नया गणित
04-Feb-2020 12:00 AM 644

बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा भले ही नहीं हुई है, लेकिन सियासी गणित बैठाना शुरू हो गया है। राज्य में नई संभावनाएं और नए गणित तलाशे जा रहे हैं। बिहार में आरजेडी के अंदर सब-कुछ सामान्य नहीं चल रहा। तेजस्वी के पार्टी की कमान संभालने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानंद तिवारी और अब्दुल बारी जैसे नेता खुद को सहज नहीं पा रहे हैं। यह सब अभी तक इस उम्मीद में थे कि उन लोगों के 'पुराने दिनÓ लौट सकते हैं, क्योंकि एक वक्त यह 'तिकड़ीÓ लालू प्रसाद यादव की सबसे भरोसेमंद हुआ करती थी। अब यह 'तिकड़ीÓ किसी निर्णायक रास्ते की तरफ बढ़ती दिख रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि तेजस्वी यादव से पार्टी पर जितनी मजबूत पकड़ की उम्मीद की जा रही थी, वह दिख नहीं पाई। इसी वजह से पार्टी के अंदर बिखराव की स्थिति पैदा हुई है। इन सबके मद्देनजर राज्य में जो सियासी समीकरण बन रहा है, वह खासा दिलचस्प है। कहा जा रहा है कि दिल्ली चुनाव में अगर बीजेपी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा तो बिहार में बहुत कुछ 'नयाÓ देखने को मिल सकता है। एक समीकरण यह है कि आरजेडी में तेजस्वी से असंतुष्ट सभी 'बिग बॉसेजÓ एकजुट होकर अपने को 'असली आरजेडीÓ करार दे सकते हैं। उधर, नीतीश कुमार भी बीजेपी की जगह इसी 'असली आरजेडीÓ से गठबंधन कर सकते हैं। बिहार के सियासी गलियारों में इतना तय माना जा रहा है कि अगर दिल्ली में बीजेपी ने खराब प्रदर्शन किया तो फिर बिहार में नीतीश कुमार को उसकी कोई खास जरूरत नहीं रह जाएगी। लालू की 'पुरानी टीमÓ उनके लिए राज्य में बीजेपी से कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है। अगर नीतीश के साथ आरजेडी के असंतुष्ट नेताओं का समीकरण नहीं बैठ पाया तो यह भी हो सकता है कि असंतुष्टों का यह धड़ा तेजस्वी को अलग रखते हुए गैर एनडीए गठबंधन तैयार करे, जिसमें कांग्रेस को शामिल करने की भी कोशिश होगी। कांग्रेस बिहार में आरजेडी की छाया से बाहर आने की कोशिश कर ही रही है। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे पर अभी से विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने अब पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम मुख्यमंत्री के लिए उछाला है। ऐसे में दूसरे सहयोगी दल जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने भी दबी जुबान में सीएम फेस के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। ऐसे में आरजेडी के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। आरजेडी की तरफ से पहले तेजस्वी यादव का नाम मुख्यमंत्री के लिए बढ़ाया जा चुका है। आरजेडी अब आपस में बैठकर इस मसले पर बातचीत की बात कह रही है। वैसे पार्टी ने साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव ही सीएम फेस होंगे। ऐसे में कांग्रेस के ताजा बयान और अन्य दलों की पेशकश ने आरजेडी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस बीच कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि कांग्रेस में चेहरों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को बिहार में बड़ा चेहरा बताया। आरजेडी ने कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए खुद को सबसे बड़ी पार्टी बताया है। प्रेमचंद्र मिश्रा ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'कुछ लोग अक्सर कहते हैं कि हमारे पास सीएम फेस नहीं है। मैं उन लोगों से साफ बता देना चाहता हूं कि कांग्रेस में लीडरशिप की कमी नहीं है और मीरा कुमार से बेहतर सीएम फेस कोई नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि कोई भी उनकी काबिलियत का मुकाबला कर सकता है।Ó कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने भी प्रेमचंद्र मिश्रा के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा, 'उन्होंने (प्रेमचंद्र) कुछ भी गलत नहीं कहा। हालांकि आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान लेगा।Ó कांग्रेस का यह बयान उस वक्त सामने आया है जब जीतनराम मांझी पहले ही सत्ता बंटवारे को लेकर फॉर्मुला दे चुके हैं। मांझी का कहना है कि महागठबंधन की संभावित सरकार बनने पर एक सीएम और दो डिप्टी सीएम होना चाहिए। इनमें से एक दलित, एक बैकवर्ड और एक अल्पसंख्यक समुदाय का हो। कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि कुछ लोग अक्सर कहते हैं कि हमारे पास सीएम फेस नहीं है। मैं उन लोगों से साफ बता देना चाहता हूं कि कांग्रेस में लीडरशिप की कमी नहीं है और मीरा कुमार से बेहतर सीएम फेस कोई नहीं है। कोई भी उनकी काबिलियत का मुकाबला नहीं कर सकता है। बीते लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल अपने शीर्ष नेता लालू यादव के बगैर उतरी और उसका नतीजा पूरे बिहार ने देखा। तेजस्वी की अगुवाई में आरजेडी ने राज्य में अब तक का सबसे शर्मनाक प्रदर्शन किया और लोकसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई। चुनाव परिणाम आने के बाद आरजेडी के अंदर ही तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर विरोध के सुर तेज होने लगे। इसकी बानगी विधानसभा चुनाव से पहले ही फिर से दिखने लगी है। आरजेडी के सबसे प्रमुख नेता जहां इन दिनों पारिवारिक कलह को लेकर परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ आरजेडी में आंतरिक कलह भी चरम पर है। पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेताओं में वर्चस्व और खुद को श्रेष्ठ साबित करने की लड़ाई शुरू हो गई है। हर पार्टी के पास अपना चेहरा आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव आलोक मेहता भावी मुख्यमंत्री के मसले पर कुछ भी स्पष्ट कहने से बचते दिखे। उन्होंने कहा, 'हम लोग साथ बैठेंगे और इस मसले पर बातचीत करेंगे। हालांकि, आरजेडी का स्टैंड क्लियर है कि तेजस्वी ही हमारे आगामी विधानसभा चुनाव में सीएम फेस होंगे। हालांकि 'हमÓ ने मीरा कुमार को लेकर अपनी स्थिति पूरी तरह नहीं साफ की। 'हमÓ के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, 'हर दल में अपना सीएम फेस है। यहां तक कि हमारी पार्टी में भी एक चेहरा है। हालांकि आखिरी फैसला कॉर्डिनेशन कमिटी मीटिंग में लिया जाएगा।Ó इधर, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के प्रवक्ता फैजल इमाम मलिक ने भी हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में सबसे योग्य चेहरा (उपेंद्र कुशवाहा) है। - विनोद बक्सरी

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