दुनिया के लगभग सभी देशों में कोरोना की प्रतिछाया के दुष्परिणाम सामने हैं। आज दुनिया पर महामारी का प्रकोप है। कोरोना जिसका इलाज अभी वैज्ञानिकों के पास नहीं है, ऐसे में यह तो होना ही था कि हमारी सरकार जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन और कर्फ्यू के रास्ते पर चल पड़े। मगर इस सब के बीच जो सार तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं उसके आधार पर यह कहना समीचीन होगा कि जो अनुशासन, समझदारी और सौहार्द, मानवता दिखाई देनी चाहिए वह समाज में दिखाई नहीं दे रही। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने लोगों को बेचैन कर दिया है। संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है। लगातार 21 दिन का लॉकडाउन होने के कारण बाजारों में महंगाई की मार आ गई है। नवरात्र में फलों की डिमांड बढ़ने से महंगाई और बढ़ गई है। सबसे ज्यादा महंगाई फल एवं सब्जियों पर है। लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। बाजारों में फल एवं सब्जियां काफी महंगी हो गई हैं। छोटे दुकानदारों ने 10 से लेकर 20 रुपए किलो तक के भाव बढ़ा दिए हैं। पिछले दो सप्ताह में सब्जियों और फलों के दामों में इजाफा हुआ है। आलू, प्याज, अन्य हरी सब्जी, और फलों में सेब, केला, अंगूर, पपीता, चीकू, संतरा अन्य फल काफी महंगे हैं। मजबूरन लोगों को महंगी सब्जियां खरीदनी पड़ रही हैं।
सरकार का जो दायित्व होता है उसे निभाने में कोताही दिखाई दे रही है। जनवरी 2020 में ही कोरोना की दस्तक सुनाई दी थी, मगर इसके बावजूद सरकार ने वही गलतियां की जो आम आदमी करता है। जिस सूझबूझ, तत्परता की दरकार सरकार से थी उसमें केंद्र और राज्य सरकारों ने चूक की। 'नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम हो या वेंटिलेटर, चिकित्सा व्यवस्था में कसावट का मामला, सरकार हर जगह फ्लॉप हुई है। अगरचे यही गलतियां कोई और करता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे कभी माफ नहीं करते और सारा देश सर पर उठा लेते, ऐसे में कोरोना संदर्भ में विपक्ष के रूप में कांग्रेस की भूमिका सराहनीय है।
चाहे वे मंत्री हों या जनसेवा का चोला, व्रत धारण करने वाले हमारे नेता। आज कोरोना वायरस अटैक के दरम्यान घरों में कैद हो गए हैं। घर से बाइट, स्टेटमेंट जारी हो रहे है। हम तो यही कहेंगे अगर आप नेता हैं, मंत्री हैं तो आपने जनता जनार्दन की सेवा का व्रत लिया है, जनता ने आप को वोट दिया है। ऐसे में नेता, मंत्रीगण का कर्त्तव्य है कि सर्व-सुरक्षा के साथ जनता के बीच पहुंचे और उनकी समस्याओं को हल करने का दायित्व निर्वहन करें।
प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री! आपका कर्तव्य यह नहीं है कि कर्फ्यू, लॉकडाउन करके आप चैन की बांसुरी बजाते रहें। चौराहे पर पुलिस लोगों को कंट्रोल करे, डंडे बरसाए। इससे समस्या का हल नहीं होगा। आवश्यकता, संवेदनशीलता के साथ लोगों को अपना परिवार मानते हुए इस भीषण विकट स्थिति में लोगों की मदद करना। मदद की उदात्त भावना नेता, मंत्रीगण, प्रशासन में दिखाई देनी चाहिए न ही किसी बैरी, शत्रु का भाव दिखाई पड़ता रहे और यह भावना सदासयता में दिखाई देनी चाहिए मगर दुर्भाग्य कि यह हममें नहीं है। मेडिकल स्टाफ, डॉक्टर, नर्स जब इस पेशे में आते हैं तो यह भावना सेवा, समर्पण की होनी चाहिए। नेता, मंत्री को ही देखिए मगर क्या आपको ऐसा दिखाई दे रहा है? यह बेहद दुखद स्थितियां हैं।
कोरोना महामारी के इस भीषण काल में कोई मंत्री एक महीने की तनख्वाह दे रहा है, तो कोई तीन महीने की। एक-एक लाख रुपए, तो कोई दस लाख रुपए। ठीक है पैसे की अहमियत है, पैसा बहुत कुछ है मगर यह मंत्रीगण, नेताजी भूल गए हैं कि आप जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं। आप घरों से निकलकर जनता के पास पहुंचे और उनके आंसू पोंछें, लाखों दिहाड़ी कमाने वालों को क्या दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है, क्या गरीब, आम आदमी ने खाना खाया है। यह देखना भी आपका परम कर्त्तव्य है। अगर आप ऐसा नहीं करते तो आप सच्चे अर्थ में जनप्रतिनिधि या मंत्री नहीं हैं। अब चुनाव के समय आप कैसे घर-घर जाते हैं, करोड़ों रुपए खर्चते हैं, शराब-मुर्गा बांटते हैं। हाथ जोड़ते हैं सच्चे अर्थ में हाथ जोड़ने गले लगाने का वक्त आज है।
भारत में वर्तमान समय को राष्ट्रीय आपदा की घड़ी माना गया है। यूं तो दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति काफी नियंत्रण में नजर आ रही है। देश में सबसे पहला मरीज केरल में जनवरी माह में मिला था, जो चीन से आया था और अब वह ठीक हो चुका है। हाल-फिलहाल जो मरीज सामने आ रहे हैं, वे चीन की बजाय उन देशों से आए हुए हैं, जहां लापरवाही से कोरोना वायरस का प्रवेश हुआ है।
'लूट’ को रोकना आपका दायित्व है
कोरोना महामारी की घबराहट फैलते ही बाजार बंद करा दिए गए, कर्फ्यू लागू है। अब चारों तरफ आवश्यक वस्तुओं में मानो लूट सी मच गई है। टमाटर 50 रुपए, आलू 40 रुपए बिकने लगा है। हर जरूरी सामान महंगा हो गया। यह अनायास महंगाई लूट का दूसरा स्वरूप है जिसे रोकने में सरकार असहाय है। मास्क, सेनिटाइजर जरूरी सामान की कालाबाजारी शुरू हो गई, क्योंकि लोगों को यह लगता है की लूट सके तो लूट। अगरचे, हमारे प्रमुख नेता सदशयता दिखाएं, स्वयं आगे आकर लोगों से मिलें, कोरोना का भय त्याग कर समस्या देखें, हॉस्पिटल के हालात देखें, व्यवस्था करें तो कितना अच्छा हो। यह काम जिलाधीश, अफसरों पर छोड़ना आप कितना जायज मानते हैं। संयोगवश ही माना जाए, लेकिन मोबाइल पर वस्तु सेवा कर (जीएसटी) 18 प्रतिशत तक पहुंचा दिया गया है। स्पष्ट है कि मंदी के दौर में बीमारी और महंगाई दोनों मार रही हैं। ऑटोमोबाइल क्षेत्र चीनी कलपुर्जे की कमी से संकट में है। इसके अलावा मास्क समेत अनेक आवश्यकताएं चीनी सामान से पूरी होती हैं, जिनके कम होने से मुनाफाखोरी को अच्छी खासी जगह मिल गई है।
- कुमार विनोद