20-Oct-2020 12:00 AM
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मप्र में परिवहन विभाग की गणना प्रदेश के सबसे भ्रष्ट विभागों में होती है। इस विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहता है। कहा जाता है कि इस विभाग में सरकार को जितना राजस्व मिलता है, उससे कहीं अधिक इस विभाग के अफसर सफाचट कर जाते हैं। इसलिए इस विभाग में पदस्थ होने के लिए अफसरों में होड़ मची रहती है। माना जाता है कि इस विभाग में जो भी आता है, वह भ्रष्टाचार के रंग में रंग जाता है। इस विभाग का इतिहास भी कुछ ऐसा ही कहता है। लेकिन इस किवदंती को 1989 और 2006 बैच के 2 आईपीएस अफसरों ने तोड़ा है। इन दोनों अफसरों ने आपसी समन्वय और सूझबूझ से न केवल सरकार के खाली खजाने को भरा है, बल्कि आमजन को भी सहूलियतें प्रदान की हैं।
गौरतलब है कि कोविड-19 के कारण देश के साथ मप्र की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है। सरकार की आमदनी के सभी स्रोत लगभग बंद पड़े हुए हैं। इस कारण सरकार का खजाना खाली पड़ा हुआ है। ऐसे में खाली खजाने को राहत पहुंचाने में परिवहन विभाग ने बाजी मारी है। परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन और अतिरिक्त परिवहन आयुक्त अरविंद श्रीवास्तव के कुशल मार्गदर्शन में विभाग ने न केवल टारगेट पूरा किया बल्कि अधिक कमाई कर सरकार को राहत पहुंचाई है।
गौरतलब है कि जुलाई में जब मुकेश कुमार जैन ने परिवहन विभाग के आयुक्त का पदभार संभाला था, उस समय विभाग की आर्थिक स्थिति भी डवाडोल थी। जून में विभाग को 232.50 करोड़ का लक्ष्य दिया गया था। उसके एवज में 142 करोड़ रुपए का ही राजस्व प्राप्त हो सका। ऐसे में जैन के सामने चुनौतियों का पहाड़ था। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अतिरिक्त परिवहन आयुक्त के साथ मिलकर परिवहन आयुक्त ने राजस्व वसूली के लिए नीति बनाई और जुलाई में दिए गए लक्ष्य 182.50 करोड़ को पार करते हुए 204.78 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया। वहीं अगस्त में लक्ष्य 157.50 करोड़ को पार करते हुए 195.02 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया। इसी तरह सितंबर में 182.50 करोड़ की जगह 201.16 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया। यह इस बात को दर्शाता है कि दोनों अधिकारियों ने मिलकर किस तरह सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी की है।
गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंतिम माह में कोरोना के कारण संपूर्ण भारत में लॉकडाउन घोषित होने से एवं वित्तीय वर्ष में देश के परिवहन उद्योग में मंदी के कारण विभाग राजस्व वसूली में पिछड़ने लगा। वहीं मंदी के कारण पंजीकृत होने वाले वाहनों में गिरावट दर्ज की गई। इस कारण विभाग वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी राजस्व वसूली में पिछड़ता गया। अप्रैल में जहां वर्ष 2019-20 में 262.60 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था, वहीं इस वर्ष मात्र 7.05 करोड़ ही प्राप्त हुआ। वहीं मई में पिछले वित्तीय वर्ष में 226.50 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में 33.09 करोड़ रुपए ही राजस्व की प्राप्ति हो सकी। जून में लॉकडाउन खत्म होने के बाद विभाग को 232.50 करोड़ का लक्ष्य दिया गया, लेकिन 142 करोड़ रुपए ही राजस्व प्राप्त हुआ। ऐसे में जब जुलाई में मुकेश कुमार जैन परिवहन आयुक्त बने तो उनके सामने बड़ी चुनौतियां थीं। लेकिन विभागीय अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर उन्होंने इन चुनौतियों को पार पा लिया है।
कोविड-19 के इस दौर में जहां सरकार के सभी विभाग नुकसान की बात कर रहे थे ऐसे में परिवहन विभाग ने जुलाई से अपना वसूली लक्ष्य बहुत अच्छे से अचीव किया है। विभाग को उम्मीद है कि अक्टूबर के बाद स्थिति और सुधर जाएगी। दरअसल विभाग रणनीति बनाकर काम कर रहा है। जहां एक तरफ बकाया वसूली पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, वहीं लोगों को वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। आरटीओ बैरियर्स पर औचक निरीक्षण के साथ ही मॉनिटरिंग भी की जा रही है। अगर किसी बैरियर से कम आय होती है तो तत्काल उसके कारणों की समीक्षा की जाती है। सभी क्षेत्रीय एवं जिला परिवहन कार्यालयों को मासिक लक्ष्य के अनुरूप वसूली करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही हिदायत भी दी गई है कि राजस्व वसूली में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाना चाहिए। आम जनों की सुविधा हेतु लर्निंग लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन रजिस्ट्रेशन के लिए स्लॉट की संख्या बढ़ा दी गई है। साथ ही कार्य के समय में भी वृद्धि की गई है। परिवहन कार्यालयों में शिष्टाचार का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। वहां अपना कार्य कराने के लिए पहुंचने वाले लोगों के साथ मधुर व्यवहार किया जा रहा है। इससे यह देखा जा रहा है कि लोग दलालों के चंगुल में पड़ने की बजाय स्वयं अपना काम करवाने पहुंच रहे हैं।
बदनाम आरटीओ बैरियर्स से भी हुई कमाई
परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन ने जुलाई में जिम्मेदारी संभाली थी। जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही वे राजस्व बढ़ोत्तरी के अभियान में जुट गए। इसके लिए कई कठोर नियमों को शिथिल किया गया। वहीं उन्होंने उन परिवहन बैरियर्स पर अपना ध्यान केंद्रित किया जहां से विभाग की कमाई कम हो रही थी। ऐसे आरटीओ बैरियर्स पर मॉनिटरिंग बढ़ाई गई। वहां औचक निरीक्षण किया गया। इससे बदनाम आरटीओ बैरियर्स से भी कमाई होने लगी। ओवर लोडिंग कर चलने वाले वाहनों, बकाया टैक्स वाले वाहनों और मोटरयान के नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहनों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया। यही नहीं ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए समय सीमा बढ़ाई गई। छुट्टी के दिन भी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए गए। प्रदेश में राजस्व की आय के स्रोत रही निजी बसों के संचालन के लिए भी उन्होंने रास्ता तैयार किया। सरकार के साथ बात करके निजी बसों के टैक्स माफ करवाए। इससे प्रदेश में राजस्व प्राप्ति के नए द्वार खुल गए हैं। जैन से विश्वास जताया है कि विभाग उतरोत्तर राजस्व वसूली में प्रगति करेगा।
- कुमार राजेन्द्र