मिलावट का घालमेल
04-Feb-2020 12:00 AM 1309

एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी की तर्ज पर मप्र में मिलावट का घलमेल चल रहा है। मिलावट पर नकेल कसने के लिए एक ओर कमलनाथ सरकार हर तरह के माफिया और खासकर मिलावटी माफिया को जड़ से मिटाने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी उपक्रम के तहत संचालित होने वाला सांची मिलावटी दूध के जरिये लोगों को धीमा जहर दिया जा रहा है। सांची दूध की यह स्थिति है कि यह पूरी तरह से वर्षों से माफिया के कब्जे में है, सांची दूध का खुलासा होने के बाद भी माफिया से मुक्त नहीं कराया गया बल्कि मिलावट माफिया के पूरे रैकेट को बचाने के लिए 45 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई। यही नहीं कुछ दिन बाद सांची में अपने दूध के दाम बढ़ा दिए। दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने के बावजूद हमारे देश में लोगों को शुद्ध दूध नहीं मिल रहा। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की जांच में प्रोसेस्ड यानी पैकेट बंद दूध के 37.7 प्रतिशत नमूने गुणवत्ता मानकों पर फेल हो गए। जबकि, नियमानुसार इस दूध का एक भी नमूना फेल नहीं होना चाहिए। वहीं सांची के पास जो मशीन है वह दूध में 0.8 प्रतिशत या इससे अधिक यूरिया होने की पकड़ हो सकती है। जबकि अमूल और मदर डेयरी जैसी संस्थाओं में 0.1 प्रतिशत तक यूरिया पकड़ा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो सांची दूध को ग्राहकों तक पहुंचाने से पहले उसकी शुद्धता की जांच करने वाली मशीन ही नहीं खरीदी गई। मिलावट माफिया बड़े आराम से 0.7 प्रतिशत तक यूरिया की मिलावट करता रहा। घटिया मशीन भी कभी पकड़ी नहीं गई। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच में भी यह तथ्य सामने आया है कि सांची दूध के नाम पर हम और हमारे बच्चे धीमा जहर पी रहे हैं। दूध में यूरिया की मिलावट की जा रही है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच में यूरिया की मात्रा तय सीमा (700 पीपीएम-पार्ट पर मिलियन) से दोगुने से भी ज्यादा मिली है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने सांची दूध के टैंकर, कंटेनर में रखे दूध व बोरी में रखी यूरिया के सैंपल लिए थे। जांच में तीनों असुरक्षित (मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक) पाए गए हैं। हालांकि, फैट की मात्रा मानक के अनुसार मिली है। गड़बड़ी करने के आरोप में कलेक्टर तरुण पिथौड़े ने टैंकर संचालक योगेन्द्र देव पाण्डे व ड्राइवर फरहान पर रासुका लगाया है। गौरतलब है कि क्राइम ब्रांच की टीम ने औबेदुल्लांगज के पास सांची दूध एक टैंकर को रात 7 बजे के करीब पकड़ा था। भोपाल की तरफ आ रहा यह टैंकर एक खेत के पास खड़ा था। इससे दूध निकालकर जमीन पर रखे कंटेनरों में भरा जा रहा था। पुलिस ने 40 कंटेनर व टैंकर जब्त किया था। मौके से एक बोरी में यूरिया मिला था। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने यूरिया के अलावा कंटेनर व टैंकर में भरे दूध के सैंपल लिए थे। जांच रिपोर्ट में तीनों सैंपलों में यूरिया की पुष्टि हुई है। यूरिया की मिलावट के बाद अब सांची दूध में नमक और शक्कर मिलाने का मामला पकड़ में आया है। इस मामले में 5 दूध समितियों के सचिव और टेस्टर को हटा दिया गया है। इनमें बृजेश नगर, कनेरिया, बरखेड़ा सालम, खिजड़ा एवं बरखेड़ी घाट समिति शामिल हैं। गत दिनों यह जानकारी भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के सीईओ केके सक्सेना ने संभागायुक्त दफ्तर में आयोजित बैठक में दी। बैठक में संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाले दूध की हर स्तर पर जांच की जाए। सक्सेना ने बताया कि वर्तमान में 3 लाख 25 हजार लीटर दूध कलेक्शन किया जा रहा है। इसमें से 8 हजार लीटर दूध की वृद्धि होकर क्षमता 3 लाख 33 हजार लीटर हो गई है। उधर, भोपाल में सांची दूध फिर महंगा हो गया है। 12 जनवरी सुबह से सांची दूध दो रुपए प्रति लीटर महंगा बिक रहा है। पहले सांची गोल्ड आधा लीटर पैकेट 26 रुपए में मिलता था, अब यह 27 रुपए हो गया है। भोपाल दुग्ध संघ प्रबंधन के अधिकारियों के अनुसार किसानों की ओर से खरीदी के दाम में इजाफा किया गया है। इस वजह से दूध बिक्री के दाम बढ़ाए गए। दुग्ध संघ ने तीन महीने पहले ही दूध के दाम में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। उल्लेखनीय है कि सांची दूध के दाम छह महीने में तीसरी बार बढ़ाए गए हैं। इससे पहले जून 2018 में और अक्टूबर में दो-दो रुपए प्रतिलीटर की बढ़ोतरी की गई थी। छह महीने के भीतर ये तीसरा मौका है जब 2 रुपए प्रतिलीटर की दर से दाम बढ़ाए जा रहे हैं। इस तरह छह महीने के अंदर दूध के दाम छह रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ है। प्रदेश में दूध का कारोबार सरकार किसानों की सहकारी समितियों के जरिए दूध इकट्ठा करती है। यह काम सहकारिता के तहत डेयरी फेडरेशन करता है। फेडरेशन सांची के नाम से दूध या उसके उत्पाद बेचता है। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और बुंदेलखंड दुग्ध संघ हैं जो ग्रामीण प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियों से दूध लेते हैं, ये समितियां किसानों और पशुपालकों से दूध इकट्ठा करती हैं। प्रदेश में 4698 सहकारी समितियां हैं जिनसे 2 लाख 57 हजार 418 किसान जुड़े हैं। इन किसानों से प्रतिदिन 10 लाख 10 हजार 888 किलो दूध इकट्ठा होता है, जबकि 7 लाख 40 हजार 271 किलो दूध का विक्रय होता है। बाकी से दुग्ध उत्पाद तैयार होते हैं। प्रदेश में दूध का कुल उत्पादन 150 लाख लीटर से ज्यादा है। जो कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां जैसे अमूल, मदर डेरी और सौरभ जैसी कंपनियां करती हैं। प्रदेश में दूध के कुल उत्पादन में सांची की हिस्सेदारी दस फीसदी भी नहीं है। यानी प्राइवेट सेक्टर की कंपिनयों की प्रदेश के उन गांवों तक पहुंच है जहां तक सरकार नहीं पहुंच पाती है। - अरविंद नारद

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