02-Jan-2015 02:26 PM
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अगर आप ज्यादा वजन उठाते हैं, ऊबडख़ाबड़ रास्तों पर मोटरसाइकिल चलाते हैं या आपका लगातार बैठे रहने वाला जॉब है, तो अभी से सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि इस स्थिति में आपको स्पाइनल डिस्क प्रॉब्लम हो सकती है। बहुत से लोग साधारण पीठ दर्द और स्पाइनल डिस्क पेन में फर्क नहीं समझ पाते। दरअसल, स्पाइनल डिस्क पेन रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में स्थित डिस्क से जुड़ा होता है।
शरीर का पूरा वजन रीढ़ की हड्डियों पर टिका होता है। इनके बीच कुशन जैसी एक मुलायम चीज होती है, जिन्हें डिस्क कहा जाता है। ये डिस्क एक-दूसरे से जुड़ी होती है और वर्टिब्रा के बिल्कुल बीच में स्थित होती है। ये डिस्क रीढ़ की हड्डियों के बीच शॉक एब्जॉर्बर का काम करती है। लेकिन कई बार हाइपरएक्टिविटी, ज्यादा आगे झुकने, वजन उठाने, बस या गाड़ी में झटका लगने, टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर मोटरसाइकिल चलाने या फिर घंटों लगातार बैठने वाले जॉब के कारण दबाव पडऩे से इनकी बाउंड्री में ब्रेक आने से डिस्क अपने स्थान से बाहर आ जाती है। इस परेशानी की शुरुआत कमर दर्द से होती है।
समस्या गंभीर होने पर चलने में भी दिक्कत होने लगती है। कई बार डिसप्लेस डिस्क स्पाइन कॉर्ड से निकल कर लिंब्स को जाने वाली नसों को दबा देती हैं। लिंब्स की नसों पर दबाव पडऩे पर वे जहां तक जाती हैं, वहां तक पैर में बहुत ज्यादा दर्द रहता है। कभी-कभी पैरों में झनझनाहट या कमजोरी भी महसूस होती है। आमतौर पर स्पाइनल डिस्क की समस्या हर उम्र के लोगों में देखने को मिलती है। युवाओं में अगर यह समस्या देखने को मिलती है, तो इलाज में अधिक समय लगता है। यदि बुजुर्ग इस समस्या से पीडि़त होते हैं, तो उनमें इस समस्या का जड़ से इलाज नहीं हो पाता। दरअसल, उम्र ढलने के साथ हड्डियों में भी बदलाव आ जाता है। बुजुर्गों में स्पॉन्डिलाइटिस की वजह से भी दर्द होता है, जिसके कारण डिस्क में बदलाव आते हैं। युवाओं को ज्यादा एक्सरसाइज करने, गलत तरीके से वेटलिफ्टिंग करने से बचना चाहिए। उन्हें प्रशिक्षित ट्रेनर की उपस्थिति में ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर मोटरसाइकिल चलाने से बचना चाहिए। इसके अलावा ऑफिस में अधिक देर तक एक ही पोश्चर में बैठने से बचें। ज्यादा भारी सामान उठाने और झुकने से भी बचें। अगर कमर में दर्द हो, तो डॉक्टर के परामर्श पर एक्सरे और एमआरआई कराएं। कभी-कभी ट्रीटमेंट के लिए एक्सरसाइज के साथ फिजियोथेरेपी की भी जरूरत पड़ती है। कुछ केस में ऑपरेशन की भी जरूरत पड़ती है।
एंजियोप्लास्टी से मदद
रक्त धमनियों में जमी कॉलेस्ट्रॉल की परत हटाने के लिए एंजियोप्लास्टी का सहारा लिया जाता है। एंजियोप्लास्टी के दौरान सर्जन सिकुड़ी हुई रक्त शिराओं में एक खाली गुब्बारा छोड़ते हैं और फिर उसे फुलाते हैं ताकि उससे जमे फैट पर दबाव पड़े और खून का प्रवाह बढ़ जाए। कुछ मामलों में एक वायर ट्यूब भी रक्त शिराओं में डाला जाता है, ताकि भविष्य में रक्त शिराओं को सिकुडऩे से बचाया जा सके। हालांकि एंजियोप्लास्टी के बाद भी पूरी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। मरीज नियमित रूप से ब्लड थिनर मेडिसिन लेते रहें लेकिन हाई बीपी वाले मरीज इन्हें न लें। कॉलेस्ट्रॉल प्रॉब्लम में स्टेटिन की गोली नियमित रूप से लेते रहें। अपने डॉक्टर से भी रेगुलर चेकअप कराते रहें। यदि आप स्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो भी दवाएं बिना डॉक्टरी सलाह के बंद न करें। अगर आप डायबिटिक हैं, तो अपनी ब्लड शुगर कंट्रोल में रखें और इंसुलिन नियमित रूप से लेते रहें। डायबिटीज के मरीज के लिए दवाइयां नियमित रूप से लेना बहुत जरूरी है। इसके अलावा ब्लड लिपिड भी कंट्रोल में रखें। अगर एंजियोग्राफी के बाद परेशानी महसूस हो रही है, तो ईसीजी कराएं। धूम्रपान न करें। प्रतिदिन टहलें और योग करें। एंजियोप्लास्टी के बाद डाइटीशियन की सलाह के अनुसार भोजन लें और तनावमुक्त रहें।
मोटापे से छुटकारा
वजन घटाने की चाहत रखते हैं पर रोज घंटों कसरत करना आपके लिए मुश्किल है तो अब आप दवा से भी मोटापा घटा सकते हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा तैयार की है जिसके बारे में उनका दावा है कि इससे मोटापा घटाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्हे ऐसी दवा बनाने में सफलता मिली है जिससे शरीर में मौजूद बैड फैट्स को गुड फैट्स में तब्दील किया जा सकता है और बढ़ते वजन पर ब्रेक लगाया जा सकता है। बैड फैट्स यानी व्हाइट फैट्स सेल्स को इस दवा की मदद से ब्राउन फैट्स सेल्स में बदला जा सकता है। ब्राउन फैट सेल्स शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा और व्हाइट फैट सेल्स की खपत करती है। इस दवा की मदद से न केवल मोटापे पर लगाम लगाई जा सकती है बल्कि डायबिटीज टाइप 2 के खतरे को भी कम किया जा सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने इसे कसरत का विकल्प नहीं माना है। उनके अनुसार, कसरत के फायदे अपनी जगह हैं और यह दवा कसरत के साथ सप्लीमेंट के तौर पर देखी जानी चाहिए।