मप्र में नक्सलियों का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। सीमाई इलाकों में नक्सलियों का मूवमेंट तेजी से बढ़ा है। खुफिया रिपोर्ट कह रही हैं कि इस वक्त 97 खूंखार और हार्डकोर नक्सली मप्र में सक्रिय हैं ये सभी कमांडर इन चीफ स्तर के हैं। ये सभी मप्र में तेजी से अपना विस्तार कर रहे हैं। पुलिस ने इनसे निपटने के लिए केंद्र से सीआरपीएफ की तीन बटालियन मांगी हैं। हाल ही में बालाघाट पुलिस और हॉक फोर्स ने थाना बहेला के खराड़ी गांव में मुठभेड़ में तीन नक्सलियों को मार गिराया था। मारे गए सभी नक्सली कमांडर इन चीफ रैंक के थे। दो दशकों में ये पहला मौका है जब इतने सीनियर लेवल के नक्सली मारे गए थे। नक्सली टांडा एरिया कमेटी के मेंबर थे।
पता चला है कि मप्र, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ यानि एमएमसी जोन के हॉर्ड कोर नक्सली ही मप्र में सक्रिय होकर अपना नेटवर्क तेजी से फैला रहे हैं। पुलिस मुख्यालय में नक्सली विरोधी अभियान के आईजी फरीद शापू ने जानकारी दी कि मप्र में इस समय करीब 100 नक्सली सक्रिय हैं। उन्होंने कहा हमारी रणनीति बिल्कुल साफ है। नक्सलियों का खात्म करना है। पिछले तीन साल में सात एनकाउंटर में दस नक्सलियों को मारा गया। सभी नक्सली मप्र में अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहे थे। हाल ही में तीन नक्सलियों के मारे जाने के बाद प्रदेश के बालाघाट, डिंडौरी, सिवनी-मालवा समेत नक्सल प्रभावित इलाकों में 97 खूंखार नक्सली सक्रिय हैं। ये सभी नक्सली कमांडर इन चीफ स्तर के हैं। ये टॉप स्तर के नक्सली होते हैं, जो तेजी से अपने नक्सली दलम को फैलाते हैं। शापू ने कहा प्रदेश में खटियामोचा, मालखंड, टांडा और दर्रेकसा दलम सक्रिय हैं। ये दलम प्रदेश में अपना विस्तार करने की फिराक में हैं। प्रदेश में नक्सली मूवमेंट बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने केंद्र से सीआरपीएफ की तीन बटालियन मांगी हैं। आईजी फरीद शापू ने जानकारी दी कि केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। अभी निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन हमारी मीटिंग चल रही है। नक्लसियों को सरेंडर और उनके पुर्नवास के लिए भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा पिछले पांच साल में नक्सलियों का मूवमेंट बढ़ा है। कान्हा नेशनल पार्क एरिया में विस्थापन के कारण गांव नहीं बचे हैं। उन्होंने ये भी स्वीकार किया है कि कोर जोन में गांवों का विस्थापन होने के कारण अब पहले के मुकाबले कम सूचनाएं पुलिस को मिल रही हैं।
कान्हा नेशनल पार्क, दक्षिण बैहर क्षेत्र और मप्र, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सलियों ने अपना तेजी से विस्तार किया है। नक्सलियों के मूवमेंट की सूचनाएं कम मिलने की वजह से कान्हा नेशनल पार्क एरिया को नक्सलियों ने अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया है। कान्हा नेशनल पार्क के अलावा जिले के रुपझर, बैहर, मलाजखंड, बिरसा, लांजी, किरनापुर थाना इलाके में आने वाले जंगलों में मूवमेंट बढ़ा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में टांडा दलम, मलाजखंड दलम, दर्रेकसा दलम, प्लाटून-2, प्लाटून-3, विस्तार दलम, खटियामोचा दलम की मौजूदगी है। मप्र को नक्सलियों ने अपना सॉफ्ट टारगेट बना लिया है। यही वजह है कि तीन साल में सिर्फ दस ही नक्सली मारे गए। हाल ही में तीन नक्सलियों के एनकाउंटर के बाद भी 97 नक्सली सक्रिय हैं। यह बात हम नहीं बल्कि सुरक्षा एजेंसी के अफसर कह रहे हैं। अब मप्र पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि इन हार्डकोर नक्सलियों का वो कैसे सफाया करेगी।
पुलिस मुख्यालय के अफसर भी मानते हैं कि बालाघाट और इसके आसपास अब भी 100 से 110 नक्सली एक्टिव हैं। पुलिस ने नक्सलियों का जो रिकॉर्ड तैयार किया है, उसमें कई के फोटो तक पुलिस के पास नहीं हैं। जिनके फोटो हैं भी, वो 10 से 20 साल पुराने हैं। ऐसे में अगर नक्सली पुलिस के सामने भी आ जाएं, तो पहचानना मुश्किल हो जाएगा। नक्सली गांव में पैठ बनाने और आदिवासियों का भरोसा जीतने के लिए उनकी बेटियों से शादी भी कर रहे हैं। पावेल उर्फ सरवन पहले परसवाड़ा दलम में था, उसने आदिवासी लड़की सुनीता से शादी की। बाद में सुनीता नक्सल कमांडर बनीं। हाल ही में एनकाउंटर में मारी गई रामे से मंगेश ने शादी की थी। मंगेश की मौत के बाद रामे कमांडर बनीं। सबसे पहले मप्र में सूरज टेकाम ने राशिमेटा गांव में आकर एक आदिवासी लड़की से शादी की थी, बाद में वो नक्सल कमांडर बनीं। एनकाउंटर में मारे गए नागेश ने जानकी से विवाह किया था। जानकी से भी उसका रिश्ता नक्सली बनने के बाद हुआ था। 2016 में पुलिस के हत्थे चढ़ी 10 लाख की ईनामी झीनिया बाई ने पुलिस को बताया था कि दलम में रहते हुए उन्हें शादी की इजाजत होती है लेकिन बच्चे पैदा करने की अनुमति नहीं होती।
मप्र पुलिस रिकॉर्ड में इनमें से ज्यादातर नक्सलियों पर ईनाम घोषित है। ईनाम की ये राशि 3 लाख से 7 लाख तक है। इनमें से 50 नक्सलियों पर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र ने भी अलग-अलग 5 से 10 लाख रुपए के ईनाम घोषित किए हुए हैं। तीनों राज्यों में एक नक्सली पर करीब 10 से 15 लाख रुपए तक का ईनाम है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि तीनों राज्यों की पुलिस की ओर से नक्सलियों पर 20 करोड़ रुपए का इनाम घोषित है। ईनाम की ये राशि नक्सलियों के कैडर के हिसाब से बढ़ती रहती है। आईजी एंटी नक्सल सेल, साजिद फरीद शापू कहते हैं कि ये सही है कि 2016 के बाद दलम बढ़े हैं, लेकिन नक्सलियों का दायरा नहीं बढ़ने दिया गया है। कान्हा में सुरक्षा बलों के 2 कैंप बनाकर हमने वहां उनका रास्ता रोक दिया है। 2016 के बाद नक्सलियों ने विस्तार का प्लान बनाया था, उसी प्लान के तहत उनकी एक्टिविटी यहां बढ़ी है। स्थानीय स्तर पर मदद न मिल पाने के कारण बहुत से नक्सली लौट भी रहे हैं।
3 राज्यों का ट्राई जंक्शन है बालाघाट
मप्र में बालाघाट नक्सल आंदोलन का अहम केंद्र है, इसलिए यहां नक्सलियों की एक्टिविटी लगातार बढ़ रही है। पहले यहां टांडा और मलाजखंड दलम ही थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 6 हो गई है। इनकी मॉनीटरिंग के लिए दो डिविजनल कमेटी बालाघाट में काम कर रही हैं। यहां नक्सलियों का मूवमेंट बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है कि यहां के जंगल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव और महाराष्ट्र के गोंदिया-गढ़चिरोली के जंगलों से जुड़े हैं। ये ट्राई स्टेट कॉरिडोर नक्सलियों के लिए बेहद मुफीद है। इसी बेल्ट में सबसे ज्यादा आदिवासी गांव भी हैं।
-विकास दुबे