04-Jul-2019 07:19 AM
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राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसे दी जाए यह फैसला पिछले 20 सालों में बीजेपी के लिए कभी भी आसान नहीं रहा है। साल 2018 में जिन परिस्थितियों में मदन लाल सैनी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने थे उसे अगर ध्यान में रखा जाए तो तय माना जा रहा है अब उनके देहांत के बाद एक बार फिर पार्टी पर कब्जे को लेकर गुटबाजी देखने को मिल सकती है। मदन लाल सैनी का निधन होने के बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म है कि बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा। दरअसल, बीजेपी राजस्थान में एकछत्र राज करने वाले भैरो सिंह शेखावत को दरकिनार कर जब वसुंधरा राजे को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब भारी विरोध हुआ था और उस वक्त से अब तक यही सिलसिला चल रहा है। चाहे ओम माथुर हों या अरुण चतुर्वेदी या फिर गुलाब चंद कटारिया, हर बार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर घमासान चलता रहता है।
साल 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खेमे के बीच खींचतान देखने को मिली थी। महीनों तक प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली पड़ा रहा और अंतत: कंप्रोमाइज कैंडिडेट के रूप में मदन लाल सैनी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 24 जून को मदन लाल सैनी ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उनके देहांत के बाद अब एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि संघ का खेमा आमेर से विधायक सतीश पुनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है। संगठन के कामकाज देख रहे चंद्रशेखर भी पुनिया के पक्ष में बताए जा रहे हैं। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चाहती हैं कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। पंचारिया कमोबेश मदन लाल सैनी की तरह ही हैं जो संघ, वसुंधरा और पार्टी के बीच बराबर का संबंध रखते हैं।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह राठौड़ को केंद्र में केबिनेट मंत्री बनाए जाने और लोकसभा अध्यक्ष भी राजस्थान से बनाए जाने के बाद अचानक पूनिया का नाम उभर कर आया। बाकी नाम पिछड़ गए हैं। पूनिया लो प्रोफाइल जाट नेताओं में गिने जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर के सूत्रों के अनुसार राजपूत जाति से गजेंद्र सिंह को केंद्र में मंत्री बनाने, अर्जुनराम मेघवाल को केंद्र में मंत्री बनाने के बाद सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से ब्राह्मण और जाट नेताओं में से प्रदेशाध्यक्ष चुनने पर बात चली। पूनिया लगातार 14 साल तक भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे। वे अभी प्रदेश प्रवक्ता हैं।
जयपुर से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को इस बार मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है। कहा जा रहा है कि राठौड़ को अमित शाह प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। ऐसे में उनके नाम की भी चर्चा जोरों पर है। इसी तरह चूरू से विधायक राजेंद्र राठौड़ को लेकर भी चर्चा चल रही है लेकिन कहा जा रहा है कि बीजेपी संघ पृष्ठभूमि के व्यक्ति को ही प्रदेश अध्यक्ष का पद देना चाहेगी। राजेंद्र राठौड़ जनता दल से आए हैं जबकि राज्यवर्धन सिंह राठौर नए-नए बीजेपी के नेता हैं। पार्टी का एक खेमा ऐसा भी है जो नए चेहरे के रूप में और वसुंधरा राजे को चुनौती देने वाली नेता के रूप में राजसमंद की विधायक दीया कुमारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहा है।
फिलहाल, ये तमाम कयास हैं। मदन लाल सैनी को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब सियासी हालात जुदा थे। राज्य में बीजेपी की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री की कमान संभाल रही थीं। अब सत्ता में कांग्रेस है और तजुर्बेकार नेता के रूप में अशोक गहलोत सीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जबकि युवा चेहरे के रूप में सचिन पायलट डिप्टी सीएम के पद पर आसीन हैं।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी