03-Aug-2019 06:15 AM
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बिहार में जदयू और भाजपा के बीच रिश्तों में कड़वाहट पीएम मोदी के मंत्रिपरिषद में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने के बाद मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने के जदयू के फैसले के बाद शुरू हुई। जदयू ने सांकेतिक भागीदारी से इनकार करते हुए मंत्री पद ठुकरा दिया था, जिसके तुरंत बाद बिहार में मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया जिसमें बीजेपी को शामिल नहीं किया गया था। उसके बाद बिहार सरकार की स्पेशल ब्रांच की इंटेलिजेंस विंग ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत उसके 19 अनुषांगिक संगठनों के राज्य पदाधिकारियों के बारे में जानकारी इक_ा करने का आदेश दिया था, जिसके खुलासे के बाद भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर संदेह व्यक्त करते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
भाजपा के विधान पार्षद और पार्टी के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद राय ने स्वयं पूछा, आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है? राय ने कहा, मैं नहीं जानता कि अभी तक बीजेपी क्यों गठबंधन का हिस्सा बनी हुई है। बीजेपी में इतना दम है कि वह अकेले ही चुनाव लड़ सकती है। सच्चिदानंद राय ने तो यहां तक कहा, मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि भाजपा-जदयू का यह संबंध (रिश्ता) क्या कहलाता है? राय ने बेबाक अंदाज में कहा कि नीतीश कुमार की सरकार बनी रहेगी। आप साथ रहें या कोई और साथ रहेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। बिहार के हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए सच्चिदानंद ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय नेतृत्व को तुंरत फैसला लेना चाहिए और बिहार के गठबंधन पर चर्चा करनी चाहिए। इसका जवाब देते हुए जदयू नेता पवन वर्मा ने कहा कि भाजपा अगर बिहार में अकेले चुनाव लडऩा चाहती है, तो लड़ ले। हम भी अपनी तैयारी कर लेंगे। पवन के मुताबिक, हम भाजपा नेताओं के लगातार बयानों से आजिज आ गए हैं। सब जदयू के खिलाफ बोल रहे हैं। उनकी बातों से उनका अहंकार झलकता है।
राय के साथ ही अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरएसएस और इससे जुड़े संगठनों की जांच के लिए इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी बताया है, इतना ही नहीं उन्होंने सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर भी सवाल खड़ा किया है। सिंह ने कहा, यह किसी को समझ में ही नहीं आया कि जांच कराने के आदेश देने के पीछे क्या कारण था? बिहार में जेडीयू, बीजेपी के साथ सरकार में है और संघ हमारा मातृ संगठन है। उन्होंने कहा कि जो घटना घटी, वह काफी आपत्तिजनक थी। इस घटना से लोगों में इतना आक्रोश है कि लोग अब पूछ रहे हैं कि हम सरकार में हैं या सरकार से बाहर?
इधर, अपने विधान पार्षद सच्चिदानंद राय के लगातार बयानों से नाराज भाजपा ने उन्हें नोटिस थमाया है और उनसे 10 दिन के भीतर इसका जवाब मांगा है। इसमें कहा गया है कि आप लगातार पार्टी के स्टैंड के प्रतिकूल बयान दे रहे हैं। समझाने पर भी नहीं मान रहे। इससे पार्टी संगठन व एनडीए गठबंधन की मर्यादा भंग होती है। यह अनुशासनहीनता है। बताएं कि क्यों नहीं आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए? इधर, जेडीयू नेता केसी त्यागी बीजेपी के ऐसे नेताओं को छपास रोगी (अखबार में छपने वाला) बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे लोगों को लेकर चिंता भी जता चुके हैं। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दरभंगा दौरे के दौरान राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी से उनके आवास पर आधे घंटे अकेले में मुलाकात की। नीतीश सिद्दीकी की इस मुलाकात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि ये बिहार की राजनीति में सियासी हलचल के संकेत हैं।
- विनोद बक्सरी