नापाक कदम
19-May-2020 12:00 AM 944

 

भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तनाव बढ़ गया है। सीमा पार कुछ ऐसी गतिविधियां शुरू हो गई हैं, जिनसे भारत नाराज हुआ है और सीमा के अंदर घुसपैठ भी बढ़ गई है, जिससे सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ी है। आमतौर पर कोरोना वायरस की महामारी के समय में इस बात का अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान की ओर से कुछ ऐसा किया जाएगा, जिससे एक नया मोर्चा खुले। हो सकता है कि सुरक्षा बलों को इसका अंदाजा हो क्योंकि यह सालाना परिघटना भी है। मई में पहाडों पर बर्फ पिघलनी शुरू होती है तो सीमा पार से घुसपैठ तेज होती है। सुरक्षा बल हर साल इसका मुकाबला करते हैं। घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान की फौजें संघर्षविराम का उल्लंघन करके फायरिंग भी करती हैं ताकि उनकी आड़ में घुसपैठिए अंदर आ सकें। पर इस बार भी ऐसा होगा इसका अंदाजा नहीं था।

कोरोना की वजह से जितनी परेशानी भारत में है उससे कई गुना ज्यादा मुश्किल पाकिस्तान में है। भारत में तो फिर भी जांच हो रही हैं और मामले को रोकने का प्रयास हो रहा है। लेकिन पाकिस्तान में न तो जांच की सुविधा है और न मरीजों के इलाज की। मामूली जांच के बावजूद पाकिस्तान में 24 हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले हैं और करीब 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपने इस संकट पर ध्यान देने की बजाय भारत को उलझाने में ज्यादा व्यस्त है। उसने अपने कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इसका आदेश दिया है। यह भारत को उकसाने वाली कार्रवाई है। पर कूटनीति के जानकार यह भी मान रहे हैं कि ये पाकिस्तानी आवाम का ध्यान कोरोना वायरस और दूसरे अंदरूनी संकट से भटकाने की चाल भी हो सकती है। पर भारत इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है। तभी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान से इस पर तीखी आपत्ति की है।

दूसरा घटनाक्रम घुसपैठ और सुरक्षा बलों पर हमले का है। गत दिनों 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं। भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा और मेजर अनुज सूद के साथ पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और उसके एक दिन बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादियों के हमले में तीन जवान शहीद हुए। तीन दिन में आठ जवानों का शहीद होना मामूली बात नहीं है। तभी सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि पाकिस्तान को आनुपातिक प्रतिक्रिया दी जाएगी यानी पाकिस्तान जिस तरह के काम कर रहा है उसी तरह का जवाब उसे मिलेगा। पर असल में यह मामला आनुपातिक प्रतिक्रिया से काफी आगे निकल गया है। हालांकि उससे ज्यादा प्रतिक्रिया देने का समय अभी नहीं है।

वैसे भारत में भी कारोना वायरस का संकट संभल नहीं रहा है और ऐसे में पाकिस्तान की ओर से हो रही कार्रवाई भारत के लोगों का भी ध्यान भटका सकती है। संभवत: तभी प्रधानमंत्री ने भी गुटनिरपेक्ष देशों के नेताओं की एक वीडियो कांफे्रंसिंग में गत दिनों परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने उसका नाम लिए बगैर कहा कि कोरोना वायरस के इस संकट के दौर में भी पाकिस्तान ज्यादा खतरनाक वायरस फैला रहा है। उन्होंने कहा कि वह आतंकवाद फैला रहा है और साथ ही अफवाहें भी फैला रहा है। प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख दोनों के बयान से लग रहा है कि अब पाकिस्तान फिर से फोकस में आया हुआ है।

बहरहाल, यह बड़ा सवाल है कि क्या सिर्फ पाकिस्तान कोरोना वायरस से लड़ने में विफल होने की वजह से अपने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भारत में घुसपैठ बढ़ा रहा है या आतंकवादियों को प्रोत्साहन दे रहा है या गिलगित-बाल्टिस्तान का मुद्दा उछाल रहा है? ऐसा लग रहा है कि पिछले साल जम्मू-कश्मीर में हुए राजनीतिक बदलाव की वजह से भी पाकिस्तान की मजबूरी है कि वह भारत विरोधी गतिविधियां तेज कराए। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 की कई धाराओं को खत्म कर दिया और साथ ही अनुच्छेद 35 ए भी खत्म कर दिया। इसके अलावा राज्य को दो हिस्सों में बांट कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। चूंकि यह भारत का घरेलू मसला है और इस वजह से दुनिया के किसी देश से पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला। तभी उसकी मजबूरी है कि वह अपने लोगों को दिखाने के लिए भारत विरोधी कार्रवाई करे।

भारत को उठाने होंगे कारगर कदम

ऐसे समय में भारत सरकार को भी पहल करनी चाहिए और पिछले साल अगस्त में किए गए वादे को जितनी जल्दी हो पूरा करना चाहिए। सरकार ने कहा था कि वह जल्दी से जल्दी जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराएगी। यह काम जितनी जल्दी होगा उतना अच्छा होगा। इसके साथ ही सरकार को लोकतंत्र की बहाली का काम भी पूरा करना चाहिए। राज्य की विधानसभा नवंबर 2018 से भंग हुई है। चुने हुए प्रतिनिधियों की बजाय सरकारी अधिकारी राज्य चला रहे हैं। इससे भी अंदर ही अंदर लोगों में नाराजगी या कम से कम निराशा होगी, जिसका फायदा पाकिस्तान उठाने का प्रयास कर रहा है। सरकार को चाहिए कि वह जल्दी से परिसीमन का काम पूरा कराए, जेल में बंद नेताओं को रिहा करे और चुनाव कराए। राज्य में चुनी हुई सरकार बन जाने के बाद हालात बदल जाएंगे। लोगों का भरोसा बढ़ेगा और पाकिस्तान के अवसर घटेंगे। अगर केंद्र सरकार का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाने का है और असल में जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने का है तो वह राज्य में राजनीतिक गतिविधियां शुरू कराने और लोकतंत्र की बहाली से ही संभव हो पाएगा।

- बिन्दु माथुर

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