18-Aug-2018 09:47 AM
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भारतीय समाज में एक तरफ तो महिलाओं को देवी की तरह पूजने का आदर्श सिद्धांत है, पर दूसरी तरफ वास्तविकता यह है कि समाज की महत्वपूर्ण इकाई होने के बावजूद आज भी वे कई स्तरों पर बेसहारा और बेबस महसूस करती हैं। महिलाएं हर तरह की हिंसा का शिकार हुई हैं। सरकारें महिला सुरक्षा के दावे करती नहीं थकतीं, पर हकीकत यह है कि महिला शोषण, हिंसा और बलात्कार जैसी जघन्य घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। हालांकि स्त्री के साथ किसी भी तरह के दुव्र्यवहार के खिलाफ कड़े कानून हैं, फिर भी इस प्रवृत्ति पर अंकुश नहीं लग पा रहा। हरियाणा में चलती कार में नाबालिग लड़की के साथ हुआ कथित बलात्कार इसका ताजा उदाहरण है। इस घटना के बाद पीडि़ता सदमे में है। पर पुलिस का कहना है कि जिस आरोपी ने लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया, वह लड़की का फेसबुक पर दोस्त था और उसने लड़की को एक मंदिर के पास मिलने को बुलाया था। जब लड़की मिलने गई, तो उसने उसे खींच कर कार में बिठा लिया और उसके साथ जबर्दस्ती की। हालांकि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। यह पहला मामला नहीं है, जब कुछ अपराधी किस्म के लोग इस तरह लड़कियों को दोस्त बनाते और फिर उनका शोषण करते हैं। हरियाणा में महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। हरियाणा वह प्रदेश है, जहां से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत हुई थी और भरोसा जगा था कि वहां महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकेंगी।
विचित्र है कि ऐसी घटनाओं में पुलिस प्राय: रसूखदार आरोपियों के पक्ष में जांच रिपोर्ट पेश कर देती है या फिर पीडि़ता पर दबाव डाल कर समझौता करने को विवश करती है। हालांकि यह प्रवृत्ति केवल हरियाणा तक सीमित नहीं है, पर इससे वहां की सरकार को ऐसी घटनाओं से पल्ला झाडऩे का अवसर नहीं मिल जाता। हैरानी की बात यह भी है कि जब भी ऐसी घटना होती है, सरकारें तत्काल दलील देने लगती हैं कि ऐसा पहले की सरकारों के समय भी होता आया है। यह बहुत लचर और किसी भी रूप में स्वीकार न की जा सकने वाली दलील है। पिछली सरकारों ने जो कुछ गलत काम किए उन्हें सुधारने के लिए ही लोगों ने नई सरकार को विश्वासमत दिया। अगर वह भी वही करने लगे, जो पिछली सरकारें करती आई हैं, तो फिर उनमें और नई सरकार में क्या अंतर रह जाएगा! हरियाणा में भी नई सरकार आने के बाद लोगों को उम्मीद बनी थी कि वह कानून-व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा आदि के मामले में बेहतर काम करेगी, पर उसका रवैया भी ढीला-ढाला ही बना हुआ है! कानून-व्यवस्था राज्य सरकारों का मामला है। वे इसमें विफलता का ठीकरा किसी और के सिर पर नहीं फोड़ सकतीं। हरियाणा में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई उत्साहजनक पहल नहीं दिखाई दे रही, तो इसके लिए वह पिछली सरकारों की गलतियों की आड़ नहीं ले सकती। वहां शुरू में दावा किया गया था कि बलात्कार जैसी घटनाओं में आरोपी चाहे जितना रसूख वाला हो, उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
मौखिक और भावनात्मक हिंसा
अपमान, गालियां देना, स्त्री के चरित्र और आचरण आदि पर दोषारोपण। पुरुष संतान न होने के लिए अपमानित करना, दहेज आदि न लाने पर अपमानित करना, विद्यालय, महाविद्यालय या किसी अन्य शैक्षिक संस्था में जाने से रोकना, नौकरी करने से रोकना, नौकरी छोडऩे के लिए विवश करना। उसकी मर्जी के खिलाफ विवाह के लिए विवश करना, अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने से रोकना। आत्महत्या करने की धमकी देना। कोई अन्य मौखिक या भावनात्मक दुव्र्यवहार। आर्थिक हिंसा -महिला या उसके बच्चे के जीवन निर्वाह के लिए धन उपलब्ध न कराना। उसके बच्चों के लिए खाना, कपड़े, दवाइयां आदि उपलब्ध न कराना। उसे अपना रोजगार चलाने से रोकना। रोजगार करने में बाधा डालना। रोजगार करने की आज्ञा न देना। वेतन, पारिश्रमिक आदि ले लेना। उसको अपना ही वेतन उपभोग करने की अनुमति न देना। जिस घर में वह रह रही है उससे बाहर निकलने को विवश करना।
-ज्योत्सना अनूप यादव