नेतृत्व की मिसाल
17-Apr-2020 12:00 AM 802

 

किसी भी देश-प्रदेश का विकास तभी होता है, जब वहां समन्वय के साथ संगठित तौर पर काम होता है। देश में इस समय कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है। ऐसी स्थिति में जिन राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर समन्वय के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ी है उनके यहां उसके परिणाम भी बेहतर आए हैं। इस कड़ी में केरल, दिल्ली और महाराष्ट्र की सरकारों ने नेतृत्व की मिसाल पेश की है।

आम तौर पर संकट की घड़ी में ज्यादातर राज्य सरकारें केंद्र सरकार पर आश्रित हो जाती हैं। कोरोना वायरस की वजह से आई आपदा के दौरान भी कई राज्य ऐसा ही कर रहे हैं। लेकिन भारत के कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री ऐसे भी हैं जो संकट की इस घड़ी में नेतृत्व की मिसाल पेश कर रहे हैं। वे केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाने के साथ-साथ कई बार महत्वपूर्ण पहल करने के मामले में उससे आगे जाते दिख रहे हैं। उनकी ऐसी कुछ पहलों को बाद में केंद्र सरकार भी अपना रही है। लॉकडाउन का निर्णय इन्हीं में से एक है। केंद्र सरकार ने एक दिन के जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी। लेकिन इस कर्फ्यू के खत्म होने से पहले ही कई राज्यों ने अपने यहां 31 मार्च तक लॉकडाउन करने की घोषणा कर दी थी। जब केंद्र सरकार ने 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की तब तक 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने यहां इसका ऐलान कर चुके थे।

भारत में कोविड-19 का पहला मरीज केरल में मिला था। कोविड-19 के मरीजों की संख्या के मामले में खबर लिखे जाने तक केरल शीर्ष से सिर्फ एक पायदान नीचे था। इस राज्य में कोविड-19 के संक्रमण के शिकार अधिक मरीज मिलने की दो वजहें बताई जा रही हैं। पहली बात यह कही जा रही है कि भारत के बाहर कई देशों में इस राज्य के लोगों की अधिक आवाजाही है। दूसरी बात यह कही जा रही है कि कोरोना वायरस की जांच करने के मामले में भी केरल का प्रदर्शन दूसरे राज्यों से बेहतर है।

लोगों का मानना है कि कोविड-19 का पहला मरीज मिलने के बाद से ही यहां के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने बेहतरीन काम किया है। विशेषज्ञों की टीम बनाकर तेजी से काम करने और राज्य के विभिन्न अस्पतालों में कोविड-19 के लिए अलग वॉर्ड बनाने के मामले में केरल ने बहुत तेजी दिखाई। केंद्र सरकार ने जिस दिन कोविड-19 के लिए 15,000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की, उसके कई दिन पहले ही पिनरायी विजयन ने 20,000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा कर दी थी। केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन की घोषणा होने के काफी पहले ही पिनरायी विजयन ने केरल में लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। जब चीन के वुहान में कोविड-19 फैला तो वहां पढ़ाई कर रहे जो छात्र जनवरी के महीने से ही केरल लौटे, उन्हें हवाईअड्डे से उतारकर सीधे आइसोलेशन वार्डों में भेजा गया। विजयन ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को यह काम सौंपा और खुद स्वास्थ्य मंत्री उन आइसोलेशन केंद्रों पर जाकर स्थिति का जायजा ले रहे थे। काफी दिन पहले से ही विजयन हर दिन और कई बार दिन में तीन बार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। इनमें विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ विशेषज्ञ, डॉक्टर और अन्य अधिकारी शामिल हो रहे हैं। लॉकडाउन की घोषणा के बाद जब दूसरे राज्यों के मजदूरों के केरल में फंसे होने की बात आई तो उनके लिए 'प्रवासी मजदूर’ की जगह पहली बार 'अतिथि मजदूर’ शब्द का इस्तेमाल भी केरल में ही हुआ। विजयन के काम को दूसरे राज्यों के लिए एक मिसाल के तौर पर पेश किया जा रहा है। विजयन का कहना है कि निपाह वायरस जब केरल में फैला था तो उस वक्त जो सबक मिले, उसका इस्तेमाल केरल में कोविड-19 से लड़ने में हो रहा है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से अपील की, कि कोविड-19 संकट के बाद दिल्ली में चल रहे राहत कार्यों में अगर कहीं कोई कमी दिखे तो उसे मीडिया प्रमुखता से दिखाए ताकि हमें अपनी कमियों का पता चल सके और हम उसे ठीक कर सकें। एक मुख्यमंत्री ने मीडिया से अपनी गलतियों की रिपोर्टिंग करने की बात उस दौर में कही जब केंद्र सरकार की ओर से कोविड-19 के प्रबंधन में हुई गलतियों की चर्चा करने वाले पत्रकारों को देशद्रोही कहा जा रहा है। उन पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि संकट की इस घड़ी में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मनोबल तोड़ने का काम कर रहे हैं।

अरविंद केजरीवाल ने बतौर मुख्यमंत्री अपने शासनकाल में स्वास्थ्य और शिक्षा पर खास जोर दिया है। यही वजह है कि जब कोविड-19 के मामले दिल्ली में आने लगे तो उन्होंने बेहद संजीदगी के साथ इस संकट का सामना करने की शुरुआत की। अरविंद केजरीवाल का कहना था कि अभी तक की उनकी तैयारी यह थी कि अगर हर दिन कोविड-19 के 100 मरीज मिलते तो भी दिल्ली के अस्पताल उनका इलाज करने में सक्षम थे। लेकिन अब इनकी क्षमता 10 गुना बढ़ा दी गई है। यानी 1000 मरीज प्रतिदिन। केंद्र सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मजदूरों, किसानों और आम लोगों के लिए पैकेज की घोषणा की। लेकिन दिल्ली में रह रहे इस वर्ग के लोगों को राहत पहुंचाने की घोषणा केजरीवाल इससे काफी पहले कर चुके थे। कोविड-19 के फैलने की वजह से जिन गरीब और बेघर लोगों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है, उनके लिए भी केजरीवाल सरकार ने खाने की व्यवस्था की है। दूसरे राज्यों के जो मजदूर दिल्ली में फंसे हैं, उनके रहने और खाने का प्रबंध भी अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से किया जा रहा है। कोविड-19 और इससे पैदा होने वाले दूसरे संकटों से निपटने में केजरीवाल के कामकाज को भी एक मिसाल की तरह पेश किया जा रहा है। कोविड-19 से निपटने के लिए दुनिया के 40 शहरों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई। इसमें अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और भारत का प्रतिनिधित्व किया।

विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र में जो राजनीतिक घटनाक्रम चला उसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए। कहा जाता है कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दबाव में उन्हें यह पद स्वीकार करना पड़ा। उद्धव ठाकरे की छवि अनिच्छुक राजनेता की ही रही है। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने से पहले वे न तो कभी विधायक-सांसद रहे और न ही किसी विभाग के मंत्री। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि जब वे मुख्यमंत्री बने थे तब उनके पास किसी भी तरह का प्रशासनिक अनुभव नहीं था। उन्हें मुख्यमंत्री बने हुए चार महीने भी नहीं हुए और उनका राज्य कोविड-19 के मरीजों के मामले में पूरे देश में पहले नंबर पर पहुंच गया। अब इस समस्या से निपटने के मामले में वे जो सूझबूझ दिखा रहे हैं उसकी चारों तरफ तारीफ हो रही है। यहां तक कि दूसरे राज्यों के लिए उनके कामकाज को एक मिसाल के तौर पर पेश किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कोरोना वायरस पर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की तो उसमें पूरी तैयारी और स्पष्ट रणनीति के साथ आने वाले गिने-चुने मुख्यमंत्रियों में उद्धव ठाकरे भी शामिल थे। केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन की घोषणा किए जाने से पहले ही उद्धव ठाकरे ने चरणबद्ध तरीके से इसे महाराष्ट्र में लागू कर दिया। इलाज के मामले में भी उन्होंने मिसाल पेश की। वे कदम-कदम पर स्थिति की मॉनिटरिंग में लगे रहे और अस्पतालों का दौरा भी करते रहे। पुणे के माइलैब ने कोरोना वायरस की जो टेस्टिंग किट बनाई है, उसकी जांच करके उसे इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार पर उन्होंने लगातार दबाव बनाया। लोगों से घर से बाहर नहीं निकलने के लिए वे अलग-अलग मंचों से लगातार अपील कर रहे हैं। जब महाराष्ट्र में कोविड-19 के मरीज मिलने लगे तो उन्होंने हर दिन महाराष्ट्र के लोगों को संबोधित करके सही स्थिति की जानकारी दी। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में उन्होंने निजी क्षेत्र के बड़े कारोबारियों से भी समन्वय करके यह प्रबंध किया कि वे भी अपने संसाधनों का इस्तेमाल इस लड़ाई से लड़ने में करें। उन्होंने आम लोगों को यह आश्वस्त किया कि जरूरी चीजों की कमी नहीं होने दी जाएगी। जिन लोगों को खाने की दिक्कत है, उन तक खाना पहुंचाने के लिए उद्धव ठाकरे सरकारी स्तर पर प्रयास करने के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की भी मदद ले रहे हैं। दूसरे राज्यों के जो मजदूर महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं, उन राज्यों की सरकारों को भी उद्धव ठाकरे ने आश्वस्त किया है कि उनके रहने और खाने की चिंता महाराष्ट्र सरकार की है और इसके लिए जरूरी बंदोबस्त किए जाएंगे।

देश में जिस तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है, उसको देखते हुए अन्य राज्यों की सरकारों को भी केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और छत्तीसगढ़ की तरह केंद्र के साथ समन्वय बनाकर काम करना होगा। वरना यह वायरस देश को आर्थिक क्षति के साथ ही मानव क्षति भी पहुंचा सकता है। यह समय राजनीति का नहीं बल्कि समन्वय का है।

इन राज्यों ने भी किया बेहतर प्रबंधन

देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में असम, बिहार, चंडीगढ़, गोवा, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि वे राज्य हैं, जिन्होंने कुशल प्रबंधन और सख्ती के साथ कोरोना वायरस को फैलने से रोका है। दरअसल, इन राज्यों ने अपनी सेवाओं पर समय रहते सतर्कता बढ़ा दी। खासकर बिहार और झारखंड ने समय पर कारगर और कठोर कदम उठाए। गौरतलब है कि इन दोनों राज्यों की बड़ी आबादी देश के अन्य राज्यों में नौकरी के लिए जाती है। लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन किया और अपने राज्य की ओर बढ़े। लेकिन बिहार और झारखंड ने राज्य में प्रवेश करने वाले हर एक व्यक्ति पर कठोर नजर रखी और पूरी जांच-परख के बाद ही उन्हें घर जाने दिया। यही नहीं इन दोनों राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार के साथ तालमेल भी बैठाया। इसका परिणाम यह हुआ कि इन राज्यों में कोरोना वायरस अधिक नहीं फैल सका है।

कोरोना प्रबंधन में टॉप-10 में छत्तीसगढ़

नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के प्रबंधन में छत्तीसगढ़ देश के टॉप-10 राज्यों में है। यह बात भारत सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद सामने आई। गौबा ने सभी राज्यों के प्रशासनिक प्रमुखों और 730 जिलों के कलेक्टरों से बात की। इस दौरान मुख्य सचिव आरपी मंडल ने राज्य में किए गए इंतजामों की जानकारी दी। मुख्य सचिव मंडल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कोविड-19 महामारी के नियंत्रण व रोकथाम के लिए भारत सरकार से जारी गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। राज्य में अब तक 1949 संभावितों की पहचान कर सैंपल जांच की गई। इसमें से 51 की जांच जारी है। वहीं, पॉजिटिव पाए गए 10 में सात अब पूरी तरह ठीक हैं, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। कैबिनेट सचिव ने लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता बताई। साथ ही इसका उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। तब्लीगी जमात के व्यक्तियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया। उन्होंने इस महामारी के नियंत्रण के लिए 15 दिन और अच्छे से कार्य किए जाने की आवश्यकता बताई है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने काफी पहले तैयारी शुरू कर दी थी। देश में जैसे ही मामले आने शुरू हुए, यहां भी प्रभावितों की पहचान और उन्हें क्वारैंटाइन करने के साथ अन्य उपाय किए जाने लगे। समय रहते विभाग ने सभी जरूरी एक्शन लिया।

- दिल्ली से रेणु आगाल

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