मंत्री के ओएसडी की भर्राशाही
16-Apr-2022 12:00 AM 323

 

सहकारिता विभाग में संयुक्त आयुक्त के पद पर पदस्थ अरविंद सिंह सेंगर जो वर्तमान में सहकारिता मंत्री के ओएसडी हैं, उनका विवादों और घपले-घोटालों से पुराना नाता है। अभी हाल ही में उनके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की गई है और कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जो मामला सबसे अधिक चर्चा में है, वह है संयुक्त आयुक्त सहकारिता विभाग के द्वारा कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी कर स्वयं एवं परिवारजनों तथा अन्य को आर्थिक लाभ पहुंचाने का। अरविंद सिंह सेंगर ने सहकारिता के नियमों को दरकिनार कर किस तरह अपनों को उपकृत किया है, इसका उदाहरण भोपाल की दानिश गृह निर्माण संस्था में देखने को मिलता है।

सहकारिता विधान के प्रावधानों के अंतर्गत पति-पत्नी दोनों को गृह निर्माण समिति से भूखंड की पात्रता नहीं है, लेकिन अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए अरविंद सिंह सेंगर ने अपने बेटे लोकेंद्र सिंह सेंगर को दानिश गृह निर्माण संस्था भोपाल की सदस्यता दिलाई तथा दिनांक 30/03/2019 को गृह निर्माण संस्था द्वारा इन्हें भूखंड क्रमांक डीएचवी 3/17 की रजिस्ट्री कराई गई। वहीं दिनांक 30/3/2019 को ही अनुश्री सिंह पत्नी लोकेंद्र सिंह द्वारा अपने पति के नाम का उल्लेख ना करते हुए पिता के नाम शपथ पत्र देते हुए लोकेंद्र सिंह सेंगर के आवंटित भूखंड से लगे हुए दूसरे भूखंड की रजिस्ट्री कराई है। जबकि इनका लोकेंद्र सिंह के साथ विवाह हो चुका है, जिसमें नगर निगम द्वारा रजिस्ट्रेशन क्रमांक 907/बीपीएल/2014 दिनांक 30/05/2014 को विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र में निवास का पता 115/40 शिवाजी नगर भोपाल जो की अरविंद सिंह सेंगर के शासकीय आवास का पता दिया गया है। वहीं जन औषधि संघ का सदस्य बनने के लिए हीरा महिला प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी भंडार मर्यादित ग्वालियर अनुश्री सिंह द्वारा अपना पता एफ-10 सिटी सेंटर साइट नंबर 1 ग्वालियर का दिया गया। भूखंड लेते समय दानिश गृह निर्माण संस्था में अपने वैवाहिक होने की जानकारी छुपाई और निवास का पता डी1/202 फॉर्च्यून डिवाइन सिटी मिसरोद भोपाल बताया गया। इस प्रकार अनुश्री सिंह द्वारा जन औषधि संघ में फर्जी जानकारी देकर उपाध्यक्ष पद अरविंद सिंह सेंगर की पुत्रवधू होने के कारण अवैध रूप से संवैधानिक पद प्राप्त किया और दानिश गृह निर्माण सहकारी संस्था में झूठी जानकारी का शपथ पत्र देकर भूखंड प्राप्त किया।

दानिश गृह निर्माण संस्था के आवंटित दोनों भूखंडों पर एक ही भवन का निर्माण कराया जा रहा है जबकि दोनों के निर्माण की अलग-अलग अनुज्ञा अनुमति ली गई है नगर एवं ग्राम निवेश की धारा 30ए में रहवासी भूखंडों से संयुक्तिकरण करना प्रतिबंधित है। आरोप है कि गृह निर्माण संस्था में पति-पत्नी दोनों भूखंडों को लेकर अरविंद सिंह सेंगर ने परिवारजनों को एवं स्वयं करोड़ों रुपए का नियम विरुद्ध आर्थिक लाभ अर्जित किया है।

दानिश गृह निर्माण संस्था में पति-पत्नी दोनों के नाम से आवंटित भूखंडों की शिकायत भी की गई परंतु गृह निर्माण शाखा के प्रभारी स्वयं अरविंद सिंह सेंगर हैं। लोकेंद्र सिंह और उनकी पत्नी अनुश्री सिंह भी अरविंद सिंह सेंगर के घर में ही रहती हैं। अरविंद सेंगर मुख्यालय में गृह निर्माण शाखा के प्रभारी हैं। गृह निर्माण समितियों पर उनका नियंत्रण है। उनके प्रभाव एवं दबाव में सभी गृह निर्माण समितियों ने संगमत होकर पति-पत्नी के भूखंड की रजिस्ट्री कराई। अत: इस शिकायत की कोई भी कार्यवाही नहीं होगी। आयुक्त सहकारिता द्वारा आज तक इस पर कोई कार्यवाही भी नहीं की गई, क्योंकि वे खुद सेंगर के नियंत्रण में है। यही नहीं अरविंद सिंह सेंगर द्वारा जन औषधि संघ के अध्यक्ष पद के लिए जागृत प्रभात मिश्रा जो मूलत: दिल्ली निवासी हैं, को फर्जी किरायानामा से निवास का पता होशंगाबाद बताकर उन्हें शिव शक्ति प्राथमिक उपभोक्ता भंडार सहकारी समिति होशंगाबाद में सदस्य प्रतिनिधि बनाकर सेंगर द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए उन्हें जनऔषधि संघ का अध्यक्ष बनाया गया। इन मामलों को लेकर लोकायुक्त में शिकायत की गई है। इस संदर्भ में जब अरविंद सिंह सेंगर मोबाइल से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई घपले-घोटालों की लंबी फेहरिस्त है, क्योंकि साहब इसके पूर्व भी सहकारिता मंत्री के ओएसडी रह चुके हैं।

सेंगर के खिलाफ आरोपों की भरमार

आरोप है कि अरविंद सिंह सेंगर संयुक्त आयुक्त सहकारिता के पद पर कार्यालय आयुक्त सहकारिता में विगत 5 वर्षों से पदस्थ होकर सखाकक्ष, और गृह निर्माण कक्ष के प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। विभाग के अधिकारियों की वरदहस्त होने के कारण मप्र राज्य सहकारी आवास संघ के प्रबंध संचालक तथा संभागीय संयुक्त आयुक्त ग्वालियर और चंबल संभाग का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। सेंगर के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस द्वारा अपराध क्रमांक 213/2012 भारतीय दंड संहिता की धारा-13(1)डी, 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा 109, 120बी, 201, 420, 467, 468, 471 धाराओं में अपराध पंजीबद्ध होकर माननीय विशेष न्यायालय के समक्ष चालान प्रस्तुत है। सेंगर के विरुद्ध दिनांक 4/11/2011 को मप्र राज्य सहकारी बैंक द्वारा आर्थिक अपराध अनुसंधान में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसका प्रकरण क्रमांक-32/2011 है। वहीं आर्थिक अपराध अनुसंधान ग्वालियर में भी इनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज है, जिसका अपराध क्रमांक 1/2010 धारा 406, 409, 420, 120बी 467, 468 471, 13डी में बरसों से विचाराधीन है। इनके राजनीतिक प्रभाव के कारण विवेचना पूर्ण नहीं की जा रही। आर्थिक अपराध अनुसंधान द्वारा अपराध क्रमांक 271/2010 में अरविंद सिंह सेंगर के विरुद्ध प्रस्तुत करने हेतु अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी। इस प्रकरण में 50 करोड़ रुपए का आर्थिक घोटाला हुआ था जिसमें लगभग 10 आरोपियों को सजा हो चुकी है, परंतु इनकी राजनीतिक पहुंच के कारण इस प्रकरण में विभाग द्वारा अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी। सहकारिता विभाग के स्तर पर स्पीड स्टार एजेंसी से 6500 करोड़ रुपए का ऋण लेने संबंध में विभागीय जांच का आरोप पत्र जारी करना वर्षों से लंबित है।

- राकेश ग्रोवर

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^