सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती...
02-Oct-2017 10:55 AM 1240059
हिंदू धर्म के कई शास्त्र और ग्रंथो में कई ऐसी बातें बताई गई है। जिन्हें धारण करने से आपको हर समस्या का हल के साथ-साथ हर काम में सफलता मिलेगी। शास्त्र, ग्रंथ में कई ऐसे-ऐसे इंसानों के बारे में बताया गया है कि अगर हम इन बातों का ध्यान रखें तो दिन अच्छा होने के साथ-साथ, ज्ञान की वृद्धि और समय की बचत होगी। ऐसा ही एक ग्रंथ है रामचरितमानस जिसमें श्री राम ने जीवन में सफल होने के कई बाते बताई है। इसी में उन्होंने बताया कि हमें किस तरह के इंसान से किस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए। जिससे कि हम हमेशा सफल रहें। रामचरितमानस में श्री राम ने जीवन में सफल होने की कई बाते बताई है। इसी में उन्होंने बताया कि हमें किस तरह के इंसान से किस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए। जिससे कि हम हमेशा सफल रहें। सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती। सहज कृपन सन सुंदर नीती। इस श्लोक का मतलब है कि कभी भी न करें मूर्ख से प्रार्थना, बेईमान व्यक्ति से प्यार से बात, कंजूस से दान की बात न करें। लछिमन बान सरासन आनू. सौ सौ बारिधि बिसिख कृसानू। सठ सन विनय कुटिल सन प्रीती. सहज कृपन सन सुन्दर नीती।। ममता रत सन ज्ञान कहानी. अति लोभी सन बिरति बखानी। क्रोधिहि सम कामिहि हरि कथा. ऊसर बीज बये फल जथा।। इस श्लोक के अनुसार श्री राम ने बताया कि ममता में फंसे हुए व्यक्ति से न करें ज्ञान की बात, लोभी से वैराग्य की बात, गुस्सैल व्यक्ति से शांति की बात और कामी से भगवान की बात न करें। मूर्ख से विनय, कुटिल के साथ प्रीति, स्वाभाविक कंजूस से सुन्दर नीति (उदारता का उपदेश) ममता में फंसे हुए मनुष्य से ज्ञान की कथा, अत्यंत लोभी से वैराग्य का वर्णन, क्रोधी से शम (शांति की बात) और कामी से भगवान् की कथा, इनका वैसा ही फल होता है जैसे ऊसर में बीज बोने से होता है अर्थात सब व्यर्थ। यहां पर इन बातों को लिखने वाले का कतई यह अभिप्राय नहीं है कि वह प्रवचन करने बैठ गया अथवा किसी विशेष धर्म ग्रन्थ का अंधानुकरण करने वाला हूं। या यूं कहें कि इस पर टीका करने बैठ गया। ऐसा कुछ भी नहीं है। बड़े बड़े विद्वदजनों को सादर प्रणाम करता हूं। यह तो इस ग्रन्थ को पढ़कर मात्र शाब्दिक अर्थ को समझकर मन में उत्पन्न हुए भावों का प्रकटीकरण है। भाई हित अनहित तो अपने-अपने दर्शन के अनुसार आंका जाता है। जैसे वाद विवाद प्रतियोगिता होती है तो पक्ष वाले किसी विषय पर अच्छाइयां ढूंढकर अपना तर्क प्रस्तुत करते हैं तो विरोध में बोलने वाले बुराइयों को प्रतिपादित करने में लग जाते हैं। यहां वाद विवाद की बात नहीं है। किसी भी धर्म, सम्प्रदाय का हो उनके ग्रंथों में लिखी जनहित की बातों को, अच्छाइयों को जरूर अपनाना चाहिए, उनका सम्मान करना चाहिए बजाय इसके कि खोद-खोद कर बुराइयां ढूंढ कर लडऩे कटने पर उतारू हो जाएं। सभी को सभी धर्मो का बराबर सम्मान करना चाहिए ...यानी सर्वधर्म समभाव। मूर्ख व्यक्ति से न करें प्रार्थना कभी भी मूर्ख व्यक्ति से प्रार्थना न करें। वह कभी दूसरे की प्रार्थना को समझता नहीं है, क्योंकि वह जड़ बुद्धि है। उससे कोई भी काम डरा-धमका कर ही कराया जा सकता है। बेईमान व्यक्ति से न करें प्यार से बात श्री राम कहते है कि कभी भी बेईमान व्यक्ति, कुटिल स्वाभाव वाले व्यक्ति से प्यार से बात न करें। वह इस भाषा को नहीं समझता है न ही वह इसके लायक है। ऐसे लोग हमेशा दूसरे को कष्ट देते है। जिससे इन्हें खुशी मिलती है। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को संकट में डाल सकते हैं। जिसके कारण इनका कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। इसलिए इनसे कभी भी प्यार से बात नहीं करनी चाहिए। कंजूस के कभी न कहे दान करने की बात जो व्यक्ति अपने स्वाभाव से कंजूस हो उसे कभी भी दान करने को न कहें। वह व्यक्ति न ही किसी की मदद कर सकता है न ही किसी को कुछ भी दान दे सकता है। फिर चाहे जैसी भी परिस्थिति हो। इन लोगों से अपनी बात कहना खुद का समय बर्बाद करने जैसा है। ममता में फंसे हुए व्यक्ति से न करें ज्ञान की बात कभी भी ममता में फंसे व्यक्ति से ज्ञान की बात न करें। उसे अपनी ममता के आगे कुछ नहीं दिखता है। फिर वह चाहे सही हो या फिर गलत हो। इसलिए ऐसे लोगों से ज्ञान की बात करना खुद का समय बर्बाद करना है। लोभी से वैराग्य की बात श्री राम ने कहा कि कभी भी किसी लोभी से वैराग्य की बात न करें। वह कभी भी धन के मोह से दूर नहीं हो सकता है। ऐसे लोग हमेशा दौलत में ही फंसे रहते है। इससे आगे उन्हें कुछ भी नहीं दिखता है। इसलिए किसी भी लोभी से वैराग्य की बात न करें। गुस्सैल व्यक्ति से शांति की बात किसी भी गुस्सैल व्यक्ति से शांति की बात करना व्यर्थ है। जब वह व्यक्ति गुस्से में आता है, तो हर चीज भूल जाता है। जिसके बाद वह क्या करें। उसे इस बात का खुद ही होश नहीं रहता है। उसे अच्छा-बुरा कुछ भी नहीं दिखाई देता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति से कभी भी शांति की बात न करें। कामी से भगवान की बात जो व्यक्ति कामी है यानी जिसकी भावनाएं वासना से भरी हुई हैं, उससे भगवान की बात करना व्यर्थ है। कामी व्यक्ति को हर जगह सिर्फ काम वासना ही दिखाई देती है। अति कामी व्यक्ति रिश्तों की और उम्र की मर्यादा को भी भुला देते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से भगवान की बात नहीं करनी चाहिए। -ओम
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^