विराट उपलब्धि
18-Jan-2019 06:31 AM 1234843
भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है कि टैस्ट क्रिकेट में पहली बार टीम इंडिया ने आस्ट्रेलिया में परचम लहराया और जीत के सपने को हकीकत में बदल डाला। सात दशक से भी ज्यादा समय से भारत के लिए आस्ट्रेलिया में टैस्ट सिरीज जीतना एक बड़ा सपना बना हुआ था। भारत ने 1947-48 में पहली बार लाला अमरनाथ की अगुआई में आस्ट्रेलिया का दौरा किया था और तब उनकी टीम का मुकाबला सर डॉन ब्रेडमैन की टीम से हुआ था। तबसे भारत बारह बार ऑस्ट्रेलिया में खेला, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को हरा कभी नहीं पाया। लेकिन इस बार विराट कोहली और उनकी टीम ने यह साबित कर दिखाया कि भले ऑस्ट्रेलिया विश्व विजेता रहा हो, पर भारत अब उससे काफी आगे निकल चुका है। यह भारत की ऐतिहासिक जीत है तो ऑस्ट्रेलिया की ऐतिहासिक हार भी। सिडनी का मैदान भारत को इकहत्तर साल बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके घर में पहली बार सिरीज जिताने के तौर पर याद रखा जाएगा। इस कामयाबी से भारत आठ देशों में टैस्ट सिरीज जीतने वाला इंग्लैंड के बाद दूसरा देश बन गया है। पिछले सात दशक में कई भारतीय कप्तानों ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, लेकिन सब खाली हाथ लौटे। कोई भी टीम सिरीज जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थी। कई कप्तान सिरीज तो दूर, टैस्ट तक नहीं जीत सके थे। 1947-48 में अपने पहले दौरे में ही भारतीय टीम सारे टैस्ट हार गई थी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया से टैस्ट क्रिकेट संबंध स्थापित होने के तीस साल बाद पहला टैस्ट जीता था और इसके इकतालीस साल बाद अब सिरीज जीती। हालांकि भारतीय कप्तान विराट कोहली खुद भी इससे पहले दो सिरीज हारने वाली टीमों का हिस्सा रहे हैं। पर खास बात यह है कि चार साल पहले विराट कोहली ने इस सिडनी क्रिकेट मैदान पर ही पहली बार कप्तानी संभाली थी और अब इस मैदान पर ही भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली बार सिरीज जिताने वाले पहले भारतीय कप्तान के साथ-साथ एशियाई कप्तान भी हो गए हैं। इसीलिए यह उनके करिअर की एक बड़ी उपलब्धि है। दरअसल, विराट कोहली में हर अगली सिरीज में परिपक्वता आती गई है। वे ऑस्ट्रेलिया की इस सिरीज तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तान में बदल चुके हैं। टीम के चयन से लेकर मैदान तक पर हर फैसले में विराट का कोई जवाब नहीं है। भले किसी खिलाड़ी की असफलता को लेकर सवाल उठे हों, लेकिन कोहली करते वही हैं जो उन्हें टीम और खेल के लिए सबसे उपयुक्त लगता है। विराट कोहली के यह इतिहास रचने से पहले भारत ने ग्यारह ऑस्ट्रेलियाई दौरों पर सिर्फ तीन बार सिरीज ड्रॉ कराई थी। यह देखने को मिला है कि जब भी टीम इंडिया का तीसरे नंबर का बल्लेबाज अच्छा खेलता है तब ही उसका प्रदर्शन भी अच्छा रहता है। 2003-04 में भारत ने चार टैस्ट की सिरीज 1-1 से ड्रा खेली थीं, उस समय राहुल द्रविड़ ने 619 रन बनाए थे। इस बार चेतेश्वर पुजारा ने अपनी बल्लेबाजी की धाक जमाई और तीन शतकों से 521 रन बनाए हैं और टीम इंडिया पहली बार सिरीज जीतने में सफल हो गई है। भारत की यह विराट जीत है। टीम इंडिया की औसत उम्र अभी कोई ज्यादा नहीं है। इस जीत ने भारतीय टीम में एक नया जोश और जज्बा पैदा कर दिया है। हालांकि क्रिकेट में भारत की उपलब्धियां कोई कम नहीं हैं, लेकिन इस ऐतिहासिक टैस्ट जीत से भारतीय क्रिकेट को नई दिशा जरूर मिलेगी। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल को लगता है कि विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम भारत का सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण और क्षेत्ररक्षण दलÓ है लेकिन यह सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी के कहीं भी करीब नहीं है। भारत ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को 2-1 से हराकर 71 साल के इंतजार को खत्म करते हुए ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज अपने नाम की। इस ऐतिहासिक जीत से कोहली की टीम की प्रशंसा हो रही है। ईएसपीएन क्रिकइंफोÓ पर यह पूछने पर कि क्या यह भारत की सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ टीम है तो चैपल ने कहा, मैंने जो देखा है, उसके हिसाब से यह भारतीय टीम देश का सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण का दल है जो सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम भी है।Ó उन्होंने कहा, लेकिन यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बल्लेबाजी टीम नहीं है। मैंने इससे पहले भारत के बेहतरीन बल्लेबाजी संयोजन को देखा है।Ó हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि किस बल्लेबाजी लाइन अप को वह सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। चेतेश्वर पुजारा सीरीज में शीर्ष स्कोरर रहे और मैन ऑफ द सीरीजÓ के हकदार बने। चैपल ने कहा कि भारतीय गेंदबाजों ने परिस्थितियों का अच्छा फायदा उठाकर बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय गेंदबाजों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और कुल मिलाकर उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई खिलाडिय़ों को पस्त कर दिया। उन्होंने आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों से ज्यादा स्विंग हासिल की।Ó उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय तेज गेंदबाजों की टीम पॉजीशन बहुत अच्छी थी। उन्होंने पूरे समय इसे ऊपर ही रखा और शायद इसी कारण वे गेंद को ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों से ज्यादा स्विंग कराने में सफल रहे।Ó -आशीष नेमा
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