देश में सबसे अधिक वन क्षेत्र वाले मप्र के जंगल महकमे में हमेशा से जंगलीराज चलता रहा है। यहां अधिकारियों की मनमानी पदस्थापना नवाचार का रूप ले चुकी है। आलम यह है कि इस विभाग में दागदार अधिकारियों का दम दिन पर दिन बढ़ता रहता है। विभाग में जो भी बड़ा अधिकारी पदस्थ होता है वह इस विभाग को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करता है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकताओं में वन विभाग हाशिए पर है। यही वजह है कि यहां गड़बड़ी करने वाले एक से बढ़कर एक अफसरों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी अपनी स्वार्थ साधना के लिए जूनियर पद मुख्य वन संरक्षक पद पर पोस्टिंग के लिए दबाव बना दिया है। इस आशय का प्रस्ताव भी महकमे ने शासन को भेज दिया है। वन विभाग के इतिहास में अभी तक ऐसा नहीं हुआ था की सीनियर अधिकारियों को नीचे के पद पर पदस्थ किया गया हो। विभाग में यह नवाचार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रमुख सचिव और वन विभाग के प्रमुख अशोक वर्णवाल ने किया। पिछले दिनों वन विभाग ने 4 अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के प्रस्ताव को 4 सर्किलों में पदस्थ करने का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंजूरी के लिए भेजा गया है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद आदेश भी जारी कर दिए जाएंगे।
दिलचस्प पहलू यह है कि जिन चार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षकों को सर्किल में पदस्थ करने का प्रस्ताव भेजा गया है, उनमें से सबसे विवादित अफसर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा है जिनके खिलाफ अभी भी 2 जांचें लंबित हैं। एक जांच की रिपोर्ट शासन को सबमिट कर दी गई है परंतु अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। मुख्यालय में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मीणा का प्रस्ताव बैतूल मुख्य वन संरक्षक के पद पर पदस्थ किया गया है। इसी प्रकार वन विकास निगम में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक यूके सुबुद्धि को भोपाल में पदस्थ करने का प्रस्ताव है। जबकि उनके खिलाफ लोकायुक्त में मामला विचाराधीन है। सुबुद्धि जब सीहोर में पदस्थ थे, तब लोकायुक्त में मामला पंजीबद्ध किया था। लोकायुक्त सूत्रों के अनुसार जांच अंतिम चरण में है। प्रतिनियुक्ति पर विभाग के बाहर पदस्थ पीएल धीमान को इंदौर सर्किल में पदस्थ करने की तैयारी है।
अखिल भारतीय वन सेवा कैडर में मुख्यालय में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के 25 पद स्वीकृत है। इनमें से 9 पद अभी खाली है। यानी मुख्यालय में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद निरंतर खाली होते जा रहे हैं। जहां अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के रिक्त पदों पर अधिकारियों की पदस्थापना नहीं हो पा रही है, वहीं वन विभाग कतिपय आईएफएस अफसरों के दबाव में आकर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के दागी अफसरों को सर्किल में पदस्थ करने जा रहा है। जबकि वह पद सीसीएफ स्तर के अधिकारी के लिए है। इस पद पर भी विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल अपने चहेते अफसर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सत्यानंद को पदस्थ कराना चाह रहे हैं।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा के बैतूल सर्किल में पदस्थ किए जाने की खबर जंगल में आग की तरह फैली। रेंजर एसडीओ से लेकर डीएफओ तक में हड़कंप मचा हुआ। दरअसल मीणा की जहां-जहां भी पोस्टिंग रही है, उनकी विवादित कार्यशैली से मातहत अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक पीड़ित होते रहे हैं। माधव नेशनल पार्क और सिंह परियोजना उनकी पोस्टिंग के दौरान हुए गड़बड़ी और प्रताड़ना आज भी नहीं भूले हैं। बिना आरोप के रेंजर डिप्टी रेंजर को निलंबित करना और राजसात किए गए वाहनों को नियम विरुद्ध छोड़ने के कृत्य की जांच अभी भी चल रही है। इसके पहले बालाघाट सर्किल में पदस्थ रहे, तभी विवादों के चलते ही उन्हें वहां से हटाया गया था।
पहले तो अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर पदोन्नत के लिए पापड़ बेले। जब पदोन्नति मिल गई तब उन्हें एहसास हुआ कि मुख्यालय में आकर वे एक 'बड़े बाबूÓ की हैसियत में काम कर रहे हैं। बंगले पर मंडराने वाले 8-10 नौकर-चाकर अब यहां नहीं मिल पा रहे हैं। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अब अपने बंगले पर नौकर रखने के लिए सीसीएफ से मिन्नतें करनी पड़ती हैं। इसके अलावा अन्य शौक-सुविधाएं और ऐशो-आराम के लिए अपने जेब की रकम ढीली करनी पड़ती है। इसीलिए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के चार-पांच अधिकारियों ने शासन पर दबाव बनाकर फिर से सर्किल में पदस्थ होने का प्रस्ताव मूव करा दिया है।
प्रमोशन के लिए नहीं मिल पा रहे हैं योग्य अधिकारी
वन विभाग में पहले से ही अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद खाली पड़े हैं। इस पद पर प्रमोट करने के लिए निर्धारित योग्यता वाले मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी नहीं मिल पा रहे हैं। इस पद पर प्रमोट होने के लिए कम से कम सेवाकाल के 25 वर्ष पूर्ण होना चाहिए। 25 वर्ष का कार्यकाल पूरे करने वाले एक भी अफसर वन विभाग में नहीं है जिसे ए पीसीसीएफ के पद पर प्रमोट किया जा सके। ऐसी स्थिति में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक की सर्किल में पदस्थापना गैर बाजी प्रतीत होती है।
- प्रवीण कुमार