दुविधा में नीतीश
19-Aug-2019 06:19 AM 1234931
नीतीश कुमार इस समय दुविधा में हैं। एक तरफ वे भाजपा के साथ रहना चाहते हैं तो दूसरी तरफ वे मुसलमानों को छोडऩा नहीं चाहते। इस कारण कभी-कभी उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के नेता भाजपा के खिलाफ भी बोलने से नहीं चूकते हैं। अभी हाल ही में जनता दल (यूनाइटेड) ने ट्रिपल तालाक बिल का विरोध किया। राज्यसभा से वॉकआउट करते हुए राजनीतिक कलाबाजी का प्रदर्शन किया है, लेकिन साथ ही, इसके खिलाफ वोट न देकर अपने रास्ते को सुगम बनाया। इस विवादास्पद कानून पर शब्दों और कार्यों के बीच विरोधाभास ने बिहार में दुविधा को रेखांकित किया है जहां वह भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए मुसलमानों को लुभाना चाहती है। पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह का कहना है कि संसद में जदयू के रुख से आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हमने स्पष्ट कर दिया था कि राम मंदिर, ट्रिपल तालक, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अनुच्छेद 370 पर हमारा रुख भाजपा के साथ नहीं हैं।Ó जेडीयू नेतृत्व को लगता है कि मुसलमानों को लालू प्रसाद यादव की आरजेडी से अलग करने और उनको अपनी तरफ करने का समय आ गया है। अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और राजद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, जिसको लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली है। पिछले तीन दशकों से बिहार की लगभग 17 प्रतिशत आबादी वाले मुसलमान राजद के पीछे मजबूती के साथ खड़े रहे हैं, जो लालू के मशहूर मुस्लिम-यादव वोट बैंक का हिस्सा हैं। नीतीश ने 2013 में उनके समर्थन का नाटक किया था, जब उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर भाजपा के साथ अपने 17 साल पुराने संबंधों को तोड़ लिया था लेकिन मुसलमान राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से दो को छोड़ कर जद (यू) के साथ मजबूती से खड़े रहे। 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश ने भाजपा के खिलाफ राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधनÓ बनाया था। सीएम नीतीश ने फिर गठबंधन से हाथ खींच लिया और 2017 में फिर से बीजेपी के साथ आ गए। इस साल के चुनाव में एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीतीं हैं लेकिन सीएसडीएस-लोकनीति सर्वेक्षण से पता चलता है कि मुसलमान अब भी राजद और उसके सहयोगियों के साथ बने हुए हैं। 77 प्रतिशत मुसलमानों ने महागठबंध के लिए मतदान किया, जबकि 6 प्रतिशत ने एनडीए के लिए। इसके उलट, एनडीए यादव वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहा है। 55 प्रतिशत यादवों ने महागठबंधन के लिए वोट किया और एनडीए को 21 प्रतिशत ने। लेकिन अब, जेडी(यू) के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि मुसलमानों के लिए नीतीश को अपना समर्थन देने के लिए यह उचित समय है। मुस्लिम नेताओं का कहना है कि राजद के पतन के कारण मुस्लिम समुदाय दुविधा का सामना कर रहा है। शायद इसी स्थिति को देखते हुए जदयू मुसलमानों की सहानुभूति पाने की कोशिश में लगा हुआ है। - विनोद बक्सरी
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