18-Oct-2018 09:15 AM
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क्या आप बेरोजगार हैं? क्या जनता आप की इज्जत नहीं करती? क्या आप अपराधी हैं और पुलिस आपको तंग करती है? क्या आप करोड़ों वारे न्यारे करना चाहते हैं? क्या इनकम टेक्स वाले आपको परेशान करते हैं? क्या आप पूरे शहर में अपनी धाक जमाना चाहते हैं? क्या आप सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं? आप पढ़े लिखे नहीं हैं, पकोड़े बेचकर गुजारा कर रहे हैं? अभी केंद्रीय मंत्री जी ने भी कहा है की पेट्रोल की कीमत से उन्हें फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें तो सरकारी पेट्रोल (जो जनता के पैसे से आता है) मिलता है । परेशान जनता होती है नेता नहीं । क्या आप पेट्रोल की कीमतों और महंगाई से परेशान है? क्या आप जिंदगी भर घर बैठकर सरकारी पेंशन पर ऐश से रहना चाहते हैं? तो इसका एक ही उत्तर है आप नेता बन जाएं।
छोडिय़े इंजीनियर डाक्टर बनने का ख्वाब, मेहनत करके कितना कमा लेंगे? आज तो कई नवजवान आईएएस-आईपीएस की नौकरी छोड़कर नेता बनने आ रहे हैं तो आप फिजूल में पढ़ाई करके पैसा और वक्त क्यों बर्बाद करें? क्यों ना बिना पढ़ाई के पढ़े लिखे लोगों पर राज करें?
मेरे सिखाये हुए विद्यार्थी आज विधायक, सांसद, यहां तक की केंद्रीय मंत्री तक बन चुके हैं उनका नाम बताने से कोई फायदा नहीं क्योंकि आज मुझे वो पहचानते तक नहीं, क्योंकि मैंने ही सिखाया था कि एक बार नेता बन जाने पर पुरानों को भूल जाना, यहां तक कि खुद के बाप को भी परिस्थिति देखते हुए पहचानने से इंकार करना पड़े तो हिचकिचाना नहीं ।
तो आइए मैं आपको कुछ अचूक नुस्खे बता रहा हूं यदि आप इन नुस्खों को अपनाने के बाद भी चुनाव न जीते तो मुझे सरे आम फांसी पर लटका देना (यहीं से शुरू होती है नेता बनने की प्रक्टिस, कौन किसको फांसी पर लटकाता है, यदि कहने से आपकी जीत के आसार बनते हैं तो कहने में क्या जाता है)
सुर्खियों में आने के लिए आप जिस पार्टी का टिकट चाहते है उसके कार्यकर्ता यदि किसी पुलिस केस में फंस जाते हैं जैसे कि गाड़ी चलाते समय चालान करने पर अथवा किसी कार्यकर्ता के पुलिस थाने में पकड़ लिए जाने पर थाने पहुंच जाईये। अपने लोगों को कहें कि साथ में आ जाएं और वीडियो के लिए तैयार रहें। एक कार्यकर्ता को समझा दें कि उसके वीडियो बनाने पर आप उससे गुस्से में वीडियो बनाने से मना करेंगे यहां तक कि उसका फोन छीन लेंगे, बाकी लोग वीडियो बनाते रहेंगे। आप पुलिस से गाली गलौज करेंगे इस तरह आप सुर्खियों में आ जायेंगे। नेता बनने के पहले कदम पर आपका पदार्पण हो चुका समझो।
यदि आप के पास चुनाव में खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं तो बिलकुल घबराएं नहीं। आप किसी व्यापारी को पकड़ कर उसे समझाएं की वो आपके चुनाव के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च करे, आप चुनकर आने पर उसके पैसों का सौ गुना उसे वापस दिलवा देंगे। ऐसा जुआ खेलने में कोई भी सफल व्यापारी पीछे नहीं हटेगा।
चुनाव में टिकट पाने के लिए आपको कौन सी राजनितिक पार्टी पसंद है इस बात को भूल जाइये। जिस पार्टी की जीत की संभावना अधिक है उसका टिकट पाने का प्रयास कीजिये, यदि यह ना हो सके तो दूसरी संभावित जीत वाली पार्टी का रुख कीजिये उसमें भी सफल न हो सकें तो निर्दलीय चुनाव में खड़े होने से तो आपको कोई रोक नहीं सकता। फिर जब चाहे दल बदलने का विकल्प तो आपके पास मौजूद है ही।
नेता वो नहीं जिसके पीछे जनता चले, नेता वो है जो जनता का रुख पहचान कर जनता के आगे खड़ा हो जाए, यदि दलित लोगों का वहां बहुमत है तो ऐसी गोलमोल बात कीजिये किसी के भी साथ अन्याय नहीं होने दूंगा, दोषियों को सजा दिलाने तक चैन से नहीं बैठूंगा इत्यादि । ऐसी ही बात सवर्णो के बहुमत वाले इलाकों में जाकर की जा सकती है । दलित, सवर्ण दोनों सोचेंगे यह हमारे पक्ष में बात कर रहा है । ऐसा ही हिन्दू बहुल या मुस्लिम बहुल इलाके में करें।
एक बार आप चुनाव जीत गए तो हर राजनितिक पार्टी आपको अपने दल में लेने को बेताब हो जायेगी। मौके का फायदा उठाना न चूकें। परिस्थिति ऐसी भी हो सकती है कि आपको मंत्री पद तक का ऑफर मिले । कुछ ना भी किया तो भी जिंदगी भर पेंशन और रुतबा तो कायम हो ही जाएगा। चुनाव जीतने के बाद आप सत्ता धारी पार्टी में शामिल हो जाएं, आपके काले कारनामों को पूछने की भी किसी की हिम्मत नहीं होगी।
तो फिर क्या सोच आपने ? स्कूल कॉलेज में जाकर जिन्दगी खराब करेंगे या नेता बनेंगे? नेताओं को छूट है, लूट सके तो लूट, एक बार चुन कर आ गए फिर चाहे जनता रोये फूट-फूट।
-विनय कुमार तिवारी