बहुएं होती हैं अधिक केयरिंग
02-Nov-2018 07:24 AM 1234971
रिश्ते बर्फ के गोले की तरह होते हैं जिन्हें बनाना तो आसान है, लेकिन बनाए रखना काफी मुश्किल। अमूमन रिश्ते को चार तरह से समझा जा सकता है। रक्त संबंधी, सामाजिक, व्यावसायिक और भावनात्मक। खून के रिश्ते भले ही हमें जन्म से मिल जाते हों, लेकिन उन्हें बनाए रखने के लिए निभाना ज्यादा जरूरी होता है। निभाने से मतलब उन पर ध्यान देना पड़ता है। ध्यान देने से आशय इसमें समय और समझदारी की जरूरत होती है। रिश्ते निभाने में महिलाएं पुरूषों से कहीं आगे हैं। अभी हाल ही में आए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है। आम धारणा है कि घर के बड़े बुजुर्गों की अनदेखी व उत्पीडऩ बहुएं करती हैं। कई बार ऐसे प्रकरण या वीडियोज भी सामने आते हैं जहां बहू सास-ससुर को यातना देती नजर आ जाती है। लेकिन हाल में हुआ एक सर्वे अलग तस्वीर पेश करता है। सर्वे के मुताबिक घर के बुजुर्गों के उत्पीडऩ के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार उनके पुत्र हैं। इस सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ राजधानी भोपाल में ही लगभग 80 फीसदी बुजुर्गों का उत्पीडऩ होता है और इसमें से लगभग 61 फीसदी बेटे होते हैं जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को अनदेखा करते हैं। गौरतलब है कि ये आंकड़े जुटाए हैं सीनियर सिटीजंस के लिए काम करने वाली संस्था हेल्पेज इंडिया ने। इसकी सर्वे रिपोर्ट में बुजुर्गों की स्थिति को बारीकी से दर्शाया गया है। इन आंकड़ों को जुटाने में इस संस्था ने देश के अलग-अलग राज्यों के 23 शहरों में सर्वे किया था। इस सर्वे में प्रत्येक शहर के 60 साल से ज्यादा उम्र के 218 बुजुर्ग पुरुष व महिलाओं से बातचीत की गयी। इस तरह कुल 5014 बुजुर्गों को इस सर्वे में शामिल किया गया था। रिपोर्ट आगे कहती है कि 34 फीसदी बुजुर्ग बहुओं के अत्याचार का शिकार बनते हैं जबकि इसमें बेटियों की भी कुछ प्रतिशत भागीदारी है। हालांकि माता-पिता के उत्पीडऩ में बेटियों की हिस्सेदारी पूरे देश में लगभग 6-7 प्रतिशत ही है। सीनियर सिटीजंस के साथ होने वाला उत्पीडऩ का आंकड़ा शहर के हिसाब से घटता और बढ़ता दिखता है। मसलन 23 शहरों में की गई रिपोर्ट के मुताबिक इनके साथ इससे ज्यादा उत्पीडऩ या कहें दुव्र्यवहार मैंगलोर में होता है। यहां 47 फीसदी बुजुर्ग अनदेखी और शोषण का शिकार होते हैं। जबकि नंबर 2 पर है अहमदाबाद, जहां 46 फीसदी बुजुर्गों के साथ उत्पीडऩ हो रहा है। इसके अलावा भोपाल में 39 फीसदी, अमृतसर में 35 फीसदी और दिल्ली में 33 फीसदी का आंकड़ा है। उम्र के आखिरी पड़ाव में आते ही घर और बाजार में बुजुर्गों को खोटा सिक्का समझा जाने लगता है। इसलिए सब इनके साथ बेरुखी से पेश आते हैं। वल्र्ड एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे के मौके पर हुए एक सर्वे में करीब 64 फीसदी बुजुर्गों का मानना था कि उम्र या सुस्त होने की वजह से लोग उनसे रुखेपन से बात करते हैं। जिन बुजुर्गों को सर्वे में शामिल किया गया, उनमें से 44 फीसदी लोगों का कहना था कि सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ बहुत गलत व्यवहार किया जाता है। खासतौर से सरकारी अस्पतालों और दफ्तरों के कर्माचारियों का व्यवहार सबसे उदासीन होता है। बेंगलूरू, हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई और चेन्नई ऐसी सिटीज हैं जहां पब्लिक प्लेस पर सीनियर सिटीजंस के साथ सबसे बुरा बर्ताव होता है। कुल मिलाकर देश का कोई भी कोना ऐसा नहीं है जहां घर के बड़े बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार न होता हो। कहीं ज्यादा तो कहीं कम है। इस सर्वे से यह बात भी सामने आती है कि जिन बहुओं को सास-ससुर का उत्पीडऩ करने के लिए कोसा जाता है, दरअसल इसके लिए ये कम और इनके पति ज्यादा दोषी हैं। जब बेटे ही मां-बाप का उत्पीडऩ करेंगे तो उनकी पत्नियां भी उन्ही का साथ देंगी। भारतीय समाज में बुजुर्गों को मार्ग दर्शक और पारिवारिक मुखिया के नाते हमेशा आदर दिया गया है लेकिन आज की युवा और आधुनिक पीढ़ी तकनीक, पैसा और भोग विलास में इतनी मशरूफ है कि उसी पेड़ को काटने पर तुली है जो उसे छांव देता है। रिश्ता चाहे खून का हो, सामाजिक, व्यावसायिक या भावनात्मक। हर रिश्ते के लिए एक मर्यादा तय कर लेनी चाहिए। यह मर्यादा भी एक तरफा न होकर दोनों पक्षों को देखते हुए तय करें। इस लिहाज से इस रिश्ते में खुद को इतना ही डुबोएं जितने में तैरना आसान हो। मतलब रिश्तों में जुड़ाव उतना ही रखें, जिसे प्रेम पूर्वक निभा सकें। इससे कोई समस्या नहीं आएगी। कई बार हम सामने वाले के लिए ज्यादा झुकाव महसूस करते हैं, जबकि सामने वाला हमसे मिलने में कतराता है। ऐसे में हमें भी थोड़ा डिस्टेंस मैंटेन कर लेना चाहिए। कई बार हम समझ नहीं पाते कि हम सामने वाले पर अतिरिक्त बोझ बन रहे हैं। ऐसे में थोड़ी सी दूरी रिश्तों की खोई गर्माहट वापस लाने में कारगर होती है। इस बात को समझें। वर्तमान में सभी रिश्तों का खात्मा करने का सबसे बड़ा कारण पैसा है। वक्त के हिसाब से महंगाई और जिम्मेदारियां बढ़ी हैं, जबकि इनकम उतनी ही है। ऐसे में अगर कोई और हमसे पैसों की उम्मीद रखता है तो हम उसे पूरी नहीं कर पाते। इसके लिए सबसे जरूरी है रिश्तों में एक दायरा तय कर लेना। जिसमें स्पष्टता जरूरी कारक है। इस बात का ध्यान रखें। -ज्योत्सना अनूप यादव
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