नगरीय निकाय चुनाव के जो परिणाम आए हैं, उसके अनुसार 16 नगर निगमों में से 9 नगर निगमों की महापौर महिलाएं बनी हैं। ऐसे में अब यह देखना है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अपने नगर निगम को किस तरह चलाती हैं।
देश में महिला राष्ट्रपति के चुने जाने के बाद फिर से नारी सशक्तिकरण की बातें की जाने लगी हैं। मप्र में हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनावों में भी महिलाओं का वर्चस्व बढ़ा है। बात करें प्रदेशभर के 16 नगर निगमों की, तो इसमें 9 महापौर अब महिलाएं हो गई हैं। वहीं इन्हीं नगर निगमों की बात करें तो 884 पार्षद पदों में से करीब 450 पर महिलाओं का कब्जा है।
बता दें कि भोपाल में मालती राय, ग्वालियर में शोभा सिकरवार, सिंगरौली में रानी अग्रवाल, बुरहानपुर में माधुरी पटेल, सागर में संगीता तिवारी, खंडवा में अमृता यादव, कटनी में प्रीति सूरी, मुरैना में शारदा सोलंकी, देवास में गीता अग्रवाल चुनी गई हैं। इनमें रानी अग्रवाल ने नारी शक्ति का मान और ऊंचा किया है, क्योंकि उन्होंने मुकाबले में प्रदेश की दो दमदार पार्टियों के पुरुष प्रत्याशियों को मात दी है। आज हम बात करते हैं इन्हीं 9 महापौर की, कैसे ये राजनीति में आईं, कैसा संघर्ष रहा और अपनी मेहनत से नगर सरकार की प्रमुख बन गईं।
(सिंगरौली) रानी अग्रवाल- सिंगरौली नगर निगम में आम आदमी पार्टी की रानी अग्रवाल चुनकर आई हैं। वे 9352 वोटों से जीती हैं। रानी अग्रवाल भाजपा से जुड़ी रही हैं। उन्होंने 2014 में बरगवां क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी किस्मत आजमाई थी और चुनाव भी भारी मतों से जीती थीं। वे जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। उन्होंने 2018 में भी आप से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, पर तीसरे नंबर पर रहीं। लगातार सक्रिय रहीं। आने वाले समय में पार्टी इन्हें सांसद का उम्मीदवार भी बना सकती है।
(भोपाल) मालती राय- भोपाल में मालती राय महापौर के लिए चुनी गई हैं। उन्होंने करीब 98000 वोटों से जीत हासिल की है। मालती 1985 से भाजपा की सक्रिय सदस्य रही हैं। वे पहले अशोका गार्डन वार्ड से पार्षद रह चुकी हैं। वे दो बार पार्षद का चुनाव हार भी चुकी हैं। विश्वास सारंग की सिफारिश पर उन्हें महापौर का टिकट मिला था।
(ग्वालियर) शोभा सिकरवार- ग्वालियर की नगर सरकार पर 57 साल बाद कांग्रेस ने जीत हासिल की है। शोभा सिकरवार ने 28805 वोटों जीत हासिल की है। शोभा सिकरवार का पूरा परिवार राजनीति में है, उनके पति, ससुर, देवर सभी लोग राजनीति में काफी सक्रिय हैं और भाजपा का हिस्सा रह चुके हैं। शोभा सिकरवार ने तीन बार पार्षद और एक बार एमआईसी की सदस्य का चुनाव जीता है। उनका राजनीतिक कैरियर साल 2004 से शुरू हुआ, जब उन्होंने ग्वालियर नगर निगम के वार्ड क्रमांक 40 से पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, 2009 में वार्ड 56 और 2014 में वार्ड क्रमांक 45 से चुनाव लड़ा और फिर पार्षद बनीं।
(बुरहानपुर) माधुरी पटेल- बुरहानपुर में बड़ा नजदीकी मुकाबला रहा था। भाजपा की माधुरी पटेल 342 वोटों से जीती हैं। वे दूसरी बार महापौर बनी हैं। इससे पहले 2010 के चुनाव में भी वे जीती थीं। माधुरी लंबे समय से भाजपा से जुड़ी रही हैं। इनके पति भी महापौर रह चुके हैं। माधुरी जिला उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
(सागर) संगीता तिवारी- सागर से महापौर चुनी गईं संगीता तिवारी ने 12,665 वोटों से जीत हासिल की। संगीता तिवारी फिल्म अभिनेता मुकेश तिवारी की भाभी हैं। उन्होंने इनके लिए काफी प्रचार किया। संगीता के पति सुशील तिवारी पहले कांग्रेस पार्टी की ओर से दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके है, लेकिन दोनों ही चुनावों मे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
(खंडवा) अमृता यादव- खंडवा महापौर बनीं अमृता यादव ने ये चुनाव 19,763 वोटों से जीता है। अमृता यादव के पति अमर यादव न केवल पार्षद रहे हैं, बल्कि वे नगर निगम में सभापति भी रहे हैं। अमृता की जेठानी ने भी महापौर पद के लिए दावेदारी जताई थी, पर पार्टी ने उन पर भरोसा जताया।
(कटनी) प्रीति सूरी- कटनी महापौर चुनी गईं निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति सूरी करीब 5 हजार मतों से जीती हैं। उन्होंने भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ा था। प्रीति सूरी लक्ष्मीबाई वार्ड से 2009 और 2014 में लक्ष्मीबाई वार्ड से पार्षद रहीं। उस समय यह भाजपा की टिकट पर ही पार्षद रही थीं। 2004 में इनके पति संजीव सूरी इसी वार्ड से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते थे।
(मुरैना) शारदा सोलंकी- कांग्रेस की शारदा राजेंद्र सोलंकी 14,631 वोट से जीतकर मुरैना की पहली महिला महापौर बन गई हैं। शारदा पिछले निगम चुनावों में भी कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतरी थीं। हालांकि शारदा को पिछले चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। शारदा के जेठ बाबूलाल सोलंकी मुरैना श्योपुर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। पति राजेंद्र सोलंकी व बेटा सौरभ सोलंकी कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। शारदा का परिवार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का करीबी माना जाता है।
(देवास) गीता अग्रवाल- देवास महापौर की कुर्सी पर भाजपा प्रत्याशी गीता अग्रवाल ने 45,884 वोटों से कब्जा कर लिया। ऐन वक्त पर इनका टिकट तय किया गया था। गीता अग्रवाल एक गृहिणी हैं। गीता के पति दुर्गेश अग्रवाल पूर्व में देवास विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और विधायक गायत्री राजे पवार के विधायक प्रतिनिधि भी रहे हैं। गीता अग्रवाल पति के साथ अग्रवाल समाज के अलावा अन्य समाजों के धार्मिक और सामाजिक कार्यों में अक्सर नजर आती हैं।
- राजेश बोरकर