18-Aug-2018 09:45 AM
1234955
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस बड़ी मुश्किल में हैं। अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में मुख्यमंत्री सरकार की प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन और कार्यक्रमों को ठीक से पूरा करने में विफलता के कारण भारी उलझन में हैं। साफ है कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में सुस्ती घर करती जा रही है। अपने महत्वकांक्षी जलयुक्त सिवर अभियान (जेएसए) को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। यह कार्यक्रम स्थानीय सूक्ष्म-सिंचाई योजनाओं में सहयोग करता है और खराब मानसून के वर्ष में भी पैदावार बढ़ाने में मददगार रहा है।
आंकड़े भले ही इसकी सफलता की तरफ इशारा करते हों लेकिन राज्य इसका श्रेय लेने से बच रहा है, क्योंकि बॉम्बे हाइकोर्ट में दाखिल एक याचिका के अनुसार जेएसए अवैज्ञानिक है और पारिस्थिति की को नुकसान पहुंचा रहा है। अदालत की ओर से नियुक्त पूर्व मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ की अध्यक्षता वाली समिति ने भी योजना में कई खामियां पाई हैं। फडनवीस की ओर से किसानों के 32,500 करोड़ रु.
की ऐतिहासिक कर्ज माफी भी व्यर्थ साबित हो गई है।
अब तक राज्य के 89 लाख किसानों में से केवल 37 लाख किसानों को ही इसका फायदा मिला है। सरकार का यह फैसला लालफीताशाही में अटककर रह गया है, जिसमें आवेदनों की ऑनलाइन प्रोसेसिंग और किसानों के बैंक खातों से आधार को अनिवार्य रूप से जोडऩा भी शामिल है। इतना ही नहीं, किसानों में इस बात को लेकर भी गुस्सा बढ़ रहा है कि बैंक उन किसानों को कर्ज देने से मना या देरी कर रहे हैं जिनकी कर्जमाफी की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पाई है।
वे जहां अभी इन समस्याओं से रू-ब-रू हैं, वहीं विपक्षी कांग्रेस के मुंबई प्रमुख संजय निरुपम ने फडनवीस पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगा दिया है। उन्होंने 2 जुलाई को मुख्यमंत्री पर नवी मुंबई में बनने वाले एयरपोर्ट के पास 24 एकड़ जमीन के संदिग्ध लेनदेन को मंजूरी दिए जाने का आरोप लगाया था। निरुपम का कहना था कि इससे जिन दो बिल्डरों का फायदा हुआ है, वे एनसीपी के विधायक प्रसाद लाड के दोस्त हैं जो पिछले साल पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस आरोप के बाद मुख्यमंत्री को बिक्री रोकनी पड़ी और एक न्यायिक जांच का आदेश देना पड़ा जिसमें 2009 के बाद से 200 जमीन सौदों की जांच की जाएगी।
ऐसा लगता है कि फडनवीस को कुछ मोर्चों पर अंधेरे में रखा जा रहा है। जून में जब पुलिस ने पुणे में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के चेयरमैन रवींद्र मराठे को गिरफ्तार किया तो मुख्यमंत्री (जो गृह मंत्री भी हैं) या रिजर्व बैंक को सूचित करना जरूरी नहीं समझा गया। बाद में फडनवीस ने कहा, पुलिस ने जिस तरह से इस मामले में काम किया, उससे मैं चिंतित हूं। अब यह कोई छुपी बात नहीं है कि पुलिस और नौकरशाही मुख्यमंत्री और मंत्रियों की बात नहीं सुनती।
हाल ही में सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले ने सार्वजनिक रूप से बताया कि उनके मंत्रालय के एक सचिव ने उनके निर्देशों की अवहेलना की थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने फडनवीस को बताया कि उनके प्रधान सचिव प्रवीण परदेशी ने मुख्यमंत्री के दस्तखत वाले पत्र को फाड़ दिया था। उस नेता ने कहा, मैंने आज तक कभी नहीं सुना कि किसी सचिव ने मुख्यमंत्री के पत्र को फाड़ दिया हो। यह हताश करने वाली बात है। अक्टूबर 2017 में अपनी सरकार की तीसरी सालगिरह के मौके पर फडनवीस ने स्वीकार किया था कि नौकरशाही हमेशा उनकी बात नहीं सुनती। लगता है, वह स्थिति अब भी बरकरार है।
महानगर पालिक की जीत से मिली राहत
जलगांव और सांगली-मिरज-कुपवाड महानगर पालिका पर जीत का झंडा गाडऩे के साथ राज्य की 27 महानगर पालिका में से 14 पर भाजपा की सत्ता कायम हो गई है। इस तरह राज्य की 10 जिला परिषदों के साथ ही अधिकतर पंचायतों में भाजपा के सभापति हैं। नगर पालिकाओं में भी सबसे अधिक नगराध्यक्ष भाजपा के हैं। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत का कहना है कि भाजपा को यह सफलता दूसरे दलों से आए लोगों के कारण हासिल हुई है। इस समय 27 महानगर पालिकाओं में भाजपा का राज चल रहा है। मीरा-भाईंदर, पनवेल, नासिक, जलगांव, पुणे, पिंपरी चिंचवड, सोलापुर, सांगली, लातूर, नागपुर, अमरावती, अकोला, चंद्रपुर और उल्हासनगर मनपा में भाजपा की सत्ता है, जबकि कल्याण-डोंबिवली, औरंगाबाद और अहमदनगर में भाजपा शिवसेना के साथ गठबंधन कर राज कर रही है। राज्य की दो मालदार महानगर पालिका मुंबई और ठाणे में शिवसेना की सत्ता है।
-ऋतेन्द्र माथुर