नक्सलियों में कोरोना संक्रमण
21-Jul-2020 12:00 AM 495

 

शहर और गांवों के साथ ही अब वन क्षेत्र में भी कोरोना का संक्रमण फैलने लगा है। इसका असर नक्सलियों पर भी पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार देशभर में एक सैकड़ा से अधिक नक्सली कोरोना की चपेट में आए हैं। इन नक्सलियों को गांवों में वापस भेज दिया गया है।

दंडकारण्य के जंगलों में सक्रिय नक्सलियों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है। खुफिया विभाग के अनुसार, मप्र, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के वन क्षेत्र में सक्रिय एक सैकड़ा से अधिक नक्सलियों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाने के बाद उन्हें नक्सली नेताओं ने अपने गांवों में रहने के लिए भेज दिया है। इस सूचना के बाद पुलिस उनकी तलाश में जुट गई है। पुलिस को डर है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रसित ये नक्सली गांवों में अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं।

पुलिस विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खुफिया से मिले इनपुट के बाद तीनों राज्यों की पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर संक्रमित माओवादियों की तलाश शुरू कर दी है। मप्र पुलिस ने बालाघाट सहित अन्य जिलों में अपने मुखबिरों को सक्रिय कर दिया है। वे कोरोना संक्रमित नक्सलियों की सूचना जुटाने में लग गए हैं। मप्र पुलिस 15-20 ऐसे माओवादियों की तलाश कर रही है जिन्हें वह मेडिकल सुविधा दिलाना चाहती है। ये वे माओवादी हैं जिन्हें कोविड-19 संक्रमण के शक में उनके नक्सली नेताओं ने अपने कैडर से अलग कर दिया है और अब वो अपने गांवों में छुपकर रह रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार माओवादी विरोधी अभियान में लगी पुलिस को सूचना मिली है कि 15-20 ऐसे माओवादी हैं जो कई दिनों से बीमार चल रहे थे और अब अपने घरों में आकर रह रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक इनका पता लगाया जा रहा है और सभी को गिरफ्तार कर क्वारेंटाइन में रखा जाएगा। इनकी कोविड-19 जांच की जाएगी और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

नक्सल अभियान में लगे एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक पुलिस को 15-20 ऐसे माओवादियों की जानकारी मिली है जिन्हें कुछ दिनों पहले नक्सल संगठन से अलग कर घर भेज दिया गया है। अपने गांवों को लौटे ये सभी नक्सली बीमार हैं और चुपचाप अपने घरों में रह रहें हैं। इनके बारे में पूरी जानकारी ली जा रही है और जल्द ही सभी की तलाश कर गिरफ्तार किया जाएगा। गिरफ्तारी के बाद उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा और उनकी कोरोना जांच की जाएगी। वह कहते हैं कि अगर संक्रमित नक्सलियों की पहचान नहीं हो पाई तो वन क्षेत्र के गांवों में संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।

पुलिस ने नक्सली संगठन में रह रहे दूसरे माओवादियों और वन क्षेत्र के गांवों के लोगों से अपील की है कि वे बीमारों के बीच से बाहर आकर नियमानुसार आत्मसमर्पण करें जिससे कि उनका इलाज कराया जा सके। बता दें कि छत्तीसगढ़ में बस्तर पुलिस ने 17 जून को बीजापुर जिले में एक बीमार महिला नक्सली को उसके गांव से गिरफ्तार कर क्वारेंटाइन सेंटर में रखा है। पुलिस के अनुसार महिला माओवादी सुमित्रा चापा पिछले डेढ़ महीने से बीमार चल रही थी। उसे बुखार, खांसी और सर्दी की लगातार शिकायत थी। उसने पुलिस को जानकारी दी है कि नक्सली संगठन में बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।

इधर, मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियां एक बार फिर बढ़ने की जानकारी मिल रही है। पुलिस की खुफिया जानकारी के मुताबिक जुलाई के शुरुआती दिनों में छत्तीसगढ़ में हुई मुठभेड़ के बाद नक्सली मध्य प्रदेश में अपना नेटवर्क बढ़ाने और अपना वर्चस्व कायम करने की फिराक में भी बताए जाते हैं। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस के बढ़ते दबाव के बाद नक्सली

मध्य प्रदेश को अपनी पनाहगार बना रहे हैं। इन दिनों पेंच-कान्हा कॉरिडोर से नक्सली संगठन छत्तीसगढ़ से बालाघाट में प्रवेश कर मंडला-अमरकंटक की ओर जा रहे हैं। बालाघाट के बैहर और मंडला के बिछिया-मवई तहसील में ग्रामीणों ने पुलिस को भी संदिग्ध लोगों को देखे जाने की सूचना दी है। बारिश से पहले भी इन क्षेत्रों में नक्सलियों ने शरण ली थी, तब नदी में पानी ज्यादा होने के कारण नक्सलियों के लिए सुरक्षित इलाका बन गया था। पिछले कई सालों से प्रदेश में नक्सलियों की जड़ें कमजोर हुई हैं। नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं, ऐसी खबरें आती रहती हैं। पुलिस भी इसके लिए रोजाना एरिया डोमिनेशन करवा रही है। लगातार नक्सल प्रभावित चौकियों को अलर्ट पर रखा गया हैं।

ऑपरेशन मानूसन को फोर्स तैयार, हार्डकोर नक्सली होंगे निशाने पर

यह बारिश एक बार फिर नक्सलियों को भारी पड़ने वाली है। पुलिस ऑपरेशन मानसून का ब्लू प्रिंट तैयार कर चुकी है। नक्सलियों के बड़े लीडर निशाने पर होंगे। ऑपरेशन के लिए कमांडो भी तैयार किए गए हैं। कई बड़े नक्सली और उनके नेता फोर्स के दबाव में इलाके से पहले ही पलायन कर चुके हैं या अंडरग्राउंड हो गए हैं। हालांकि पुलिस को उनकी लोकेशन लगातार मिल रही है। वह उनकी हर गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।

- रजनीकांत पारे

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