विषबीज
29-May-2015 05:31 AM 1234841

 

भगवान सिंह, दरोगा,..सारे जीवन, ईमानदारी का पल्ला थामे रहे वह भी महकमा-ए-पुलिस में। रिटायर होने के बाद, उनके पास उनका पुश्तैनी मकान था, और इकलौता बेरोजगार बेटा।
बेटे की बेरोजगारी से तंग आकर, उन्होंने अपना पुश्तैनी मकान गिरवी रख दिया, और बीस हजार रुपए रिश्वत देकर, उसे सहकारिता विभाग में नौकरी दिलवा दी। क्या करते, शेष सारे मार्ग बन्द हो चुके थे, और बेटा ओवर एज हो चुका था।
जब बेटे के घर पहला बेटा हुआ, तो उसने अगले दिन ही नवागन्तुक के नाम चालीस हजार रुपए फिक्स कर दिए थे।

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