर्षों तक उस विभाग में हाजिरी जांची ही नहीं जाती। यदि एक बार गैरहाजिर मिले तो आधे दिन की तनख्वाह काटने तथा दूसरी बार गैरहाजिर मिलने पर पूरे दिन की सैलरी काटने का मूल विभाग को पावर है।
सेक्रेट्रेट के 150 कार्मिक आएंगे 17 सीसीए के दायरे में
प्रशासनिक सुधार के औचक निरीक्षणों के कारण पहली बार करीब डेढ़ सौ अफसर-कर्मचारियों पर 17 सीसीए की कार्यवाही की तलवार लटक गई है। इनमें से 112 तो लगातार तीन दिन छापे के कारण सचिवालय के ही कर्मचारी अफसर हैं। बाकी बाहरी विभागों के हैं।
रोकी जा सकती है वेतन वृद्धि
विभिन्न विभागों में देरी से आने वाले अधिकारियों की वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है। इसके साथ ही उनकी वार्षिक कार्य मूल्यांकल रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी लिखी जा सकती है। प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. आर वेंकटेश्वरन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में किए गए औचक निरीक्षणों में यह तथ्य सामने आया कि सचिवालय के अधिकांश अधिकारियों और कर्मचारियों में देरी से आने की आदत है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या आधी से ज्यादा है। उन्होंने बताया कि इस औचक निरीक्षण के पीछे मकसद यह है कि कर्मचारियों की लेटलतीफी की आदत पर अंकुश लगे। देरी से आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची कार्रवाई करने की टिप्पणी के साथ संबंधित विभागाध्यक्षों के पास भेज दी गई। उन्होंने बताया कि अगर कर्मचारियों की इस आदत में सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में उनकी वेतन वृद्धि रोकी जाएगी। इसके साथ उनकी एसीआर बुक में प्रतिकूल टिप्पणी अंकित की जाएगी। प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से समय-समय पर प्रदेशभर में औचक निरीक्षण किए जाएंगे।
- जयपुर से आर.के. बिन्नानी