सूखे की मार
02-Nov-2018 07:22 AM 1234820
महाराष्ट्र में करीब 202 तहसीलों के करीब 850 गावों में औसत से भी कम बारिश हुई है। मराठवाड़ा और खांदेश में पानी की आपूर्ती के लिए 300 से ज्यादा टैंकर लगाए गए हैं तो वहीं कोकण में करीब 53 टैंकरो से पानी की सप्लाई हो रही है। पूरे राज्य में करीब 850 गावों में 354 टैंकर से पानी की आपूर्ती हो रही है। पूरे राज्य में औसत से भी कम यानि कि सिर्फ 75 प्रतिशत ही बारिश हुई है, जिसमें 13 जिले तो ऐसे हैं जिनमें 50 फीसदी तक ही बारिश हुई है। सोलापुर जिले में तो मात्र 25 प्रतिशत बारिश रिकॉर्ड हुई है। इस बार मराठवाड़ा में 118 टैंकर, खांदेश में 125 टैंकर और कोंकण में 53 टैंकर से पानी की सप्लाई हो रही है। जबकि पिछले साल पूरे राज्य में सिर्फ 98 टैंकर ही पानी की सप्लाई कर रहे थे। सरकार के लाख जलयुक्त शिविर और दूसरी कोशिशों के बाद भी बारिश के एक महीने बाद ही इस तरीके की स्थिति पूरे प्रदेश में पैदा हो गई है। यूपीए सरकार के दौरान बनाए गए घरों की संख्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों पर पलटवार करने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस ने 20 अक्टूबर को सूखा मुक्त गांव के दावे को चुनौती दी। साथ ही देवेंद्र फडनवीस सरकार की प्रमुख योजना जलयुक्त शिवरÓ पर खर्च किए गए पैसों की जांच की मांग की। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत का कहना है कि अभी हाल ही में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि महाराष्ट्र के 16000 गांवों को सूखा मुक्त कर दिया गया है। 9000 गांवों को सूखा मुक्त करने की दिशा में काम जारी है। लेकिन राज्य के 201 ताल्लुका के कम से कम 20000 गांवों में सूखे की स्थिति है। इससे यह साफ है कि पीएम मोदी झूठ बोल रहे हैं। साथ ही यह भी साफ है कि जलयुक्त शिवर योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। राज्य कांग्रेस प्रमुख अशोक चव्हान कहते हैं कि यूपीए के शासन काल 2004 से 2013 के बीच बने घरों के आंकड़े जारी किए। जारी आंकड़ों के माध्यम से उन्होंने पीएम मोदी के उस दावे पर पलटवार किया जिसमें कहा गया कि यूपीए सरकार के अंतिम तीन वर्षों में मात्र 25 लाख घरों का निर्माण हुआ, जबकि इतने ही समय में पीएम मोदी के शासनकाल में 1.25 करोड़ घरों का निर्माण हुआ। सावंत ने कहा, डाटा से यह साफ प्रदर्शित हो रहा है कि 2010 से लेकर 2013 के बीच 75 लाख घरों का निर्माण हुआ। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जलयुक्त शिवर की संख्या के साथ भी इसी तरह की जादूगरी की जा रही है। सावंत ने कहा, जलयुक्त शिवर से संबंधित 5.41 लाख काम करते हुए राज्य सरकार ने 7,459 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। 20, 420 से अधिक काम प्रगति पर हैं। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि गांवों में पानी की आपूर्ति करने वाले टैंकरों की संख्या में लगभग 80 प्रतिशत की कमी आई है। लेकिन अक्टूबर के महीने में भी सैकड़ों टैंकर काम कर रहे हैं। सावंत ने भौगोलिक सर्वेक्षण और विकास एजेंसी की हालिया रिपोर्ट भी पेश की, जिसमें कहा गया है कि पिछले पांच साल की तुलना में महाराष्ट्र में कुल 353 ताल्लुका में से 252 ताल्लुका के 13984 गांव में जल स्तर एक मीटर से अधिक नीचे गया है। 3342 गांवों में जल स्तर 3 मीटर से ज्यादा, 3430 गांव में 2 से 3 मीटर के बीच और 7212 गांवों में 1 से 2 मीटर के बीच नीचे गया है। सावंत ने सवालिया लहजे में कहा कि, यह बहुत ही चिंतनीय विषय है। यह आंकड़ा राज्य में सूखे की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। एक व्यक्ति जलयुक्त शिवर कार्यक्रम को सफल कैसे बना सकते हैं, जबकि सरकारी एजेंसियां खुद ऐसी रिपोर्ट दे रही हैं। मेरा कहना है कि इस योजना पर खर्च किए गए पैसे की भी जांच होनी चाहिए। -ऋतेन्द्र माथुर
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