03-Jan-2019 05:58 AM
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एक तरफ तो महिलाओं के विकास, योगदान और उनके भविष्य को लेकर बहुत सी बातें होती हैं, जगह-जगह आंदोलन भी किए जाते हैं लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी 12 प्रतिशत से भी कम है। अभी हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या में भले ही इजाफा हुआ हो, लेकिन महिलाओं की भागीदारी को बहुत नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश में जहां 230 सीटों में केवल 21 महिला विधायक चुनी गईं तो छत्तीसगढ़ में 90 सीटों पर केवल 13। राजस्थान में 199 सीटों पर चुनाव हुए और केवल 23 महिला विधायक जीतीं। तेलंगाना में 119 सीटों पर हुए चुनाव में केवल 6 महिलाएं निर्वाचित हुईं तो मिजोरम में 40 में से एक भी सीट पर महिला प्रतिनिधि नहीं चुनी गईं। यहां खड़ी हुईं 18 महिला उम्मीदवारों को केवल 14,482 वोट मिले। 40 सीटों के लिए 209 उम्मीदवार खड़े हुए उसमें से महिलाएं, केवल 18।
मध्यप्रदेश की 230 सीटों के लिए कुल 2738 उम्मीदवार लड़े, इनमें महिलाओं की संख्या 238 रही। वहीं छत्तीसगढ़ की 90 सीटों के लिए 1256 उम्मीदवारों ने दावेदारी पेश की तो महिलाओं की संख्या यहां भी केवल 125 पर सिमट गई। राजस्थान में कुल 2211 उम्मीदवार 199 सीटों पर खड़े हुए तो महिलाएं केवल 183। तेलंगाना में लड़े 1781 उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या केवल 136 रही। इन सभी राज्यों में कुल मिलाकर 678 विधायक बने हैं और इनमें महिला विधायकों की संख्या केवल 63 है, यानी कि मात्र 9.2 प्रतिशत। ये आंकड़े विचलित करते हैं कि एक तरफ तो महिलाओं के विकास को लेकर तमाम योजनाएं चलाए जाने की बात होती है तो वहीं दूसरी तरफ महिला विधायकों की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि भारत में अब केवल पश्चिम बंगाल ही एक ऐसा प्रदेश है जहां पर महिला मुख्यमंत्री हैं। 29 में से केवल एक राज्य महिला मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता है और सभी केन्द्र शासित प्रदेश भी।
कुछ ही महीनों में आम चुनाव हैं और महिला प्रतिनिधियों की ये संख्या निराश करती है। पिछले लोकसभा के चुनावों में भी ये संख्या कुछ बेहतर नहीं थी। 536 सीटों पर केवल 61 महिलाएं जीती थीं। कुल 8208 उम्मीदवार इन सीटों पर खड़े हुए थे, महिलाएं खड़ी हुईं 640 और जीतीं केवल 61। एडीआर के संस्थापक प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री उम्मीद जताते हैं कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व समय के साथ बढ़ेगा।
महिलाओं को ध्यान में रखते हुए इस बार भाजपा ने मध्यप्रदेश में महिलाओं के लिए एक अलग घोषणा पत्र जारी किया था, इसका नाम था- नारी शक्ति संकल्प पत्र। इसमें बेहतर अंक लाने वाली लड़कियों को ऑटो गियर बाइक देने की घोषणा थी। वहीं कांग्रेस ने लड़कियों को बाइक लेने के लिए लोन में छूट देने की घोषणा की थी। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने व्यापार शुरू करने वाली महिलाओं को 2 लाख तक का लोन देने की घोषणा की तो स्वयं सहायता समूहों के लिए 5 लाख तक के लोन की। वहीं बाकी राज्यों में भी इस तरह की घोषणाएं हुईं।
महिला वोटर्स को लुभाने के लिए इन चुनावों में पिंक पोलिंग बूथों का इस्तेमाल किया गया। ये पोलिंग बूथ पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित किए जाते हैं। बूथ संचालकों के साथ-साथ सुरक्षाकर्मी तक सभी महिलाएं होती हैं। मध्य प्रदेश में कुल 65,341 बूथों में लगभग 500 पिंक पोलिंग बूथ लगाए गए। वहीं राजस्थान में 51,965 में 259 पिंक पोलिंग बूथों की स्थापना हुई। छत्तीसगढ़ के हर विधानसभा क्षेत्र में 5 पिंक पोलिंग बूथ लगाने की घोषणा हुई तो मिजोरम में 40 पिंक पोलिंग बूथों लगाए गए।
महिला मतदाताओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन महिला प्रतिनिधियों की संख्या कम होती जा रही है। विमन एंड मेन इन इंडिया, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के 27 मंत्रियों में केवल 6 महिला केंद्रीय मंत्री हैं। वहीं 48 केंद्रीय राज्य मंत्रियों में मात्र 3 महिलाएं हैं, यानी केवल 12 प्रतिशत। स्वतंत्रता के बाद साल 2015 में ये प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा था, 17.8 । पचास प्रतिशत आधी आबादी वाले देश में महिला नेतृत्व का सर्वोचत्तम स्तर मात्र 17.8 प्रतिशत है, इस बात से आप अनुमान लगा सकते हैं कि महिलाओं की स्थिति क्या है। न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में महिला नेतृत्व केवल 24 प्रतिशत है।
कम हुई महिला विधायकों की संख्या
मध्यप्रदेश में महिला विधायकों की संख्या में कमी आयी है और 15 वीं विधानसभा में 17 महिला विधायक ही निर्वाचित हुईं जबकि पिछली विधानसभा में उनकी संख्या 31 थी। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार निर्वाचित 230 विधायकों में 114 सीटें कांग्रेस और 109 सीटें भाजपा को मिली हैं। बसपा को दो और सपा को एक सीट मिली है। चार सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं। नवनिर्वाचित 17 महिला विधायकों में से नौ भाजपा और आठ कांग्रेस की हैं। कांग्रेस की आठ विधायकों में डबरा से इमरती देवी, लांजी से हिना लिखीराम कांवरे, गाडरवारा से सुनीता पटेल, नेपानगर से सुमित्रा देवी कास्देकर, भीकनगांव से झूमा सोलंकी, महेश्वर से डॉ. विजयालक्ष्मी साधौ, पानसेमल से चंद्रभागा किराड़े, और जोबट से कलावती भूरिया हैं। भाजपा की नौ निर्वाचित विधायकों में शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया, जैतपुर से मनीषा सिंह, मानपुर से मीना सिंह, सीहोरा से नंदनी मरावी, बासौदा से लीना जैन, गोविन्दपुरा से कृष्णा गौर, धार से नीना वर्मा, इन्दौर-4 से मालिनी गौड़ और महू से उषा ठाकुर शामिल हैं। पिछली विधानसभा में 31 महिला विधायक थीं जिनमें भाजपा की 24, कांग्रेस की पांच और बसपा की दो
विधायक थीं।
-ज्योत्सना अनूप यादव