इटली झुका या भारत
04-Apr-2013 08:58 AM 1234880

भारत के दो मझुआरों की हत्या करने वाले इतालवी नौ सैनिक नाटकीय घटनाक्रम के बाद भारत लौट आए हैं। हालांकि उनको भारत लाने के लिए जो शर्ते भारत ने मानी उससे यह साफ लगता है कि द्विपक्षीय मामलों में भारत की विदेश नीति दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है। इटली का व्यवहार ऐसा था मानों नौसैनिकों को भारत नहीं बल्कि किसी कबीले को सौंपा जा रहा हो। भारत में इटली से श्रेष्ठ न्याय प्रक्रिया है यहां तो मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपियों की भी फांसी की सजा घटा दी जाती है। ऐसे में इटली को नमालुम क्या भय था। भारत और इटली के बीच जिस तरह का समझौता है उसके चलते वैसे भी इन नौ सैनिकों को कोई विशेष सजा मिलेगी इसकी संभावना कम ही है। लेकिन जिस तरह उन्हें मेहमान नवाजी का आनंद दिलाया जा रहा है वह स्वीकार्य नहीं है। इस घटना के बाद इटली के विदेश मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है।
भारत ने पिछले महीने इटली में आम चुनाव में मतदान करने के लिए दोनों नौसेनिकों को अपने देश जाने की इजाज़त दी थी। जब इतालवी नौसैनिकों को कुछ समय के लिए अपने देश जाने की इजाज़त दी गई थी, तब इटली के राजदूत ने लिखित में वायदा किया था कि वे उन पर चल रहे मुकदमे का सामना करने भारत लौट आएंगे। लेकिन बाद में मुकरते हुए इटली ने अपने नौसैनिकों का पक्ष लेते हुए कह दिया था कि उन्हें वापस भारत नहीं भेजा जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच  राजनयिक विवाद और गहरा हो गया था। उसके बाद भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने इटली के राजदूत डेनियल मंचिनी को भारत न छोडऩे का आदेश दिया था। जबकि इतालवी राजदूत ने दलील दी थी कि वियना कन्वेन्शन के तहत उनके खिलाफ राजनयिक तौर पर कोई कदम नहीं उठाया जा सकता। इटली के सैनिकों पर आरोप है कि एक साल पहले केरल के समुद्र तट के निकट उन्होंने दो भारतीय मछुआरों को गोली मार दी थी।  आरोपी नौसैनिको को मैस्सिमिलिआनो लाटोर्रे और सल्वाटोरे गिरोने तेल वाहक पोत एमवी एनरिका लैक्सी पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। 15 फरवरी को आरोपी नौसैनिकों ने केरल के तट पर मछली पकड़ रहे दो मछुआरों पर समुद्री लुटेरा होने के संदेह में गोलीबारी की। गोलीबारी में दोनों मछुआरे अजेश बिन्की और गैलेस्टिन मारे गए। भारत की सुप्रीम कोर्ट ने इटली के राजदूत को भारत छोडऩे से मना किया था। नौसैनिकों का कहना है कि उन्होंने हिंद सागर में भारतीय मछुआरों को समुद्री लुटेरे समझ कर उन पर गोलियां चला दीं थी। इससे पहले दिसंबर 2012 में भी उन्हें क्रिसमस मनाने के लिए इटली जाने की अनुमति मिली थी जिसके बाद वे भारत लौट आए थे। तब केरल हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार दोनों इतालवी नौसैनिकों ने छह करोड़ रुपये की बैंक गांरटी दी थी और दो हफ्तों के भीतर भारत वापस आने का लिखित आश्वासन दिया था। मछुआरों के परिवारवालों से हुए एक समझौते के तहत इटली की सरकार ने मारे गए दोनों मछुआरों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अब ये मामला दोनों देशों के बीच एक राजनयिक विवाद का रूप ले चुका है। इन नौसैनिकों की गिरफ्तारी के बाद से ही इटली उनकी रिहाई के लिए भारत पर राजनयिक दबाव बनाता रहा है। इटली का कहना है कि गोलीबारी की ये घटना अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में हुई थी।
इस पूरे मामले में भारत सरकार कहती रही है कि वह न्यायिक प्रक्रिया में दखल नहीं देगी और अंतिम फैसला अदालत में ही होगा। भारत सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि दोनों ही नौसैनिकों को अब गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा दोनों इटली के दूतावास में रह सकते हैं और हफ्ते में एक बार उन्हें नजदीक के पुलिस स्टेशन पर जाना होगा। वैसे भी  दोनों देशों के बीच समझौता है कि कोई भी सजायाफ्ता अपने देश की जेल में सजा काट सकता है। इटली के विदेश उपमंत्री स्तीफन डी मिसतूरा ने कहा कि मरीन की सुनवाई के लिए जल्द से जल्द एक विशेष अदालत स्थापित की जानी चाहिए। हमें न्याय और स्पष्टता चाहिए। मिस्तुरा ने कहा कि यदि विशेष अदालत की कार्यवाही जल्द से जल्द और प्रभावशाली ढंग से हो तो हम इसमें हिस्सा लेने की स्थिति पर अडिग हैं। भारतीय समुद्री सीमा में विदेशी जहाजों द्वारा गोली बारी करना आम बात है। भारत के तटरक्षक बलों की तमाम मुस्तैदी के बावजूद ऐसी घटनाएं सुनाई पड़ ही जाती हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा खतरनाक है पाकिस्तानी और श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया जाना। प्रतिवर्ष सैकड़ों मछुआरे जो अपनी जान पर खेलकर मछली पकडऩे जाते हैं। इन नौ सैनिकों की गिरफ्त में आ जाते हैं। उसके बाद इनके साथ जो सलूक किया जाता है वह अमानवीय तो है ही अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का भी खुला उल्लंघन कहा जा सकता है। भारत सरकार द्वारा तमाम तरह के उपाय करने के बावजूद भारत की समुद्री सीमा अभी भी सुरक्षित नहीं है।
मार्केण्डेय तिवारी

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