विघ्नहर्ता गणेश
31-Aug-2017 06:20 AM 1235022
विघ्न हर्ता भगवान गणेश की आराधना का महापर्व गणेशोत्सव शुरू हो गया है। इस बार भक्तों ने घरों और झांकियों में ईको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की हैं। यानी इस बार प्रभु से लेकर प्रकृति की पूजा भी की जा रही है। भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते ही हैं। सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को शिव व पार्वती नंदन यानी पुत्र के रूप में पूजनीय है। वहीं पौराणिक मान्यताओं में भगवान गणेश पंच देवों के रूप में बताए गए परब्रह्म के अलग-अलग रूपों में एक हैं। वे पंचदेवों में प्रथम पूजनीय भी हैं। ये पंचदेव हैं - शक्ति, शिव, सूर्य, विष्णु और गणेश। इस तरह परब्रह्म स्वरूप भगवान गणेश भी आदिदेव माने गए हैं। भगवान गणेश का यही आदि स्वरूप विघ्नहर्ता, मंगलकारी, देव-दानवों द्वारा भी पूजित और हर युग में अलग-अलग रूपों में जगत के संकटों का नाश करने वाला माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की दो पत्नियां ऋद्धि-सिद्धी व पुत्र लाभ व क्षेम बताए गए हैं (इनको लोक परंपराओं में शुभ-लाभ भी कहा जाता है), जहां भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं तो उनकी पत्नियां ऋद्धि-सिद्धी यशस्वी, वैभवशाली व प्रतिष्ठित बनाने वाली होती है, वहीं, शुभ-लाभ हर सुख सौभाग्य देने के साथ उसे स्थायी और सुरक्षित रखते हैं, शास्त्रों में ऐसे ही सुख-सौभाग्य की चाहत पूरी करने के लिए बुधवार को गणेश जी पूजन में गणेश जी के साथ ऋद्धि-सिद्धि व लाभ-क्षेम का विशेष मंत्रों से स्मरण बहुत ही शुभ माना गया है। लंबोदर का व्यक्तित्व भी शिक्षा के अचूक गुर समेटे हुए है। जिनका सहारा लेकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को उन्नति की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। वे अनुशासित हैं। कठोर भी। प्रेम भी उतना ही है उनमें। बुद्धिमत्ता और चातुर्य में तो उनका कोई जवाब नहीं। फिर आकर्षण और गुरुत्व में भी विघ्नहर्ता सा कोई नहीं है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि गीता का पाठ पढ़ाने वाले कृष्ण ही मैनेजमेंट गुरु नहीं थे, विघ्नहर्ता भी अच्छे अध्यापक हैं। जिस तरह वे खास हैं, उसी तरह वे हमें भी कुछ खास बातें सिखाते हैं। बस हमें उन्हें अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। भगवान गणेश का हाथी के आकार का विशाल मुख उनकी विस्तृत सोच और जाग्रत मस्तिष्क का प्रतीक है। बड़ा मस्तक बड़ा सोचने और बड़ा करने की ऊर्जा देता है। ठीक इसी तरह यदि कोई व्यक्ति बड़ा नहीं सोच सकता तो उसके लिए बड़ा करना भी मुश्किल होगा। इसलिए हम भी गणेश जी की तरह बड़ा सोचें। गणेश के दो बड़े-बड़े कान ज्यादा सुनने और कम बोलने का संदेश देते हैं। एक अच्छा व्यक्ति या मुखिया वही हो सकता है, जो सुने सबकी पर करे मन की। एक अच्छे लीडर को चाहिए कि वह हमेशा अपने कान खुले रखे, सभी को ध्यान से सुने और अच्छी बात को ग्रहण कर अनावश्यक बातों को दिमाग से हटा दे। गणेश के विशाल मस्तक के नीचे दो छोटी-छोटी आंखें निरंतर लक्ष्य पर केंद्रित रहने का संदेश देती हैं। लक्ष्य से आंखें हटने पर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। फोकस रहने वाला व्यक्ति बेहतर प्रशासक बन सकता है। विघ्नहर्ता की आंखें भी हमें यही संदेश देती हैं। जब तक लक्ष्य पूरा न हो बस अडिग बने रहो। गणेश के कान भले ही बड़े हों पर उनका मुंह छोटा है, जो थोड़ा बोलने और सही बोलने की प्रेरणा देता है। ज्यादा बोलने से ज्यादा समस्याएं आती हैं। लिहाजा एक अच्छे मैनेजर के लिए बेहतर है कि वह जो भी बोले सार्थक बोले। कम बोले पर मधुर बोले, तभी वह गणेश जी की तरह सभी के दिलों पर राज कर सकता है। उनकी लंबी सूंड उन्हें दूर की चीजों को सूंघने में समर्थ बनाती है। जिस तरह हाथी अपने विशाल शरीर के बावजूद एक नन्हीं सी चींटी को लेकर सावधान रहता है, उसी तरह एक कुशल मैनेजर भी छोटे-छोटे खतरों के प्रति लापरवाह नहीं रहता और सतर्कता बरतता है। गणेश की ही तरह किसी अच्छे मैनेजर को भी अपने शत्रुओं को कभी कमतर नहीं आंकना चाहिए। पेट पचाने का स्थान होता है। लंबोदर का लंबा पेट बहुत सारी अच्छी-बुरी चीजों को पचाने की क्षमता रखता है। ठीक इसी तरह एक अच्छे एडमिनिस्ट्रेटर को हर तरह की खबर झेलने की क्षमता रखनी चाहिए। गणेश के चार हाथ काम करने के जुनून व टीम भावना को व्यक्त करते हैं। जब वेदव्यास ने उनसे महाभारत लिखने का अनुरोध किया तो उन्होंने सुंदरता को दरकिनार करते हुए एक दांत त्याग दिया। इससे प्रेरणा लेकर व्यक्ति को बड़े काम के लिए छोटा त्याग कर देना चाहिए। -ओम
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