03-Apr-2020 12:00 AM
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उप्र में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के तीन साल तो पूरे हो गए लेकिन जिस उत्तर प्रदेश की जनता को बड़े-बड़े वादे और सपने दिखाकर भाजपा सत्ता में आई थी वह अभी भी अधूरे हैं।
उप्र की जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ प्रदेश में भाजपा को कमान सौंपी थी। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तीन साल के कार्यकाल को देखें तो वे कागजी शेर साबित हुए हैं। किसानों, शिक्षकों व महिलाओं को लेकर 2017 में जो वादे किए थे वो अधूरे ही दिख रहे हैं। सरकार ने इनके लिए अधिकतर इनीशिएटिव की प्रतीकात्मक शुरुआत करके पीछा छुड़ा लिया। चाहे वह उत्तर प्रदेश के नौजवानों को रोजगार, प्रदेश में भयमुक्त माहौल देने की बात हो या फिर महिला सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड बनाने की, प्रदेश की सड़कें गड्ढा मुक्त करने की बात हो या किसानों के बकाए भुगतान और कर्जमाफी सहित आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने की, ये सभी बातें और वादे जमीन पर उतरते दिखाई नहीं दिए हैं। भाजपा ने 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में औद्योगिक पार्कों, आईटी पार्कों, दवाओं के लिए फार्मा पार्क और निर्यात के लिए ड्राई पोर्ट की बात की थी लेकिन यह फ्लैगशिप कार्यक्रम भी किताबी साबित हुए हैं। तीन साल बाद उत्तर प्रदेश का आम नागरिक सरकार की कार्यशैली को भलीभांति समझ चुका है, वैसे भी गांव में एक कहावत है पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं फिर अब तो सरकार का आधे से ज्यादा कार्यकाल हो चुका है अब ऐसे में देखना है कि भाजपा सरकार क्या करती है?
बेसिक शिक्षा में 1.5 लाख, उच्च शिक्षा में 50 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी है, भाजपा ने सरकार बनने के 90 दिन के अंदर विज्ञप्ति जारी कर शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी शिक्षकों की कमी जस की तस बनी हुई है। कहा गया था कक्षा 12वीं तक गरीब परिवारों से आए छात्र-छात्राओं को सभी पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म और जूते व स्कूल बैग मुफ्त दिए जाएंगे लेकिन हकीकत इससे इतर है। तीन साल बीत जाने के बाद भी सरकार को इस पर ध्यान देने का समय तक नहीं मिला है। चुनाव से पहले शिक्षा मित्रों से जो वादा किया था वो भी नहीं निभाया। प्रदेश के सभी युवाओं को लैपटॉप देने का वादा सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद भी परवान नहीं चढ़ पाया। नौकरियों के लिए जो परीक्षाएं हुईं उनमें अधिकांश के पेपर लीक हुए और यहां तक कि अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष को इस्तीफा तक देना पड़ा।
'न गुंडाराज-न भ्रष्टाचार’ का नारा भाजपा की हर चुनावी सभा मे गूंजा था लेकिन सत्ता में आने के बाद से लगातार अपराध बढ़ता चला गया। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश में 43 प्रतिशत हत्या, डकैती और सुपारी किलिंग और महिला अपराधों के मामलों में वृद्धि हुई है। हाल ही में रायबरेली में एक परिवार की नृशंस हत्या, मथुरा में डकैती, गोरखपुर में परिवार को जिंदा जलाने और इलाहाबाद में परिवार की सामूहिक हत्या सहित तमाम घटनाओं से उत्तर प्रदेश में फैलते जंगलराज का नजारा पूरे देश ने देखा है। भ्रष्टाचार के मामले में सरकार ने नए आयाम बनाए और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए भी कोई कसर नहीं छोड़ी, सरकार बनने के 15 दिन में मंत्रियों और अधिकारियों से उनकी संपत्ति का विवरण मांगा गया था लेकिन शान से तीन साल बिताने वाले योगी सरकार के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री द्वारा 3-3 रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी अधिकांश मंत्रियों ने अपना ब्यौरा नहीं दिया।
घोटाले से जुड़े मुद्दों पर कई बार सत्ताधारी पार्टी के विधायक-सांसद सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे और सरकार के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार की शिकायतों से भरे पत्र भी लिखे लेकिन सरकार जांच कराने और जिम्मेदार भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर कार्यवाही करने के बजाय सिर्फ पर्दा डालती रही, यहां तक कि मिर्जापुर में
मिड-डे मील में गड़बड़ी की खबर दिखाने वाले पत्रकार पर मुकदमा तक लिख दिया गया।
कृषि विकास और किसानों को भाजपा ने 2017 में अपने संकल्प पत्र में तो प्राथमिकता दी लेकिन सरकार बनने के बाद से अब तक वह प्राथमिकता धूल खा रही है। सभी लघु एवं सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ करने की बात करने वाली भाजपा ने 2 रुपए, 3 रुपए और 80 रुपए माफ कर मजाक उड़ाया और चुनाव के समय स्वयं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों का कर्जमाफ करने की बात कही गई लेकिन बाद में इसे राज्य के ऊपर डाल दिया गया। सरकार बनने के 14 दिन के अंदर गन्ना बकाए का ब्याज सहित भुगतान का वादा किया था लेकिन आज भी किसानों का करोड़ों से ज्यादा बकाया ही है। तीन साल बीत जाने के बाद भी आवारा पशुओं की भी समस्या कम नहीं हुई है, प्रदेश में किसानों द्वारा प्रदर्शन किए जाने पर उन पर मुकदमे भी किए गए, प्रतीकात्मक तौर पर गौशालाओं का निर्माण हुआ लेकिन कोई ठोस काम होता दिखाई नहीं दिखाई दिया।
महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाएं बढ़ी
महिलाओं के लिए भाजपा का नारा सशक्त नारी समान अधिकार भी पूरी तरह कागजी साबित हुआ महिला अपराधों पर कई मौकों पर सरकार कोई कार्यवाही करने के बजाय बलात्कारियों के साथ खड़ी दिखाई दी, यहां तक महिला अपराधों के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार बीजेपी सरकार को फटकार लगाई ।उन्नाव रेप केस और शाहजहांपुर की घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकजोर दिया और उत्तम प्रदेश बनाने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार नाकाम साबित हुई अपराध रोकने और अपराधियों में डर महसूस कराने में असफल रही, तीन साल पूरे होने के बावजूद तीन नई महिला बटालियन - अवंती बाई बटालियन, झलकारी बाई बटालियन और ऊदा देवी बटालियन वादा संकल्प पत्र में ही गुम हो गया।
- लखनऊ से मधु आलोक निगम