मुंबई में कंगना रनौत का दफ्तर तोड़े जाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई पर स्टे लगा दिया है, लेकिन राजनीति अब चरम पर पहुंच गई है। जहां कंगना के समर्थन में रामदास अठावले की पार्टी आरपीआई महाराष्ट्र में मोर्चा संभाले हुए है। वहीं सोशल मीडिया पर कंगना रनौत को फ्रंटफुट पर आगे बढ़कर खेलते हुए देखा जा रहा है, लेकिन असल बात तो यह है कि शिवसेना और भाजपा की राजनीतिक जंग में कंगना रनौत मोहरा बन कर रह गई हैं। तात्कालिक तेजी तो इसमें बिहार चुनाव की वजह से देखने को मिल रही है, लेकिन ये तूल तब ज्यादा पकड़ सकता है जब बिहार चुनाव के बाद भाजपा महाराष्ट्र पर फोकस शुरू करेगी और वही वक्त उद्धव ठाकरे सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा।
कंगना रनौत के मामले में बीएमसी ने हद से ज्यादा हड़बड़ी नहीं दिखाई होती तो मणिकर्णिका फिल्म का दफ्तर अपनी जगह यूं ही बना हुआ होता। बीएमसी को भी तो ये एहसास होगा ही कि मामला अदालत पहुंचा तो उसके जेसीबी पर हाईकोर्ट का हथौड़ा भारी पड़ेगा ही, लिहाजा गेट पर एक नोटिस चिपकाने के बाद घड़ी देखकर 24 घंटे होते ही बीएमसी ने अपने टास्क को अंजाम दे डाला। ऐसा भी नहीं कि बीएमसी ने पहली बार किसी बॉलीवुड स्टार के खिलाफ ऐसी सख्ती दिखाई है। शाहरूख खान से लेकर कपिल शर्मा जैसी हस्तियां भी बीएमसी के निशाने पर आ चुकी हैं, लेकिन 24 घंटे में तोड़फोड़ की जैसी तत्परता बीएमसी ने कंगना रनौत के मामले में दिखाई है वो पहली बार देखने को मिला है।
कंगना रनौत के दफ्तर को तोड़े जाने को उनके और शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत की एक-दूसरे के प्रति तीखी बयानबाजी के नतीजे के तौर पर देखा जा सका है। एक इंटरव्यू में संजय राउत वैसे तो सीधे-सीधे कुछ बोलने से बचने की कोशिश करते रहे, लेकिन बीएमसी के एक्शन को वो सही ठहरा रहे थे। संजय राउत ने कहा कि अगर कोई कानून तोड़ता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि शिवसेना के पास भी उसकी जानकारी हो ही। दफ्तर में तोड़फोड़ की टाइमिंग को लेकर पूछे जाने पर संजय राउत का कहना रहा कि इसकी टाइमिंग क्या है इसका जवाब बीएमसी कमिश्नर ही दे सकते हैं। संजय राउत ने कहा कि आगे अदालत में भी इसका जवाब बीएमसी को ही देना है।
शिवसेना को ये निराश कर सकता है कि बीएमसी के एक्शन को महाराष्ट्र की सत्ता में साझीदार एनसीपी नेता शरद पवार ने भी ये सही नहीं माना है। शरद पवार ने तो बीएमसी के एक्शन में भेदभाव को लेकर भी सवाल उठाया है। महाराष्ट्र की गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार में एनसीपी भी एक साझीदार है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कहना है कि बीएमसी की कार्रवाई ने अनावश्यक रूप से कंगना रनौत को बोलने का मौका दे दिया है। शरद पवार ने मुंबई की दूसरी गैरकानूनी इमारतों की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा कि ये देखने की जरूरत है कि बीएमसी के अफसरों ने ये निर्णय क्यों लिया। शरद पवार ने ये भी कहा कि हर कोई जानता है कि मुंबई पुलिस सुरक्षा के लिए काम करती है, साथ ही शिवसेना को इशारों में समझाने की भी कोशिश की- 'आपको इन लोगों को प्रचार नहीं देना चाहिए।’ ध्यान देने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र सरकार में तो एनसीपी और कांग्रेस साझीदार हैं, लेकिन बीएमसी पर शिवसेना का ही कब्जा है।
महाराष्ट्र में सत्ता की अगुवाई कर रही शिवसेना बीएमसी और मुंबई पुलिस से वैसे ही काम ले रही प्रतीत होती है जैसे भाजपा के विरोधी केंद्र सरकार पर श्वष्ठ और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल के आरोप लगाते रहे हैं। उधर कंगना रनौत ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का नाम लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई है और भाषा भी ऐसी कि आज तक ठाकरे परिवार के लिए शायद ही किसी ने खुलेआम ऐसे बोलने की हिमाकत की हो- 'तुझे क्या लगता है।’ सवाल है कि कंगना रनौत में इतनी हिम्मत आई कहां से? साफ है बगैर राजनीतिक संरक्षण के कंगना रनौत के लिए भी ये सब संभव नहीं था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कंगना रनौत के खिलाफ बीएमसी के एक्शन को बदले की कार्रवाई और कायरतापूर्ण कृत्य बताया है। देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि ऐसा करने से महाराष्ट्र का सम्मान नहीं होता। कंगना रनौत ने एक साथ मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी को टारगेट किया। कंगना ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद के नाम पर केंद्र सरकार से सुरक्षा की मांग की थी। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने सुशांत सिंह राजपूत केस में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
ऐसा लगता है जैसे कंगना रनौत के चुप न होने से शिवसेना के गुरूर को धक्का लगा है। अब तक किसी ने शिवसेना को कंगना की तरह चैलेंज नहीं किया है। एक तो जमाना वो भी रहा है कि फिल्मों के शांतिपूर्ण रिलीज के लिए बड़ी-बड़ी फिल्मी हस्तियों को दरबार में हाजिरी लगानी पड़ती थी। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता राज ठाकरे के सामने भी लोग हाथ जोड़े खड़े नजर आए थे, लेकिन कंगना रनौत ने उस गुरूर को चुनौती दे डाली है।
कंगना ने अयोध्या से लेकर कश्मीर तक जोड़ा
कंगना रनौत ने अपने वीडियो मैसेज में उद्धव ठाकरे को कोसते हुए अयोध्या से कश्मीर तक की याद दिलाई है। कंगना ने अपने साथ हुई बीएमसी की कार्रवाई को कश्मीरी पंडितों के साथ हुए व्यवहार से जोड़ने की कोशिश की है। कंगना रनौत का कहना है कि अयोध्या के साथ ही साथ वो कश्मीर पर भी फिल्म बनाएंगी। कश्मीर पर फिल्में तो बहुत बनी हैं, लेकिन कंगना की फिल्म कश्मीरी पंडितो पर हुए अत्याचार पर फोकस रहेगी, फिल्म स्टार ने ऐसा संकेत दिया है। कंगना रनौत ने मणिकर्णिका फिल्म के दफ्तर को राम मंदिर बताया है और शिवसेना को बाबर बताते हुए ऐलान किया है कि मंदिर फिर बनेगा, जय श्रीराम। कंगना रनौत के दफ्तर को मंदिर बताते हुए अयोध्या से जुड़ी धार्मिक भावनाओं और कश्मीर के साथ राष्ट्रवाद से जोड़कर उन लोगों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है जो भाजपा को सपोर्ट करते हैं। शिवसेना के खिलाफ भाजपा को ऐसे ही मुद्दे की जरूरत है जिसकी बदौलत वो मराठी मानुष और मराठी अस्मिता में फंसे बगैर शिवसेना को कठघरे में खड़ा कर सके, क्योंकि बिहार के बाद और पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले भाजपा का अगला एजेंडा महाराष्ट्र सरकार ही तो है।
- बिन्दु माथुर