तकरार नहीं बढ़े प्यार
04-Sep-2018 08:50 AM 1235048
शादी दो लोगों के बीच नहीं बल्कि दो परिवारों में होती है। इस एक रिश्ते से कितने ही लोग जुड़े होते हैं। अक्सर आप ने लोगों को कहते सुना होगा कि रिश्ते बेहद नाजुक होते हैं अगर एक बार टूट जाए तो फिर उनको जोडऩा बहुत मुश्किल होता है। खास कर ननद- भाभी और भाभी-देवर का रिश्ता। इनमें खट्टास आ जाए तो फिर इनको सुधारना मुश्किल होता है। मायके में परिवार की चहेती और अपने तरीके से जीवन जीने वाली लड़की विवाहोपरांत जब ससुराल आती है तो नए घर परिवार की जिम्मेदारी तो उसके कंधों पर आती ही है, साथ ही उसके नए-नवेले गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते हैं सास-ससुर, ननद-देवर जैसे अनेक नए रिश्ते। इन सभी रिश्तों को निभाना और इनकी गरिमा बनाए रखना नवविवाहिता के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है। ननद चाहे वह उम्र में बड़ी हो या छोटी सब की चहेती तो होती ही है, साथ ही परिवार में अपना अलग और महत्वपूर्ण स्थान भी रखती है। जिस भाई पर अभी तक केवल बहन का ही अधिकार था, भाभी के आ जाने से वह अधिकार उसे अपने हाथों से फिसलता नजर आने लगता है, क्योंकि अब भाई की जिंदगी में भाभी का स्थान अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। परिवार में एक नवीन सदस्य के रूप में प्रवेश करने वाली भाभी ननद की आंखों में खटकने लगती है। कई बार ननद भाभी को अपना प्रतिद्वंद्वी समझने लगती है और फिर अपने कटु व्यवहार से भाई-भाभी की जिंदगी को नर्क बना देती है। एक स्कूल में प्रिंसिपल रह चुकीं लीला गुप्ता कहती हैं, मेरी इकलौती ननद परिवार की बड़ी लाडली थीं। विवाह हो जाने के बाद भी अपने ससुराल से ही मायके को संचालित करती थीं। जब भी मायके आती थीं तो मेरे सास-ससुर उन्हीं की भाषा बोलने लगते थे। मैं भले कितने ही मन से कोई वस्तु या कपड़ा अपने या घर के लिए लाई हूं अगर वह ननद ने पसंद कर लिया तो वह उन्हीं का हो जाता था। यहां तक कि मेरे जन्मदिन पर मेरे लिए पति द्वारा लाया गया उपहार भी यदि उन्हें पसंद है तो उनका हो जाता था। जब मेरे बच्चे बड़े हो गए तो वे इस प्रकार के व्यवहार का विरोध करने लगे। उससे पहले तक सदैव सरेआम मेरी इच्छाओं का गला घोट दिया जाता था और मैं उफ भी नहीं कर पाती थी। यदि कभी कुछ बोलने या विरोध करने की कोशिश की भी तो सास-ससुर के साथ-साथ पति भी मुंह फुला लेते थे।ÓÓ अपने विवाह के बीते 10 वर्षों को याद कर के अरुणा का मन दुखी हो जाता है। वे कहती हैं, मेरी 2 ननदें हैं। एक पति से बड़ी और एक छोटी। बड़ी ननद पैसे वाली हैं और मेरे सास-ससुर की बेहद प्रिय। इसलिए जब वे आने वाली होतीं, तो जैसे घर में तूफान आ जाता है। वे जब तक रहती हैं घर की प्रत्येक गतिविधि उन्हीं के द्वारा संचालित होती है। छोटी ननद की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। अत: जब वे आती हैं तो घर के बजट की परवाह किए बिना उन्हें भरपूर सामान दिया जाता है। फिर चाहे मेरी और मेरे बच्चों की जरूरतें पूरी हों या न हों। उनके आने के बाद मेरा काम सिर्फ नौकरानी की तरह चुपचाप काम करना होता है। पति भी उस समय बेगाने से हो जाते हैं।ÓÓ आस्था का दूसरा विवाह हुआ है। ससुराल में पति व सास के अलावा एक अविवाहित ननद भी है, जो एक कंपनी में मैनेजर है। आस्था कहती हैं, मेरी गृहस्थी में आग लगाने वाली मेरी ननद हैं। उनके आगे मेरी सास को कुछ नहीं सूझता। पूरा घर उनके अनुसार चलता है। अपनी शादी न होने के कारण उनसे हमारा सुख भी नहीं देखा जाता। भाई के लिए तो सब कुछ है पर मेरे लिए उस परिवार में जरा सा भी प्यार नहीं है। सदैव मेरे खिलाफ सास को भड़काती रहती हैं। उनके कारण आज विवाह के 8 साल बीत जाने पर भी मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मेरे अपनी सास और पति से संबंध सामान्य नहीं हो पाए हैं। केवल उनके कारण ही हम शादी के बाद हनीमून पर नहीं जा पाए थे, जिस की कसक आज तक है।ÓÓ ननद और भाभी के रिश्ते में कड़वाहट ननद और भाभी का रिश्ता बेहद प्यारा रिश्ता है। यदि इसे पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाया जाए तो इससे खूबसूरत रिश्ता और हो ही नहीं सकता, क्योंकि हर लड़की किसी की ननद और भाभी होती है। परंतु अक्सर देखा जाता है कि ननदें भाई के प्रति तो प्यार और अपनापन रखती हैं पर भाभी के प्रति द्वेष और घृणा की भावना रखती हैं। विवाहित ननद अक्सर ससुराल में रह कर भी मायके में दखल करती है और अपने माता-पिता को भाभी के विरुद्ध भड़काती रहती है, जिससे भाई-भाभी का गृहस्थ जीवन प्रभावित होता है। यह सही है कि अक्सर भाभी और ननद के रिश्ते प्रगाढ़ नहीं होते, परंतु कई बार इसके उलट भी उदाहरण देखने को मिलते हैं जहां बहन ने न केवल अपने भाई की टूटती गृहस्थी को बचाया, बल्कि अपने माता-पिता से भी भाभी को उचित मान-सम्मान दिलाया। -ज्योत्सना अनूप यादव
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