17-Apr-2020 12:00 AM
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अखबारों के पन्नों पर परोसी जा रही ड्रग्स पेडलिंग की खबरें बेशक किसी को एकाएक नहीं चौंकातीं, लेकिन इस गोरखधंधे की जड़ें खंगालने वाली सरकारी एजेंसियों का कहना है कि राजस्थान के जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे शहरों में ड्रग्स की सप्लाई हो रही है। तीनों शहर अवैध तरीके से ड्रग्स सप्लाई का नया ठिकाना बनकर उभरे हैं। एक्सटेंसी पर मस्त ये शहर हुक्काबारों में चरस के नशे में मचलते, झूमते हैं। इन शहरों में नशेड़ियों की एक नई जमात भी है, जिसमें शिक्षित और उच्च-मध्यम वर्ग के युवा शामिल हैं। ड्रग्स पुशर, पैडलर और यूजर के बीच के रिश्तों की हर कहानी एजुकेशन हब्स की बहुमंजिला इमारतों, अपार्टमेंट्स और भीड़-भाड़ वाली सड़कों से गुजरती हुई नौजवान जिंदगियों का पीछा कर रही है।
नशे के अवैध कारोबार को बेपरदा करने वाली नारकोटिक्स विभाग की पुलिस पड़ताल में कहा गया है कि अपराध का यह बहुस्तरीय त्रिकोण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी सबसे बड़ा खतरा है। अखबारी खबरों के एक विश्लेषण में कहा गया है कि राजस्थान बड़ी तेजी से नशे के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार का ट्रांजिट प्वाइंट बन रहा है। इसका उद्गम अफगानिस्तान है और ड्रग्स पाकिस्तान के जरिए राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में पहुंच रही है। गत 16 फरवरी को एक विशेष ऑपरेशन के तहत डेढ़ किलो चरस के साथ अंकुश और उपेश ठागरिया पकड़े गए।
एसओजी के एडीजी अनिल पालीवाल ने बताया कि ये लोग राजस्थान के कई इलाकों में नशीले पदार्थ पहुंचा रहे थे। 11 मार्च को कोटा पुलिस ने 11 किलो गांजा पकड़ा है। इस धंधे में रामसेवक मीणा और उसकी पत्नी ममता मीणा को गिरफ्तार किया गया है। एसपी गौरव यादव ने पुलिस टीम के साथ इन दोनों अपराधियों को पकड़ा था। उन्होंने बताया कि ये लोग विद्यार्थियों को निशाना बनाते हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान पुलिस प्रशासन पूरी सजगता से नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों की तलाश में लगा हुआ है। जयपुर पुलिस द्वारा पकड़ी गई पांच किलो गांजे के साथ भी कमोवेश यही कहानी जुड़ी हुई है। अलबत्ता नशीले पदार्थों के साथ पकड़ा गया हर किरदार एक नया खुलासा करता है। सिंथेटिक मादक पदार्थों और इंजेक्शन के सेवन से एचआईवी-एड्स जैसी बीमारियां हो रही हैं, जिससे समस्या नया रूप ले रही है।
अपराध की रक्तरंजित पटरियों पर दौड़ती कैंसर बन चुकी नशे की ट्रेन खौफ पैदा करती है, लेकिन इस पर ब्रेक लगाने वाला कोई नजर नहीं आता। अपराध, सियासत और नशे के कारोबार की जुगलबंदी ने सहीराम सरीखे काले सोने के कुबेर ही पैदा नहीं किए, बल्कि अपराध के स्याह घरोंदे भी बना दिए हैं। नशे के धंधे पर बेखौफ काबिज लेडी डॉन समता विश्नोई के हर रोज अपराध के नए-नए किस्से सुनने में आते हैं। सूत्रों की मानें, तो उदयपुर सरीखा शांत शहर भी ड्रग्स के कारोबार का बड़ा ठिकाना हो सकता है। लेकिन जब ड्रग्स का सबसे बड़ा जखीरा पकड़ा गया है, नारकोटिक्स विभाग हिलकर रह गया है। हैरत है कि राजस्थान पुलिस, खुफिया एजेसियां और ड्रग कंट्रोलर तक को नाकाम साबित करने वाले इस खुलासे की गूंज दिल्ली तक पहुंची। राजस्थान में ड्रग्स फैक्ट्री का होना, बाहरी अधिकारियों का आकर उसका पर्दाफाश करना और प्रदेश पुलिस के अंजान बने रहने से बड़ी शर्मिन्दगी राज्य सरकार के लिए क्या हो सकती थी?
बदलते समय के साथ नशे पर भी अब 'विलायती’ रंग चढ़ने लगा है। नशे के आदी लोग, खासकर युवा अफीम, गांजा, हेरोइन, कोकीन व चरस जैसे नशीले पदार्थों की बजाय कैटामाइन, मैंड्रेक्स, मार्फीन, एफिड्राइन, मेफेड्रोन और मैथाक्यूलिन जैसी नारकोटिक्स एवं साइकोट्रॉपिक दवाइयों के इस्तेमाल का चलन बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, इन दवाओं का 60 से 65 फीसदी इस्तेमाल नशे के रूप में किया जा रहा है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, औषधि नियंत्रक संगठन समेत अन्य एजेंसियों द्वारा जब्त ड्रग्स के आंकड़े नशे के बदलते ट्रेंड की गवाही दे रहे हैं। नारकोटिक्स ड्रग एंड साइकोट्रिपिक संस्टेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत बिना लाइसेंस नशीली दवाओं का कारोबार करना भी गैर-जमानती अपराध है।
चिट्टा बना काला नाग
सूत्रों का कहना है कि ड्रग्स माफिया राजस्थान के चप्पे-चप्पे पर फैले हुए हैं। इनके ज्यादातर शिकार युवा हैं, जिन्हें चरस का चस्का लगाया जा रहा है। शहरों के बाग-बगीचे इस माफिया के अड्डे हैं। उधर, राजस्थान से जुड़े मालवा के अफीम उत्पादक इलाकों से अफीम और इससे बनने वाली हेरोइन या ब्राउन शुगर की ही तस्करी नहीं होती, चोरी-छिपे डोडा, चूरा (चिट्टा) का भी बड़ा धंधा होता है। मध्यप्रदेश पुलिस के खुफिया महकमे की एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान जैसे राज्यों में डोडा, चूरा की खपत लगातार बढ़ रही है। 'उड़ता पंजाब’ इस डोडा, चूरा तस्करी की ही देन है। बहरहाल, ड्रग माफिया पर लगाम कसने की दिशा में पुलिस की मुस्तैदी को समझें, तो ऑपरेशन क्लीन स्वीप उम्मीद जगाता है। पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव का कहना है कि ड्रग पैडलर्स और पुशर्स पर पुख्ता कार्रवाई के लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक गुप्ता और पुलिस आयुक्त (अपराध) योगेश यादव की अगुवाई में गठित दस्ते ने तीन महिला तस्करों समेत
6 लोगों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की। श्रीवास्तव कहते हैं कि अब तक ऑपरेशन क्लीन स्वीप के तहत 332 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। श्रीवास्तव का कहना है कि अब किसी भी रेस्तरां में हुक्काबार चलाना संज्ञेय अपराध माना जाएगा। ऑपरेशन क्लीन स्वीप इस नजरिए से कामयाब कहा जा सकता है क्योंकि पुलिस ने कुछ बड़े घड़ियालों को पकड़ा है। लेकिन सवाल यह है कि यह खेल अभी थमा क्यों नहीं है? सूत्रों की मानें, तो कॉल सेंटरों से भी नशे की गंध उड़ती है। तो क्या पुलिस को इधर ध्यान नहीं देना चाहिए?
- जयपुर से आर.के. बिन्नानी