कानूनी पचड़े में अटकी नवाब की संपत्ति...?
02-Jan-2016 08:28 AM 1235446

भोपाल रियासत की अकूत संपत्ति पटौदी परिवार के वारिसों के अहं व स्वार्थ के चलते बंटवारे की खातिर अदालती पचड़े में फंस गई है। सैफ अली खान, शर्मिला टैगोर के अलावा वारिसों की लंबी फौज के बीच चल रहा जायदाद का विवाद कैसा रंग लेता जा रहा है, पारिवारिक बंटवारा जज्बाजी तौर पर तो तकलीफदेह होता ही है लेकिन वक्त रहते न हो तो जायदाद के लिहाज से भी नुकसानदेह साबित होने लगता है जैसा कि भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान के वारिसों के बीच हो रहा है।  तकरीबन 1 हजार करोड़ रुपए की जायदाद के बंटवारे को ले कर मामला फिर अधर में लटक गया है और ऐसा लग भी नहीं रहा कि यह जल्द सुलझ पाएगा। इस दफा तीसरी पीढ़ी के वारिसों के अहं, महत्वाकांक्षाएं, पूर्वाग्रह, जिद और लालच आड़े आ रहे हैं। मौजूदा जायदाद के 7 वारिसों में से कोई भी समझौता करने के मूड में नहीं दिख रहा। सो, गेंद अब अदालत और सरकार के पाले में है। इस लड़ाई से नवाब मंसूर अली खान उर्फ नवाब पटौदी की बेगम आयशा सुल्तान यानी अपने जमाने की मशहूर फिल्म ऐक्ट्रैस शर्मिला टैगोर की अदालत के बाहर समझौता कर जायदाद बांट लेने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है और इस दफा यह झटका देने वाले कोई और नहीं उन के ही बेटे बौलीवुड के कामयाब अभिनेता सैफ अली खान हैं, वरना वे अपनी मंशा में कामयाब होती दिख रही थीं। भोपाल रियासत की त्रासदी या खूबी यह रही है कि यहां अधिकांश वक्त बेगमें काबिज रहीं जो कोई हर्ज की बात न थी पर अब जिस तरह बंटवारे का मसौदा और मामला उलझ रहा है उसे देख लगता है कि पुरुष बेहतर तरीके से बंटवारे को अंजाम दे सकते हैं, फिर चाहे वे मध्यवर्गीय परिवारों के हों, रियासतों के हों या रजवाड़ों के।
1926 में भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान ने रियासत संभाली थी।  हमीदुल्लाह के चूंकि कोई बेटा नहीं था, इसलिए उन्होंने अपनी मंझली बेटी साजिदा सुल्तान को शासक नियुक्त कर दिया था। कायदे से यह जिम्मेदारी उन की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को मिलती पर वे शादी करने के बाद अपने बेटे शहरयार के साथ पाकिस्तान जा कर बस गईं। छोटी बेटी राबिया सुल्तान भी अपनी ससुराल में चली गईं। साजिदा बेगम की शादी पटौदी राजघराने के नवाब इफ्तिखार अली खान के साथ हुई थी। इन दोनों के 3 संतानें हुईं जिन में सब से बड़े थे मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने जमाने के मशहूर क्रिकेटर थे और सिने तारिका शर्मिला टैगोर से प्यार कर बैठे और शादी हुई तो शर्मिला ने धर्म के साथ नाम भी बदल कर आयशा सुल्तान रख लिया। साजिदा और इफ्तिखार की 2 बेटियों यानी मंसूर अली की दोनों बहनों सालेहा सुल्तान और सबीहा सुल्तान की शादी हैदराबाद में हुई थी।  बेटा होने के कारण मंसूर अली खान घोषित तौर पर नवाब मान लिए गए पर तब देश आजाद हो चुका था और राजेरजवाड़ों के दिन लदने लगे थे। सरकार ने दबाव बना कर रियासतों का विलीनीकरण करना शुरू कर दिया था जो उस वक्त के हालात को देखते जरूरी भी था। आमतौर पर बेटियां पैतृक संपत्ति में हिस्से के लिए कानून का सहारा कम ही लेती थीं। भोपाल रियासत के मामले में भी यही होता लेकिन विवाद की शुरुआत एक छोटे से अहं और असुरक्षा को ले कर हुई। मंसूर अली खान की छोटी बहन सबीहा अपने पति मीर अर्जुमंद अली के साथ साल 2002 में रुकने के लिए भोपाल स्थित अपने घर यानी फ्लैग स्टाफ हाउस पहुंचीं तो उन्हें यह कह कर मुलाजिमों ने चलता कर दिया कि यह नवाब मंसूर अली खान का घर है जो उन्हें उन की मां साजिदा दे कर गई थीं। यह मालिकाना हक जता कर बहनों को टरकाने की नाकाम कोशिश थी।  इस से पहले सबीहा ने कभी जायदाद को ले कर भाई से किसी तरह का विवाद या फसाद खड़ा नहीं किया था लेकिन सालेहा जरूर मंसूर अली खान को जायदाद की बाबत नोटिस देती रही थीं। जाहिर है फ्लैग स्टाफ हाउस, जिसे अहमदाबाद पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, से यों चलता कर देने से सबीहा ने खुद को बेइज्जत महसूस किया और सीधे अदालत में मामला दायर कर दिया। इस पर मंसूर अली ने थोड़ी समझदारी दिखाते यह व्यवस्था कर दी कि अगर बहनों को फ्लैग स्टाफ हाउस में रुकना ही है तो वे अपने खानेपीने और मुलाजिमों का खर्च खुद उठाएं।
यानी मंसूर अली उन भाइयों में से नहीं थे जो अपनी बहनों, बहनोइयों और भांजे, भांजियों के आने पर खुश होते हैं और उन का स्वागत सत्कार करते हैं। उलटे, वे तो बहनों को नसीहत दे रहे थे कि मां के मकान में ठहरो तो खान ेपीने के और दीगर खर्चे खुद उठाओ। यह बात सबीहा और सालेहा दोनों को नागवार गुजरी और उन्होंने उनके खिलाफ मोर्चा खोल लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि नवाब की संपत्ति अदालतों के पेंच में फंस कर रह गई है।

सर्वे में फंसी सैफ की प्रापर्टी
बैरागढ़ में मर्जर का मामला जिस तेजी से गहराता जा रहा है, उससे नवाब सैफ अली की करोड़ों की संपत्ति का सर्वे भी अटका हुआ है। मर्जर और ईदगाह हिल्स की जमीन विवाद पहले से चल रहे हैं। इसी बीच शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ने भोपाल नवाब की पूरी जमीन सरकारी घोषित कर लाखों लोगों को अतिक्रामक बना दिया। ऐसा शत्रु संपत्ति कार्यालय से कोई मार्गदर्शन नहीं मिलने और मामला हाईकोर्ट होने से किया गया है। गौरतलब है कि शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय मुंबई ने 24 फरवरी 2015 को एक आदेश जारी कर भोपाल नवाब की जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर 14 लोगों की विशेष टीम गठित की थी। इसमें रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारी शामिल हैं। उस समय कहा गया था कि यह टीम नवाब की पूरी प्रॉपर्टी का सर्वे कर रिपोर्ट देगी। इस सर्वे में नवाब की प्रॉपर्टी का खसरेवार सर्वे किया जाना था।
-ज्योत्सना अनूप यादव

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