ले डूबेंगे ट्रम्प के तेवर
21-Jul-2020 12:00 AM 3822

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ढीठ और जिद्दी रवैए को जहां एक ओर अमेरिका में कोरोना संक्रमण के बुरी तरह फैलने और लाखों अमेरिकी नागरिकों की जान जाने का जिम्मेदार माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ट्रम्प और उनकी पुलिस की रंगभेदी व नस्लभेदी, दक्षिणपंथी सोच और व्यवहार की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। ट्रम्प प्रशासन का रंगभेदी और नस्लभेदी चेहरा उस समय खुलकर सामने आ गया, जब एक अश्वेत अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड को सरेआम जमीन पर गिराकर पुलिस के एक गोरे जवान ने अपने घुटनों के नीचे उस की गर्दन तब तक दबाए रखी, जब तक कि उस की सांस नहीं टूट गई। जॉर्ज फ्लॉयड चीखते रहे कि वे सांस नहीं ले पा रहे हैं, लेकिन श्वेत जवान के मन में अश्वेतों के प्रति इतनी नफरत भरी थी कि उस ने फ्लॉयड की गर्दन तब तक नहीं छोड़ी, जब तक वो मर नहीं गया।

खुद को विश्व का संरक्षक समझने वाले अमेरिका की सड़क पर खुलेआम इस नरसंहार की घटना ने पूरे देश और दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच भी लोग ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ घरों से निकलकर जगह-जगह बैनर-पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर आए और जमकर नारेबाजी की। दुनिया में लोकतांत्रिक मूल्यों का डंका पीटने वाला अमेरिका अपने ही आंगन में श्वेत पुलिसकर्मी के घुटने तले दम घुटने से अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक की मौत के बाद समता, सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की रक्षा में नाकामी के कारण कठघरे में खड़ा हो गया। डोनाल्ड ट्रम्प की खूब लानत-मलामत हुई, मगर इस अमानवीय कृत्य के लिए शर्मसार होने और देश व दुनिया से माफी मांगने की बात तो दूर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले छुड़वाए, रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया। यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों को 'ठग’ कहा और उन्हें गोली मारने व उनके खिलाफ सेना को इस्तेमाल करने तक की धमकी दे डाली। इस घटना के बाद डोनाल्ड ट्रम्प का अमानवीय, अड़ियल, अहंकारी, दक्षिणपंथी, नस्लभेदी और रंगभेदी सोच से भरा दिलो-दिमाग उनके देश और दुनिया के आगे पूरी तरह खुल गया। उनकी संकीर्ण मानसिकता और दंभ तब और मुखर हुआ, जब प्रदर्शनकारियों पर सेना तैनात करने की धमकी के बीच उन्होंने कहा, 'मैं आपकी कानून एवं व्यवस्था का राष्ट्रपति हूं।’

गौरतलब है कि देश को चलाने वाला पिता के समान होता है। उसकी भाषा में सौम्यता, व्यवहार कुशलता और समझदारी की अपेक्षा होती है, लेकिन इस भाव के विपरीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भड़काऊ भाषा ने प्रदर्शनों को हिंसक रूप दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिस तरह से स्थिति को संभालने की कोशिश की, वह तीव्र प्रतिक्रिया सैन्यवादी थी, जिसने प्रदर्शनकारियों को और ज्यादा उकसाया और अमेरिकी समाज में गोरे व काले, अमीर और गरीब के विभाजन को गहरा किया। हालात यहां तक खराब हुए कि प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस तक पहुंच गए और राष्ट्रपति ट्रम्प को बंकर में छिपना पड़ा। क्षेत्रफल के हिसाब से महादेश कहलाने वाले तमाम जनसंस्कृतियों से युक्त अमेरिका के आधे से ज्यादा राज्य आज नस्लीय नफरत के विरोध की आग में जल रहे हैं। ट्रम्प के शासनकाल में उभरे ये विरोध प्रदर्शन अप्रैल, 1968 में डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद हुए विरोध-प्रदर्शनों की याद दिलाते हैं। ये विरोध-प्रदर्शन सिर्फ अश्वेत नागरिक की हत्या के कारण ही पैदा नहीं हुए, बल्कि ट्रम्प प्रशासन के दौरान हुए अनेक 'दंगों’ के कारण अमेरिका में जो विभाजनकारी हालात बन गए हैं, उनको लेकर भी ये ट्रम्प के खिलाफ अमेरिकियों के गुस्से का इजहार था। फ्लॉयड की मौत ने तो बस अमेरिकी जनता के गुस्से के लिए एक चिंगारी का काम किया था।

अमेरिकी मीडिया का मानना है कि देश का लीडर होने के नाते देश और उसकी जनता को सुरक्षित रखने में डोनाल्ड ट्रम्प बुरी तरह फेल हुए हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण अब तक अमेरिका में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वायरस की मार ने अमेरिका के लोगों को तोड़कर रख दिया है। 4 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो चुके हैं और लाखों की तादाद में लोग अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए जगह-जगह खुले फूड बैंक पर निर्भर हैं। अर्थव्यवस्था में हुए नुकसान के चलते 4 करोड़ लोगों का बेरोजगार हो जाना और अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हुई भीषण हिंसा जैसे कई ज्वलंत मुद्दे आने वाले चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प को मुंह की खाने को मजबूर कर सकते हैं।

ट्रम्प और बिडेन में कड़ा मुकाबला

अमेरिका में इस साल 3 नवंबर, 2020 को राष्ट्रपति चुनाव होना है। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कड़ा मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार और बराक ओबामा के शासन में उपराष्ट्रपति रहे जो बिडेन से होना है। डेमोक्रेटिक पार्टी से अपनी दावेदारी का ऐलान करते हुए जो बिडेन ने कहा कि यदि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प फिर से चुनाव जीतते हैं तो यह देश की आत्मा को दांव पर लगाने जैसा होगा, इसलिए वे चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कोरोनावायरस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रति देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तरीके को लेकर उनकी कड़ी आलोचना की है। यही नहीं, उन्होंने अपने समर्थकों से राष्ट्रपति पद के चुनाव में पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन का समर्थन करने की अपील की है। उनका मानना है कि जो बिडेन राष्ट्रपति ट्रम्प के मुकाबले ज्यादा काबिल, सधे हुए और एक गंभीर व्यक्ति हैं। इस बीच जो बिडेन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में बड़ा बयान दिया है, जिसकी पूरे विश्व में चर्चा हो रही है। उन्होंने आशंका जताई है कि डोनाल्ड ट्रम्प एक जिद्दी और उद्दंड व्यक्ति हैं और राष्ट्रपति चुनावों में धांधली कर सकते हैं।

- अक्स ब्यूरो

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