भोपाल का मास्टर प्लान एक बार फिर विवादों में पड़ गया है। इसकी वजह यह है कि मास्टर प्लान में कई विसंगतियां सामने आई हैं। मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट में सामने आई ढेरों गलतियों के पीछे बड़ा कारण मौके पर जाकर हकीकत देखने के बजाय सैटेलाइट इमेज (चित्र) एवं जीआईएस बेस्ड सिस्टम पर ज्यादा भरोसा करना रहा। इसलिए बिलखिरिया, नरोन्ह सांकल एवं कोलुआ खुर्द का हिस्सा नक्शे में हरे रंग में दिखाया गया और टीएंडसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) के जिम्मेदारों ने इसे वन भूमि मान लिया। वास्तविकता में यह कृषि भूमि है, जो 2005 के मास्टर प्लान में भी दर्शाई गई थी। पहले चरण की सुनवाई में जब दर्जनों किसानों ने आपत्ति जताई तो अफसरों की नींद खुली। अब वे समझाइश दे रहे हैं कि जमीन में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, समस्या अभी दूर नहीं हुई है।
मास्टर प्लान को लेकर इसी सप्ताह 1731 में से 506 आपत्तियों की सुनवाई पूरी की गई है, जबकि शेष 1225 आपत्तियों की सुनवाई दूसरे चरण में अक्टूबर में होगी। पहले चरण की सुनवाई में अधिकांश आपत्तियां कृषि भूमि को वन भूमि बताने को लेकर रहीं। बिलखिरिया, नरोन्ह सांकल व कोलुआ खुर्द की अधिकांश भूमि को वन भूमि बताया गया है। इसे लेकर 60 से अधिक आपत्तियां लगाई गई थीं। हथाईखेड़ा क्षेत्र के भूखंडों को लेकर भी यही स्थिति रही। इसके अलावा कान्हासैया की जमीन को कृषि क्षेत्र बता दिया गया है, जबकि ट्रांसपोर्ट नगर, आरटीओ कार्यालय समेत अन्य व्यावसायिक केंद्र यहां पर हैं।
ड्राफ्ट में सड़कों को लेकर भी गफलत सामने आई है। कान्हाकुंज व अकबरपुर की सड़कों की चौड़ाई 18 मीटर कर दी गई, जबकि मौजूदा स्थिति में चौड़ाई चार मीटर भी नहीं है। इसलिए लोग परेशान हैं, क्योंकि प्लान से गड़बड़ी नहीं हटी तो भविष्य में सड़क किनारे स्थित उनके घर तोड़ दिए जाएंगे। अवधपुरी की एक सड़क को मास्टर प्लान में निरस्त किया गया है। इसके विरोध में 154 आपत्तियां लगाई गई थीं। साथ ही 8 सितंबर को हुई ऑनलाइन सुनवाई में लोगों ने सड़क को यथावत रखने की मांग की थी। इसके समर्थन में विधायक कृष्णा गौर भी आई थीं। जिन्होंने सड़क को क्षेत्र की जरूरत बताया था, लेकिन अब दूसरे पक्ष के लोगों ने निरस्त सड़क को प्लान में यथावत रखने की मांग उठाई है।
अवधपुरी तिराहे से खजूरीकलां जाने वाली मौजूदा मास्टर प्लान में प्रस्तावित सड़क को नए प्लान में भी बरकरार रखने के निर्णय पर संयुक्त नगर विकास परिषद ने ऐतराज जताया है। परिषद के अध्यक्ष केपी द्विवेदी ने विधायक कृष्णा गौर से मुलाकात कर सड़क को निरस्त करने की मांग की। द्विवेदी और उनके साथ विधायक से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि 153 लोगों की आपत्ति पर 3000 घरों को नहीं तोड़ा जा सकता। प्रतिनिधिमंडल से विधायक कृष्णा गौर ने कहा कि 153 लोगों की संयुक्त आपत्ति के आधार पर निर्णय लिया गया है। इस पर द्विवेदी ने कहा कि हम 3000 लोगों की मांग पर सड़क निरस्त हुई है। इसके लिए हमने लंबा संघर्ष किया है। हमारी मांग पर ही मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट में इस सड़क को निरस्त किया गया था। ड्राफ्ट पर सुनवाई के पहले ही दिन इस सड़क का मुद्दा उठा था। क्रिस्टल आइडियल सिटी और रीगल मोहिनी होम्स सहित आसपास की कुछ अन्य कॉलोनियों के 153 लोगों ने सड़क को बरकरार रखने की मांग की। इस दौरान विधायक गौर ने भी उनकी मांग का समर्थन करते हुए कहा था कि यह सड़क इस क्षेत्र की लाइफ लाइन है। इस पर समिति के सचिव ज्वाइंट डायरेक्टर संजय मिश्रा ने सड़क बरकरार रखने की बात कही थी।
उधर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) और अन्य से भोपाल के बड़े तालाब के संरक्षण और जल निकाय से अतिक्रमण हटाने की याचिका पर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति स्योकुमार और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. एसएस गर्बियाल की पीठ ने चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए एमओईएफ, शहरी विकास विभाग, एमपी वेटलैंड प्राधिकरण, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य को नोटिस जारी किए हैं।
1225 आपत्तियों की सुनवाई अक्टूबर में
भोपाल मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट को लेकर कुल 1731 दावे-आपत्तियां आई थीं। इनमें से 506 आपत्तियों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो चुकी हैं। शेष 1225 आपत्तियों की सुनवाई अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में होगी। कोरोना संक्रमण के चलते यह सुनवाई भी ऑनलाइन ही होगी। टीएंडसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) के अधिकारियों की मानें तो 100 से अधिक आपत्तियां बड़े तालाब के आसपास हो चुके अतिक्रमण को लेकर हैं। इसके संरक्षण के लिए भी बड़ी संख्या में लोग सुझाव देंगे। राजधानी की शान बड़ा तालाब चारों ओर से अतिक्रमण से घिरा हुआ है। खानूगांव, बेहटा, भैंसाखेड़ी, बोरवन क्षेत्र, हलालपुर आदि जगह 350 से अधिक पक्के निर्माण हैं, जबकि भदभदा क्षेत्र में भी पहाड़ी काटकर पक्के निर्माण हो रहे हैं। जिम्मेदार हर साल टीन या बांस-बल्ली का अतिक्रमण हटाकर खानापूर्ति जरूर करते हैं। लेकिन, पक्के अतिक्रमण को लेकर अब तक बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण तालाब से 50 मीटर के दायरे में भी अतिक्रमण हो चुका है। पिछले दिनों तेज बारिश के दौरान बड़ा तालाब अपनी हद बता चुका है। मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में भी बड़े तालाब के संरक्षण व अतिक्रमण को लेकर ढेरों गड़बड़ियां सामने आई थीं। इसलिए जून-जुलाई में बड़ी संख्या में लोगों ने इसे लेकर आपत्तियां दर्ज कराई थीं।
- जितेन्द्र तिवारी